1 अगस्त 2025 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई, जिसने न केवल स्कूल प्रशासन, बल्कि सामाजिक सहिष्णुता और धार्मिक संयम को भी चुनौती दी। तीन‑साढ़े तीन वर्ष की नर्सरी‑की बच्ची को उसके धार्मिक अभिवादन “राधे‑राधे” कहने पर स्कूल की प्रिंसिपल द्वारा मुंह पर टेप चिपकाकर दंडित किए जाने का सनसनीखेज मामला मीडिया की सुर्खियों में रहा। इससे केवल बच्ची को शारीरिक और मनोवैज्ञानिक चोट नहीं पहुँची, बल्कि समतावादी शिक्षण संस्थानों और धार्मिक सहिष्णुता के मूल्यों पर विश्वास रखने वाले लोगों को एक गंभीर झटका लगा।
इस लेख में हम घटना की जानकारी, कानूनी पहलू, सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ, समकालीन संदर्भ, और निष्कर्ष को विस्तार से देखेंगे।
घटना की रूपरेखा
स्थिति एवं संदर्भ
- स्थान: मदर टेरेसा इंग्लिश मीडियम स्कूल, बगडूमर गांव, दुर्ग ज़िला, छत्तीसगढ़।
- समय: सुबह लगभग 7:30 बजे, नर्सरी कक्षा के दौरान।
बच्ची ने क्या किया?
- तीन‑साढ़े तीन वर्ष की मासूम बच्ची ने स्कूल में प्रार्थना के समय “राधे‑राधे” कहकर अभिवादन किया।
प्रिंसिपल की प्रतिक्रिया
- स्कूल की प्रिंसिपल एला ईवन कौलविन (Ila Evan Colvin) ने बच्ची को थप्पड़ मारा, उसके मुंह पर लगभग 15 मिनट तक टेप चिपकाया, और अन्य शारीरिक दंड भी दिया।
घटना उजागर कैसे हुई?
- बच्ची घर लौटकर माँ-बाप को रोते हुए उस दंड की जानकारी दी। घर वालों ने इसे गंभीर मानकर स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
कानूनी कार्रवाई
गिरफ्तार
- शिकायत के आधार पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया।
आरोप
- परिजनों की रिपोर्ट पर प्रिंसिपल के खिलाफ दर्ज की गई धाराएँ:
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2)
- धारा 299 (हत्या का प्रयास या जान से मारने की आशंका)
- बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2015 की धारा 75
- इसके अलावा बच्ची के साथ शारीरिक रूप से दंड देने पर IPC की धारा 323 (हत्या का प्रयास), 504 (धमकी), 506 (धमकी देना), और 75 व 82 (बालिका सुरक्षा) के तहत मामला दर्ज किया गया।
सामाजिक और धार्मिक प्रतिक्रिया
स्थानीय हिंदू संगठनों की प्रतिक्रिया
- बजरंग दल, VHP सहित अन्य हिंदू संगठनों ने स्कूल परिसर के बाहर प्रदर्शन किया, और धार्मिक भेदभाव को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई।
सोशल मीडिया का तूफान
- घटना का वीडियो और रिपोर्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। कई उपयोगकर्ताओं ने इसे धार्मिक असहिष्णुता का खतरनाक उदाहरण बताया। विपक्षी मीडिया हाऊस ने इसे मिशनरी संस्था द्वारा हिंदू अभिवादन पर पाबंदी करने की कटु आलोचना के रूप में पेश किया।
शिक्षा विभाग और सरकारी प्रतिक्रिया
शिक्षा विभाग की जांच
- छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग ने घटना की गंभीरता से जांच के आदेश दिए तथा स्कूल प्रशासन के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की संभावनाएं जताई हैं।
पुलिस और स्थानीय प्रशासन
- पुलिस घटना के प्रति सतर्क रही और बच्ची की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। दोषी प्रिंसिपल पर उचित कानूनी प्रक्रिया लागू की जा रही है। अन्य स्कूलों में भी कथित धार्मिक भेदभाव की शिकायतों पर निगरानी बढ़ाई जा रही है।
क्यों हुई यह घटना?
शरीरिक या धार्मिक अभिवादन से जुड़ा तनाव?
- प्रिंसिपल मिशनरी पृष्ठभूमि से संबंधित बताई जा रही हैं, जिससे हिंदू अभिवादन को मान्य न करना एक धार्मिक असहिष्णुता का मामला बन गया।
स्कूल का मोडल और असंवेदनशीलता
- मदर टेरेसा स्कूल नाम से संचालित होने वाले कई संस्थानों पर यह आरोप लगाया जाता है कि वे धार्मिक विचारों को पढ़ाते समय अनावश्यक संवेदनहीनता या असमान दृष्टिकोण अपनाते हैं।
भय की स्थितियां
- मासूम बच्ची में जो तकलीफ हुई, वह कहती है कि उसने चेतावनी के तौर पर टेप चिपकाया जाना उस पर दबाव डालने का स्पष्ट उदाहरण है।
मीडिया विश्लेषण और राष्ट्रव्यापी चर्चा
वीडियो रिपोर्टिंग
- भारत के प्रमुख मीडिया चैनलों जैसे Aaj Tak और Deccan Herald ने इस घटना को “Religious intolerance in schools” जैसे हेडलाइन के साथ रिपोर्ट किया।
भिन्न दृष्टिकोण
- कुछ मीडिया ने इसे “मिशनरी स्कूलों में धार्मिक सहिष्णुता का अभाव” बताया, जबकि अन्य ने इसे चेतावनी स्वरूप बताया कि धार्मिक अभिवादन पर पाबंदी असंवैधानिक है।
व्यापक प्रभाव
परिवार और बच्ची पर प्रभाव
- बच्ची के परिवार में गहरा आघात पहुँचा। वह अभिवादन कहने की मासूमियत में इस अत्याचार से डर गई है। परिवार को समाज और पुलिस का भरोसा मिला, लेकिन मानसिक चोट गहरी है।
स्कूलों में मानसिकात बदलाव?
- यह घटना अन्य स्कूलों तक चेतावनी ले गई है। शिक्षक-शिष्या संबंधों में धार्मिक सम्मान की समझ को महत्वपूर्ण माना जाने लगा है।
कानूनी मिसाल
- यह घटना कानूनी दृष्टि से मान्यताओं और शिक्षण संस्थानों में आदर्शों की कसौटी साबित हो सकती है। भविष्य में धार्मिक अभिवादन के लिए संवैधानिक सुरक्षा की मांग तेज हो सकती है।
निष्कर्ष
इस घटना ने स्पष्ट किया है कि:
- धार्मिक अभिवादन जैसे “राधे‑राधे” जैसे अभिवादन पर मिलजुलकर सहिष्णुता न केवल संवैधानिक अधिकार है, बल्कि सामाजिक गरिमा की भी कसौटी है।
- शिक्षा संस्थानों में न्याय और संवेदनशीलता का संतुलन उतना ही महत्व रखता है जितना शैक्षणिक उत्कृष्टता।
- बच्ची उम्र में मासूमियत का प्रतीक होती है—उस पर बिना समझ के चोट पहुँचाना, समाज की संवेदनहीनता दर्शाता है।
- सरकार, शिक्षा विभाग, और समाज को मिलकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकना चाहिए।
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