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यूपी विधानसभा में ‘नो पार्किंग’ में खड़ी मंत्री की फॉर्च्यूनर, ट्रैफिक पुलिस ने उठाई

Minister's Fortuner parked in 'no parking' zone in UP Vidhansabha, traffic police towed it away

परिचय: विधानसभा सत्र के बीच एक अनोखी घटना

15 अगस्त 2025 की सुबह लखनऊ का माहौल हमेशा की तरह स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंगा था, लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा के बाहर उस दिन एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। राज्य के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद की सफेद टोयोटा फॉर्च्यूनर गाड़ी विधानसभा भवन के ठीक बाहर ‘नो पार्किंग’ जोन में खड़ी थी। विधानसभा सत्र चल रहा था, सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था अपने चरम पर थी, और उसी बीच ट्रैफिक पुलिस ने ऐसा कदम उठाया जिसने हर किसी का ध्यान खींच लिया। बिना किसी हिचकिचाहट के गाड़ी को क्रेन से उठाया गया और सीधे ट्रैफिक थाने ले जाया गया। यह घटना कुछ ही मिनटों में कैमरों में कैद हो गई और सोशल मीडिया पर वायरल होकर चर्चा का विषय बन गई।

घटनाक्रम: मिनट-दर-मिनट unfolding

गुरुवार का दिन विधानसभा के लिए खास था क्योंकि सत्र में कई अहम प्रस्तावों पर चर्चा होनी थी। सुरक्षा कारणों से विधानसभा के चारों ओर विशेष बैरिकेडिंग, डायवर्जन और पार्किंग के लिए सख्त नियम लागू किए गए थे। सभी विधायकों और मंत्रियों को पहले से ही अपने-अपने वाहन पार्क करने के स्थान की जानकारी दी गई थी। दोपहर करीब बारह बजे, विधानसभा के गेट नंबर तीन के पास ट्रैफिक पुलिस की गश्ती टीम ने देखा कि एक सफेद फॉर्च्यूनर गाड़ी नो पार्किंग बोर्ड के ठीक नीचे खड़ी है। गाड़ी के आगे लाल रंग का मंत्री का निशान स्पष्ट दिख रहा था, जिससे यह पता चल गया कि वाहन किसी वीआईपी का है।

पुलिस अधिकारियों ने तत्काल कंट्रोल रूम को सूचना दी और कुछ ही मिनटों में क्रेन वाहन वहां पहुंच गया। विधानसभा के बाहर मौजूद मीडियाकर्मी और आम लोग इस दृश्य को देखकर हैरान थे, लेकिन पुलिस का रवैया पूरी तरह नियमों के मुताबिक था। बिना किसी बहस या देरी के फॉर्च्यूनर को क्रेन से उठाया गया और पास के ट्रैफिक थाने पहुंचाया गया। यह पूरा दृश्य कुछ ही समय में मोबाइल कैमरों के जरिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैल गया।

ट्रैफिक पुलिस की सख्ती और आधिकारिक बयान

ट्रैफिक पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बाद में मीडिया से बात करते हुए साफ किया कि उनके लिए कानून सबके लिए समान है। उन्होंने कहा कि चाहे वाहन किसी मंत्री का हो या आम नागरिक का, अगर वह नो पार्किंग क्षेत्र में खड़ा है तो कार्रवाई होगी। विधानसभा सत्र के दौरान सुरक्षा और यातायात व्यवस्था बनाए रखना बेहद जरूरी होता है, और गलत तरीके से खड़े वाहन ट्रैफिक जाम या सुरक्षा खतरे का कारण बन सकते हैं। इसीलिए गाड़ी को टो करना जरूरी था। अधिकारियों ने यह भी बताया कि गाड़ी पर चालान की प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी ढंग से पूरी की गई।

मंत्री की प्रतिक्रिया: चालक की गलती

कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उस समय वे विधानसभा सत्र में व्यस्त थे और उन्हें गाड़ी कहां खड़ी की गई है, इसकी जानकारी नहीं थी। उनके अनुसार, यह गलती गाड़ी चालक की रही होगी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि कानून सबके लिए समान है और ट्रैफिक पुलिस ने जो किया, वह उनका कर्तव्य था। मंत्री के इस बयान ने स्थिति को कुछ हद तक शांत कर दिया और इसे राजनीतिक विवाद बनने से रोक लिया।

सोशल मीडिया पर चर्चा और प्रतिक्रियाएं

जैसे ही क्रेन से मंत्री की गाड़ी उठाने का वीडियो सोशल मीडिया पर आया, यह देखते ही देखते वायरल हो गया। वीडियो में साफ दिखाई दे रहा था कि एक बड़ी क्रेन विधानसभा के ठीक बाहर खड़ी गाड़ी को उठा रही है और आसपास लोग इस दृश्य को अपने-अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर रहे हैं। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इस वीडियो को हज़ारों बार शेयर किया गया। कई यूज़र्स ने इसे कानून के राज का उदाहरण बताया, तो कुछ ने मज़ाकिया अंदाज में पोस्ट किया कि क्रेन ऑपरेटर को पुरस्कार मिलना चाहिए।

सोशल मीडिया पर बहस का एक दूसरा पहलू भी था। कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि क्या ट्रैफिक पुलिस ने गाड़ी मालिक को पहले चेतावनी दी थी या सीधे गाड़ी उठा ली। हालांकि, अधिकतर प्रतिक्रियाएं इस घटना को सकारात्मक मानने वाली थीं और लोगों का कहना था कि इससे आम जनता में ट्रैफिक नियमों के पालन की गंभीरता बढ़ेगी।

राजनीतिक असर

विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दी। कुछ नेताओं ने इसे सरकार के भीतर कानून के पालन की अच्छी मिसाल बताया, जबकि कुछ ने कहा कि यह महज़ दिखावे की कार्रवाई है और असल में वीआईपी संस्कृति में कोई बदलाव नहीं आएगा। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने टिप्पणी की कि अगर सच में सबके लिए कानून समान है, तो फिर वीआईपी सुरक्षा और विशेषाधिकारों में भी कमी लानी चाहिए। दूसरी ओर, भाजपा प्रवक्ताओं ने इस घटना को कानून के राज और पारदर्शिता का उदाहरण बताते हुए प्रचारित किया और कहा कि यही “नया उत्तर प्रदेश” है।

ट्रैफिक नियम और वीआईपी वाहन

भारत के मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नो पार्किंग क्षेत्र में वाहन खड़ा करने पर तत्काल चालान और टो करने का प्रावधान है। यह नियम सभी वाहनों पर लागू होता है, चाहे वह सरकारी हो या निजी। वीआईपी वाहनों के लिए भी कोई अलग कानून नहीं है, हालांकि सुरक्षा कारणों से कभी-कभी पुलिस लचीलापन दिखाती है। लेकिन इस मामले में, विधानसभा सत्र के दौरान किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया गया।

विधानसभा क्षेत्र में पार्किंग व्यवस्था

विधानसभा सत्र के दौरान राजधानी में विशेष पार्किंग जोन बनाए जाते हैं, जहां केवल पासधारी वाहन ही खड़े हो सकते हैं। आसपास के इलाकों में नो पार्किंग जोन को सख्ती से लागू किया जाता है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि गलत तरीके से खड़े वाहन न केवल यातायात में बाधा डालते हैं, बल्कि सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकते हैं। यही कारण है कि ट्रैफिक पुलिस ने मंत्री की गाड़ी पर भी कोई रियायत नहीं दी।

अतीत में ऐसे मामले

यह घटना पहली बार नहीं है जब किसी वीआईपी वाहन पर कार्रवाई की गई हो। 2023 में दिल्ली में एक सांसद की गाड़ी को नो पार्किंग से हटाया गया था। 2024 में मुंबई में एक मंत्री की कार पर गलत पार्किंग का चालान किया गया था। इन घटनाओं से साफ है कि देशभर में ट्रैफिक विभाग अब वीआईपी वाहनों पर भी सख्ती बरत रहा है और आम जनता के बीच यह संदेश दे रहा है कि नियम सबके लिए समान हैं।

जनता का नजरिया और संदेश

घटना के बाद आम नागरिकों ने इसे सकारात्मक नजरिए से देखा। बहुत से लोगों का कहना था कि जब मंत्री की गाड़ी नो पार्किंग से उठाई जा सकती है, तो आम लोग भी ट्रैफिक नियमों को लेकर ज्यादा सतर्क होंगे। एक स्थानीय व्यापारी ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से जनता का विश्वास कानून व्यवस्था में बढ़ता है और यह अच्छा है कि पुलिस ने किसी दबाव में आए बिना अपना काम किया।

मीडिया में कवरेज और प्रभाव

स्थानीय अखबारों से लेकर राष्ट्रीय न्यूज चैनलों तक, इस घटना को प्रमुखता से दिखाया गया। डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने इसे दिनभर ट्रेंड में रखा। कुछ चैनलों ने इसे कानून की समानता का सबक बताया, तो कुछ ने इसे राजनीतिक संदेश के रूप में पेश किया।

निष्कर्ष: कानून सबके लिए बराबर

यह घटना एक साधारण ट्रैफिक उल्लंघन से कहीं अधिक बन गई। इसने यह साबित किया कि अगर प्रशासन इच्छाशक्ति दिखाए, तो कानून सब पर बराबरी से लागू किया जा सकता है। चाहे वह आम नागरिक हो या राज्य का कैबिनेट मंत्री, अगर नियम तोड़े जाते हैं, तो कार्रवाई होगी। विधानसभा के बाहर हुई यह घटना आने वाले समय में ट्रैफिक पुलिस और आम जनता दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण सबक के रूप में याद रखी जाएगी।

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