हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जारी मूसलधार बारिश ने राज्य के कई जिलों में तबाही मचा दी है। खासकर मंडी, सिरमौर और कांगड़ा ज़िले सबसे अधिक प्रभावित हैं। मौसम विभाग ने रविवार (6 जुलाई) के लिए इन जिलों में ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है, जबकि अन्य क्षेत्रों के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी हुआ है।
मंडी जिले में अकेले 176 सड़कों समेत पूरे राज्य में लगभग 240 सड़कें बारिश के कारण बंद पड़ी हैं। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में तेज बारिश, भूस्खलन और फ्लैश फ्लड की चेतावनी दी है, जिससे पूरे प्रशासन में अलर्ट की स्थिति बनी हुई है।
रेड अलर्ट: मंडी, सिरमौर और कांगड़ा में भारी से अति भारी बारिश की चेतावनी
स्थानीय मौसम केंद्र के मुताबिक, रविवार को मंडी, सिरमौर और कांगड़ा जिलों के कुछ इलाकों में बहुत भारी से अत्यंत भारी वर्षा की संभावना है। मौसम विभाग ने ‘रेड अलर्ट’ जारी कर लोगों से अपील की है कि वे:
- नदियों, झीलों और नालों से दूर रहें
- कमजोर ढांचों या ढलानों के पास ना जाएं
- अनावश्यक यात्रा से बचें
मौसम विभाग ने बताया कि:
- एक दिन में 115.6 मिमी से 204.4 मिमी बारिश को बहुत भारी वर्षा और
- 204.4 मिमी से अधिक को अत्यंत भारी वर्षा की श्रेणी में रखा जाता है।
ऑरेंज अलर्ट: अन्य जिलों में भी खतरे की आशंका
शनिवार से सोमवार तक ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, सोलन, शिमला और कुल्लू में भी भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग ने इन इलाकों में भूस्खलन, जलभराव, और संपत्ति को नुकसान की चेतावनी दी है।
मंडी बना तबाही का केंद्र: 10 क्लाउडबर्स्ट, 14 मौतें
1 जुलाई को मंडी जिले के गोह्र और थुनाग उपमंडलों में बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन की 10 घटनाएं हुईं, जिनमें 14 लोगों की मौत हो चुकी है और 31 लोग अभी भी लापता हैं।
गौरतलब है कि थुनाग और गोह्र मंडी की नाचन और सेराज विधानसभा क्षेत्रों में आते हैं। सेराज विधानसभा क्षेत्र से विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर विधायक हैं। मंडी ज़िले में सबसे ज़्यादा सड़कें, पुल, बिजली ट्रांसफार्मर और जल योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
मुख्यमंत्री की तैयारियों का दावा
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह से तैयार है और आवश्यक राहत कार्यों को तेज़ी से अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि:
“थुनाग जैसे दुर्गम क्षेत्रों में खच्चरों की मदद से खाद्य सामग्री पहुंचाई जा रही है।”
इसके साथ ही उन्होंने सेराज क्षेत्र में लोगों से अपील की कि जिनके पास अतिरिक्त कमरे या मकान हैं, वे बेघर परिवारों को किराये पर दें। सरकार ऐसे परिवारों का ₹5,000 प्रति माह किराया देगी।
राहत सामग्री और बचाव कार्य
- मंडी प्रशासन ने अब तक 1,317 राहत किट वितरित की हैं
- राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) के अनुसार, अब तक की अनुमानित वित्तीय हानि ₹541 करोड़ आंकी गई है, लेकिन मुख्यमंत्री के अनुसार यह ₹700 करोड़ से अधिक हो सकती है
- 258 ट्रांसफॉर्मर और 289 जल योजनाएं प्रभावित हैं
- स्निफर डॉग्स और आधुनिक तकनीकों की मदद से लापता 31 लोगों की तलाश जारी है
बीजेपी की राहत पहल
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने जानकारी दी कि राहत सामग्री से भरे वाहन राज्य के विभिन्न जिलों से मंडी भेजे जा रहे हैं। उनके अनुसार:
“रविवार तक मंडी में 1,500 राहत किट पहुंचा दिए जाएंगे।”
विपक्ष द्वारा सरकार पर राहत में देरी के आरोपों के बीच यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पिछले वर्ष की तबाही से सबक
2023 में हुई भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ा था:
- 550 से अधिक लोगों की जान गई थी
- सैकड़ों घर, सड़कें और पुल बह गए थे
- पर्यटन उद्योग को भारी झटका लगा था
इस अनुभव को ध्यान में रखते हुए, इस बार प्रशासन ने पूर्व चेतावनी के आधार पर कदम उठाना शुरू कर दिया है।
अब तक कितनी बारिश हुई?
राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में शुक्रवार शाम से शनिवार शाम तक दर्ज की गई वर्षा:
- जोगिंदरनगर – 52 मिमी
- धर्मशाला – 29.9 मिमी
- नाहन और पालमपुर – 28.8 मिमी
- पांवटा साहिब – 21 मिमी
- कांगड़ा – 18.6 मिमी
- ऊना – 18 मिमी
- बर्थिन – 17.4 मिमी
- नैना देवी – 12.6 मिमी
अब तक का जनहानि और क्षति विवरण
- 74 मौतें (20 जून से 6 जुलाई तक)
- इनमें से 47 मौतें सीधे बारिश, भूस्खलन, फ्लैश फ्लड से जुड़ी
- 115 लोग घायल
- 240 सड़कें बंद, यातायात बुरी तरह प्रभावित
- कई गांवों से संपर्क पूरी तरह कटा हुआ
आगामी चुनौतियाँ
- मॉनसून का प्रभाव अभी जारी रहेगा
- 7 और 8 जुलाई के लिए भी ऑरेंज अलर्ट
- ट्रांसपोर्ट, मेडिकल, बिजली और पेयजल आपूर्ति बाधित
- भूस्खलन से कई महत्वपूर्ण मार्ग बंद – जैसे मंडी-पठानकोट, चंबा-भरमौर आदि
प्रशासन की रणनीति
- राजस्व विभाग द्वारा गांव स्तर पर सर्वेक्षण
- PWD और IPH विभाग द्वारा मरम्मत कार्य
- हेलीपैड तैयार जहां सड़क संपर्क टूटा है
- आपातकालीन हेल्पलाइन सक्रिय – टोल फ्री नंबर + राहत केंद्र
विशेषज्ञों की चेतावनी
मौसम विशेषज्ञों और आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि:
- भूमि पहले से गीली हो चुकी है, इसलिए भूस्खलन का खतरा अधिक है
- अचानक बादल फटने की घटनाएं किसी भी समय हो सकती हैं
- नदी किनारे बसे गांवों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश एक बार फिर प्राकृतिक आपदा के प्रहार का सामना कर रहा है। मंडी जिले की स्थिति सबसे अधिक गंभीर है, लेकिन पूरे राज्य में प्रशासन की सक्रियता, सामुदायिक भागीदारी और त्वरित राहत कार्यों से हालात को नियंत्रित करने का प्रयास जारी है।
भविष्य में जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण कार्यों को ध्यान में रखते हुए राज्य को ठोस नीति और सतत शहरी नियोजन की ओर बढ़ना होगा, ताकि ऐसी आपदाओं से होने वाली जान-माल की हानि को न्यूनतम किया जा सके।
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