समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर चुनाव आयोग (Election Commission) और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई बड़े लोकतांत्रिक देशों जैसे अमेरिका और जापान में अब भी बैलट पेपर से चुनाव कराए जाते हैं, जबकि भारत में ईवीएम के प्रयोग पर लगातार विवाद और शक की स्थिति बनी हुई है।
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि “चुनाव आयोग पर समय-समय पर उंगलियां उठती रही हैं। चाहे कोई भी चुनाव हो, निष्पक्ष होना चाहिए। अगर चुनाव पर भरोसा ही खत्म हो जाएगा तो लोकतंत्र पर खतरा आ जाएगा।”
ईवीएम को लेकर सपा का रुख
सपा लंबे समय से बैलट पेपर से चुनाव कराए जाने की मांग उठाती रही है। पार्टी का कहना है कि ईवीएम से चुनाव कराना पूरी तरह पारदर्शी नहीं है और इससे जनता का विश्वास चुनाव प्रक्रिया से उठ सकता है। अखिलेश यादव ने कई बार कहा है कि “अगर चुनाव आयोग को अपनी विश्वसनीयता साबित करनी है तो बैलट पेपर ही सबसे सुरक्षित और पारदर्शी तरीका है।”
अमेरिका-जापान का उदाहरण
अखिलेश यादव ने अपने ताज़ा बयान में अमेरिका और जापान का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि “इन देशों में भी आज तक ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता, वहां बैलट पेपर से ही चुनाव होते हैं। अगर दुनिया की सबसे बड़ी ताकतें बैलट पेपर पर भरोसा करती हैं तो भारत को भी उसी रास्ते पर चलना चाहिए।”
विपक्ष का सुर
सिर्फ समाजवादी पार्टी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दल भी समय-समय पर ईवीएम पर सवाल उठाते रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि ईवीएम को “हैक” किया जा सकता है या चुनावों में “मैनेज” करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि चुनाव आयोग बार-बार यह स्पष्ट कर चुका है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित हैं और इन्हें हैक करना संभव नहीं है।
चुनाव आयोग की स्थिति
ईसीआई (ECI) ने कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह दावा किया है कि भारत में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम “टैंपर-प्रूफ” हैं। आयोग का कहना है कि इनमें किसी तरह का इंटरनेट या वायरलेस कनेक्शन नहीं होता, जिससे इन्हें हैक करना असंभव है। साथ ही आयोग यह भी बताता है कि वोटर वेरीफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) व्यवस्था से मतदाता स्वयं अपने वोट की पुष्टि कर सकता है।
लोकतंत्र की पारदर्शिता पर बहस
अखिलेश यादव के बयान ने एक बार फिर इस बहस को हवा दे दी है कि भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में चुनाव कराने का सबसे बेहतर और पारदर्शी तरीका कौन-सा है — ईवीएम या बैलट पेपर। जहां एक ओर तकनीकी विशेषज्ञ और चुनाव आयोग ईवीएम को सुरक्षित और पारदर्शी बताते हैं, वहीं विपक्षी दल जनता के विश्वास को बहाल करने के लिए बैलट पेपर का विकल्प सामने रखते हैं।
निष्कर्ष
अखिलेश यादव का ताज़ा बयान ईवीएम बनाम बैलट की पुरानी बहस को और तेज कर सकता है। विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाकर सामने रख सकता है, जबकि चुनाव आयोग और सत्तारूढ़ दल ईवीएम की सुरक्षा और पारदर्शिता पर भरोसा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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