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उज्जवल देवराव निकम: आतंक से लड़ने वाले ऊर्जावान अभियोजक का राजनीतिक सफर

Ujjwal Devrao Nikam: Political journey of a dynamic prosecutor who fought terror

परिचय

उज्जवल देवराव निकम, जिन्हें 26/11 मुंबई आतंकी हमले के अभियोजन के लिए याद किया जाता है, को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने हाल ही में राज्यसभा के लिए नामांकित किया है। इस नामांकन की घोषणा से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन कर बधाई दी और एक व्यक्तिगत क्षण साझा किया—मोदी की मराठी में बात करने का यह संवाद खास बन गया। यह घटना उनके सार्वजनिक जीवन में एक नया अध्याय जोड़ रही है।


1. पेशेवर पृष्ठभूमि: 26/11, 1993 बमबारी और अन्य मामले

1.1 26/11 मुंबई आतंकवादी हमला

  • 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए बड़े आतंकी हमले की अभियोजन टीम में उज्जवल निकम का योगदान अतुलनीय है।
  • उन्होंने अजमल कसाब समेत सभी आरोपियों पर मुकदमा चलाया और कसाब को फाँसी पर पहुंचवाया।
  • निकम की मेहनत, सावधानी और दृढ़ता ने अदालतों में केस को मजबूती से पेश करने में मदद की।

1.2 1993 बॉम्ब ब्लास्ट (बंबई धमाके)

  • वर्ष 1993 में मुंबई में हुए संगठित बम धमाकों में उज्जवल निकम मुख्य अभियोजक थे।
  • उन्होंने बड़ी संख्या में आरोपियों को दोषी साबित करते हुए न्याय दिलवाया।
  • इस मामले में निकम ने साबित किया कि वह भारी मुकदमे की विसंगतियों को भी प्रभावी रूप से संभाल सकते हैं।

1.3 अन्य उल्लेखनीय मुकदमे

  • निकम ने संघर्षशील और संवेदनशील मामलों में अपराधियों को न्याय दिलाया, जैसे गैंगस्टर मामलों, मानव-तस्करी एवं हत्या के केस।
  • उनके प्रयास से अपराधियों को संविधानीय विधिक ढांचे में सज़ा दिलाने की परंपरा मजबूत हुई।

2. इंटरव्यू और पीएम मोदी का कॉल: मराठी में सलाह और मिठास

2.1 पीएम मोदी का कॉल

  • ANI के सवाल पर निकम ने बताया कि प्रधानमंत्री पहले ही सुबह उन्हें फोन कर जानकारी देने वाले पहले व्यक्ति थे
  • पीएम ने पूछा, “हिंदी बोले या मराठी?”, दोनों हँसे और फिर मराठी में बात की।
  • यह व्यक्तिगत क्षण केवल सज्जनता नहीं बल्कि मराठी भाषा और महाराष्ट्रीय पहचान के प्रति मित्रवत सम्मान दिखाता है।

2.2 मराठी भाषा की पहचान

  • इस निजी वार्तालाप ने बीजेपी के भाषाई विविधता में सम्मान की छवि को भी मजबूत किया।
  • महाराष्ट्रीय खेमे में यह दृश्यात्मक रूप से पक्षपोषण का संकेत बन गया।

3. राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा नामांकन: शिखर की ओर कदम

3.1 अन्य नामांकित सदस्य

  • हाउस में उज्जवल निकम शामिल हुए हैं साथ ही नामांकित हुए हैं:
    • पूर्व विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला,
    • इतिहासकार मीनाक्षी जैन,
    • शिक्षक-राजनीतिज्ञ C. सदानंदन मास्टर
  • यह विविधता दर्शाती है कि राज्यसभा सांस्कृतिक, शैक्षणिक, कूटनीतिक और कानूनी दृष्टिकोण से संवर्धित हो रही है।

3.2 गृह मंत्रालय की सूचना

  • गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति के नामांकन को आधिकारिक तौर पर सूचीबद्ध किया, जिसमें चारों नामों का उल्लेख था।

4. पीएम मोदी की बधाई: संविधान और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता

प्रधानमंत्री मोदी ने X पर लिखा:

“श्री उज्जवल निकम की कानूनन और संविधान के प्रति निष्ठा अनुकरणीय है। उन्होंने महत्वपूर्ण मामलों में आम नागरिकों का सम्मान बना कर रखा।”

  • पीएम का संदेश निकम के कार्य और व्यक्तित्व की प्रशंसा करता है।
  • यह मान्यता उनके राजनीतिक उपक्रम को बढ़ावा दे रही है।

5. कानूनी-राजनीतिक संकेतक: क्या यह एक नए युग की शुरुआत है?

5.1 न्यायालय के बाद संसदीय पटल

  • अदालतों में बड़े मुकदमों के बाद निकम संसद में अपनी आवाज़ जोड़ सकते हैं।
  • उनकी विधिक समझ और संविधानिक दृष्टिकोण संसद की कानून निर्माण क्षमता को मजबूत करेंगे।

5.2 न्यायिक ड्राइव, नीतिगत असर

  • आतंकवाद, मानव अधिकार एवं न्याय प्रणाली में सुधार संबंधी नीतियों पर निकम का ज्ञान प्रभाव डालेगा।
  • इस पद से वह कानून में सुधार, थर्ड जेंडर अधिकार, आतंकवाद विरोध और सुरक्षा नीतियों की दिशा बदल सकते हैं।

6. संघ संरक्षण और विधायी यात्रा की चुनौतियां

6.1 संसदीय जुड़ाव

  • राज्यसभा सदस्य के रूप में निकम को विधेयक, संसदीय समिति और लोकतांत्रिक बहसों में चुस्त भागीदारी करनी होगी।
  • यह भूमिका उन्हें निर्माता से परिवर्तक और सुझावकर्ता भी बनाएगी।

6.2 मुद्दे और आशंकाएं

  • क्या न्यायिक स्वतंत्रता के रूप में देखा जाने वाला निकम संसदीय दबाव में स्वतंत्र रह पाएंगे?
  • उनकी लम्बी मुकदमेबाजी की छवि क्या संसद में भी कायम रह पाएगी?

7. महाराष्ट्रीय पहचान और राष्ट्रीय बहुज़बान सम्मान

PM की मराठी में बधाई ने एक प्रतीकात्मक वादे को जन्म दिया—कि यह पद केवल कानून-राष्ट्रीयता तक सीमित नहीं, बल्कि भाषा-संस्कृति सम्मान का भी उदाहरण बनेगा।

लोकसभा और राज्यसभा में विभिन्न भाषाओं की पहचान को साथ लेकर चलने का यह कदम लोकतंत्र की व्यापकता को दर्शाता है।


8. शांतिवादी छवि से राजनीतिक पत्र

  • निकम का नामांकन उन्हें राजनीतिक रूप से भी सक्रिय बनाएगा।
  • उनकी सार्वजनिक भूमिका में अदालत से संसद तक की यात्रा पर लोकप्रतिनिधि-हमराह की उम्मीद बढ़ेगी।
  • यह विजय का प्रतीक भी कहा जा सकता है।

9. निष्कर्ष

उज्जवल देवराव निकम का राजदायित्व में कदम केवल जेल-के मामले जीतने की रणनीति नहीं, बल्कि यह न्याय, संविधान और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। पीएम मोदी की बधाई, मराठी में संवाद और राष्ट्रपति का नामांकन—इन सभी ने यह संकेत दिया कि निकम का संसदीय सफर कानूनी जिम्मेदारी, भाषायी विविधता और लोकतांत्रिक संवर्धन को मजबूती देगा।

उनका संसदीय अध्याय अब शुरू होता है, जिसमें उनकी संवैधानिक प्रतिबद्धता, न्याय सेवाओं का अनुभव और सांस्कृतिक पहचान लोकतंत्र को एक सशक्त नई दिशा देंगे।

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