पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला है।
बोनगांव में आयोजित एक विरोध रैली के दौरान ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र संस्था न रहकर ‘बीजेपी कमीशन’ बन गया है।
उन्होंने SIR को लेकर कहा कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची में बड़े बदलाव लाने वाली है, जिसका प्रभाव जनता को मसौदा सूची आने के बाद समझ आएगा।
“बीजेपी राजनीतिक रूप से मेरा मुकाबला नहीं कर सकती” — ममता
रैली में ममता बनर्जी ने बीजेपी को चेतावनी देते हुए कहा—
> “अगर बीजेपी बंगाल में मुझे नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगी, तो मैं पूरे भारत में उसकी नींव हिला दूंगी।”
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा उन्हें चुनावी मैदान में नहीं हरा सकती, इसलिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं के ज़रिये माहौल बनाया जा रहा है।
बीजेपी का पलटवार: “12 राज्यों में SIR चल रहा है, केवल बंगाल में शोर क्यों?”
ममता बनर्जी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए
बंगाल बीजेपी अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा—
SIR प्रक्रिया पूरे भारत में लागू है
12 राज्यों में पहले से जारी है
फिर सिर्फ़ बंगाल में इतनी आपत्ति क्यों?
बीजेपी का आरोप है कि मौजूदा मतदाता सूची में भारी गड़बड़ियाँ हैं और ममता बनर्जी उसी पर आधारित चुनाव चाहती हैं।
भट्टाचार्य ने दावा किया—
> “पश्चिम बंगाल में एक महिला का नाम आठ अलग-अलग जगह दर्ज है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए SIR जरूरी है।”
चुनाव आयोग को पत्र: दो बड़े मुद्दों पर तत्काल हस्तक्षेप की मांग
सोमवार को ममता बनर्जी ने
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर दो चुनाव संबंधी हालिया निर्देशों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने अपने ‘X’ अकाउंट पर पत्र साझा करते हुए सवाल उठाया—
> “क्या ये फैसले किसी एक राजनीतिक दल के हित में लिए जा रहे हैं?”
हालाँकि पत्र में मुद्दों का विस्तृत विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन ममता ने SIR प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए।
SIR क्या है? क्यों बढ़ा विवाद?
SIR यानी Special Intensive Revision—मतदाता सूची की गहन समीक्षा की प्रक्रिया।
चुनाव आयोग इसे देशभर में लागू कर चुका है ताकि—
नकली वोट हटाए जा सकें
दोहराव खत्म हो
मृत मतदाताओं के नाम हटाए जा सकें
नई प्रविष्टियाँ सत्यापन के साथ जुड़ सकें
बंगाल में इस प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक टकराव बढ़ गया है।
निष्कर्ष
SIR प्रक्रिया को लेकर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ रहा है।
एक ओर तृणमूल कांग्रेस इसे “साजिश” और “मतदाता अधिकारों से छेड़छाड़” बता रही है,
तो दूसरी ओर बीजेपी इसे सिस्टम सुधारने की राष्ट्रीय प्रक्रिया बताकर ममता के विरोध को प्रश्नों के घेरे में रख रही है।













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