उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से एक बेहद दर्दनाक और सनसनीखेज घटना सामने आई है। यहाँ 15 वर्षीय छात्र कुलदीप जो अपनी पढ़ाई के साथ-साथ घर का खर्च चलाने के लिए पानीपुरी का ठेला लगाता था, अपहरण के बाद मृत पाया गया। इस घटना ने न केवल इलाके में दहशत फैला दी है बल्कि कानून-व्यवस्था और बच्चों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना की शुरुआत
कुलदीप कानपुर के पनकी इलाके का रहने वाला था। रोज़ की तरह 13 अगस्त की रात भी वह पानीपुरी का ठेला लेकर घर से निकला था। देर रात तक उसके घर न लौटने पर परिवार ने उसकी तलाश शुरू की।
CCTV से मिला सुराग
पुलिस ने जब जांच शुरू की तो आसपास के क्षेत्रों की CCTV फुटेज खंगाली गई। एक फुटेज में कुलदीप रात लगभग 11 बजे के बाद ठेला लेकर हाईवे की तरफ जाते हुए दिखाई दिया। इसके बाद उसका कोई सुराग नहीं मिला। परिवार और पुलिस ने मिलकर कई जगह खोजबीन की, लेकिन नतीजा हाथ नहीं आया।
शव मिलने से मचा हड़कंप
14 अगस्त की सुबह शिवली इलाके में सड़क किनारे एक अज्ञात शव पड़ा होने की सूचना मिली। पुलिस मौके पर पहुंची और पहचान की प्रक्रिया शुरू की। थोड़ी ही देर में परिजन भी वहां पहुंचे और शव की पहचान कुलदीप के रूप में हुई। यह खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया और पूरे इलाके में गुस्सा फैल गया।
हत्या की आशंका
प्राथमिक जांच में सामने आया है कि कुलदीप की मौत सामान्य नहीं थी बल्कि हत्या की गई थी। हालांकि, पुलिस अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है ताकि मौत के सही कारणों का पता चल सके। पुलिस का मानना है कि मामला अपहरण और फिर हत्या का हो सकता है।
पुलिस की जांच
कानपुर पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष टीम गठित की है। आसपास के CCTV फुटेज को खंगाला जा रहा है और उस हाईवे पर रात में आने-जाने वाले वाहनों की भी जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि कहीं यह मामला लूटपाट या पुरानी रंजिश का तो नहीं है।
इलाके में दहशत और गुस्सा
इस घटना से पनकी और शिवली इलाके के लोग सहमे हुए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कुलदीप बेहद मेहनती और सीधा-सादा लड़का था, जो पढ़ाई के साथ परिवार की मदद करता था। उसकी हत्या ने सभी को झकझोर दिया है। स्थानीय लोगों ने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और कड़ी सजा दी जाए।
नाबालिग मजदूरी और सुरक्षा का सवाल
यह घटना एक और गंभीर पहलू को सामने लाती है — नाबालिग बच्चों का काम करने के लिए मजबूर होना। कुलदीप महज 15 साल का था और पढ़ाई के साथ पानीपुरी का ठेला चलाता था। यह स्थिति बताती है कि आर्थिक मजबूरियां बच्चों को जोखिम भरे हालात में धकेल देती हैं। साथ ही, बच्चों की सुरक्षा को लेकर समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े करती है।
निष्कर्ष
कानपुर की यह वारदात सिर्फ एक हत्या का मामला नहीं है, बल्कि समाज की कई परतों को उजागर करती है — गरीबी, मजबूरी, नाबालिगों की सुरक्षा और अपराध का बढ़ता खतरा। अब देखना यह होगा कि पुलिस अपनी जांच से कितनी जल्दी आरोपियों तक पहुंचती है और न्याय दिलाती है।
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