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राजा रघुवंशी हत्या मामला: पिता का बड़ा आरोप—“बहू सोनम करती थी जादू-टोना, बेटे पर किया था असर”

तेरहवीं सभा में बेटे को याद करते राजा रघुवंशी के माता-पिता

इंदौर।
मेघालय में अपने हनीमून के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मारे गए इंदौर निवासी राजा रघुवंशी की मौत को लेकर अब नया मोड़ सामने आया है। राजा के पिता अशोक रघुवंशी ने अपनी बहू और आरोपी सोनम रघुवंशी पर जादू-टोना करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने यह बात इंदौर में आयोजित बेटे की तेरहवीं सभा के दौरान मीडिया से बातचीत में कही।


“घर के दरवाजे पर टांग दी थी रहस्यमयी पोटली”


राजा के पिता अशोक रघुवंशी ने दावा किया कि सोनम अपने साथ एक तांत्रिक पोटली लाई थी, जिसे उसने राजा से उनके घर के मुख्य दरवाजे पर टंगवाया था। जब अशोक रघुवंशी ने इस बारे में बेटे से पूछा तो राजा ने कहा, “सोनम कहती है कि इससे बुरी नज़र नहीं लगती।”


उन्होंने आगे कहा, “अब जब मेरे बेटे की हत्या हो चुकी है, तो मुझे लगता है कि वह जादू-टोना में यकीन रखती थी और शायद मेरे बेटे पर किसी नकारात्मक ऊर्जा का असर डलवाया गया।”


“हत्यारों को मिले फांसी”—मां उमा रघुवंशी की मांग


राजा रघुवंशी की मां उमा रघुवंशी ने भी अपने दर्द को साझा करते हुए कहा कि सोनम और राजा दोनों की कुंडलियों में मांगलिक दोष था। बावजूद इसके, शादी सोनम के परिवार के एक पंडित द्वारा बताए गए मुहूर्त के अनुसार पारंपरिक रीति-रिवाज़ों से की गई थी। उन्होंने कहा, “हमें लगता था कि सब ठीक रहेगा, लेकिन जो हुआ, उसने हमें तोड़कर रख दिया है। हम बस चाहते हैं कि दोषियों को फांसी की सजा मिले।”


हत्या या हादसा? जांच जारी


गौरतलब है कि राजा और सोनम हाल ही में शादी के बाद हनीमून के लिए मेघालय गए थे, जहां राजा की मौत हो गई थी। शुरू में यह मामला हादसा बताया गया था, लेकिन बाद में परिस्थितियां और जांच के दौरान मिले साक्ष्य हत्या की ओर इशारा करने लगे।


राजा की मौत को लेकर सोनम को मुख्य आरोपी माना जा रहा है, और पुलिस जांच अभी भी जारी है। अब मृतक के परिजन इसे पूरी तरह सुनियोजित हत्या मानते हुए अंधविश्वास और काला जादू से भी जोड़ रहे हैं।


समाज में फिर चर्चा में तंत्र-मंत्र और ज्योतिष


इस घटना ने एक बार फिर समाज में ज्योतिषीय विश्वासों, तांत्रिक गतिविधियों और काले जादू जैसे विषयों को चर्चा में ला दिया है। जहां एक ओर लोग वैज्ञानिक सोच की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह के मामलों में अंधविश्वास की गूंज आज भी सुनाई देती है।

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