राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार दोपहर भारी बारिश ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। कई इलाकों में जलभराव, यातायात जाम और तापमान में अचानक गिरावट देखी गई। मौसम विभाग ने अगले दो दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है और साथ ही बिजली गिरने तथा गरज के साथ बारिश की चेतावनी दी है।
दिल्ली के कनहैया नगर और अन्य कई क्षेत्रों से आई तस्वीरों में साफ देखा गया कि बारिश ने सड़कों को पूरी तरह जलमग्न कर दिया। लोगों को दफ्तरों से लौटने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा और मेट्रो स्टेशन व बस स्टैंड्स पर भारी भीड़ जमा हो गई।
दिल्ली में भारी बारिश: गर्मी से राहत, पर साथ आई मुसीबतें
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र पिछले कई दिनों से उमस और भीषण गर्मी की चपेट में था। शुक्रवार की दोपहर अचानक मौसम ने करवट ली और तेज़ बारिश शुरू हो गई। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा है कि अगले 48 घंटे तक इसी तरह के मौसम की संभावना है। येलो अलर्ट के अंतर्गत लोगों को सावधान रहने की सलाह दी गई है, विशेष रूप से उन इलाकों में जहां जलभराव की स्थिति बन सकती है।
IMD के मुताबिक, “तेज हवा, बिजली गिरने और गरज-चमक के साथ बारिश” की संभावना जताई गई है। मौसम में इस तरह का बदलाव एक ओर तो गर्मी से राहत लेकर आया है, लेकिन दूसरी ओर सड़कों पर ट्रैफिक जाम और पानी भरने की घटनाएं भी बढ़ी हैं।
13 राज्यों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी
दिल्ली की तरह ही देश के कई हिस्सों में मानसून ने रफ्तार पकड़ ली है। मौसम विभाग ने 13 राज्यों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इन राज्यों में अत्यधिक वर्षा, बिजली गिरने और तेज़ हवाओं की संभावना जताई गई है। ये राज्य हैं:
- राजस्थान
- मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र
- ओडिशा
- गोवा
- कर्नाटक
- अरुणाचल प्रदेश
- असम
- मिजोरम
- मणिपुर
- नागालैंड
- मेघालय
- त्रिपुरा
मौसम विभाग के अनुसार, इन राज्यों में अगले कुछ दिनों तक अत्यधिक बारिश हो सकती है जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विशेषकर उत्तर-पूर्वी राज्यों में जलभराव और भूस्खलन की संभावना बढ़ गई है।
हिमाचल, उत्तराखंड और पंजाब में भी भारी बारिश की चेतावनी
उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों में भी मौसम विभाग ने 9 जुलाई तक भारी बारिश की संभावना जताई है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों में मानसून की सक्रियता तेज़ हो गई है। पहाड़ी इलाकों में सड़कें बंद होने, भूस्खलन और नदियों के जलस्तर में वृद्धि की आशंका है।
हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी 5 जुलाई से 9 जुलाई तक रुक-रुक कर बारिश होने की संभावना है। वहीं जम्मू क्षेत्र में 5 से 8 जुलाई तक लगातार बारिश की संभावना जताई गई है।
दिल्ली में पहली बार होगी कृत्रिम बारिश
एक और बड़ी खबर यह है कि दिल्ली में पहली बार कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) की योजना बनाई गई है। इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना है।
IIT कानपुर द्वारा तैयार किया गया फ्लाइट प्लान भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के पुणे कार्यालय को सौंपा गया है, जहां से इसे तकनीकी स्वीकृति मिल चुकी है। योजना के मुताबिक, 4 जुलाई से 11 जुलाई के बीच दिल्ली में बादलों में क्लाउड सीडिंग के ज़रिए कृत्रिम वर्षा कराई जाएगी।
क्या है क्लाउड सीडिंग और कैसे होती है कृत्रिम वर्षा?
क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसमें विमान के ज़रिए बादलों में विशेष रसायन (जैसे सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड) छिड़के जाते हैं ताकि जलवाष्प संघनित होकर बारिश के रूप में गिर सके। यह तकनीक तब प्रयोग की जाती है जब बादलों की मौजूदगी हो, लेकिन प्राकृतिक रूप से वर्षा न हो रही हो।
दिल्ली सरकार और IIT कानपुर का यह संयुक्त प्रयास देश की राजधानी में वायु प्रदूषण से जूझ रही आबादी के लिए एक राहत देने वाला कदम साबित हो सकता है। खासतौर पर सर्दियों में जब पराली जलाने, गाड़ियों के धुएं और उद्योगों के कारण AQI खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है।
क्या हैं येलो और ऑरेंज अलर्ट?
भारत मौसम विभाग आम जनता और प्रशासन को मौसम से जुड़ी चेतावनियों के लिए चार प्रकार के रंग आधारित अलर्ट जारी करता है:
- ग्रीन अलर्ट: कोई खतरा नहीं, सामान्य स्थिति
- येलो अलर्ट: सतर्क रहने की आवश्यकता, मौसम में बदलाव की संभावना
- ऑरेंज अलर्ट: मौसम गंभीर हो सकता है, प्रशासन को तैयारी रखनी चाहिए
- रेड अलर्ट: अत्यधिक गंभीर स्थिति, आपातकालीन कार्रवाई की जरूरत
दिल्ली और अन्य राज्यों में मौजूदा हालात को देखते हुए येलो और ऑरेंज अलर्ट बहुत अहम हो जाते हैं, क्योंकि ये नागरिकों को समय रहते सतर्क करने का काम करते हैं।
आम जनता के लिए सुझाव
- बिजली चमकने और तेज़ बारिश के समय खुले स्थानों पर न रहें
- पेड़ के नीचे खड़े होने से बचें
- जलभराव वाले इलाकों से दूर रहें
- घरों और कार्यालयों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सुरक्षित रखें
- मौसम अपडेट्स पर नियमित नज़र रखें
मानसून की प्रगति: कृषि और जल संसाधन पर असर
भारत में मानसून केवल मौसम से जुड़ा विषय नहीं है, बल्कि कृषि, जलस्तर और अर्थव्यवस्था से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। उत्तर भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश से जहां एक ओर खेती के लिए जल की उपलब्धता बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर बाढ़ और फसल नष्ट होने का खतरा भी बना रहेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि जुलाई के पहले और दूसरे सप्ताह में मानसून की तीव्रता और फैलाव बढ़ेगा। दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में अगले 10 दिनों तक रुक-रुक कर भारी बारिश की संभावना बनी रहेगी।
निष्कर्ष
इस बार मानसून दिल्ली और पूरे उत्तर भारत में पूरी ताकत से सक्रिय हो गया है। जहां एक ओर गर्मी से राहत मिल रही है, वहीं जलभराव, ट्रैफिक जाम और बिजली गिरने जैसी घटनाएं भी सामने आ रही हैं। IMD की चेतावनियों को नजरअंदाज करना अब खतरनाक साबित हो सकता है।
कृत्रिम वर्षा की योजना दिल्ली के लिए एक नई शुरुआत है, जो आने वाले वर्षों में प्रदूषण से निपटने का अहम उपकरण बन सकती है। फिलहाल जनता को चाहिए कि वह मौसम विभाग की सलाह का पालन करे और सतर्क रहे। प्रशासन को भी चाहिए कि वह अलर्ट के अनुसार तैयारियां पूरी रखे ताकि किसी भी आपात स्थिति में आम जनता को सुरक्षा मिल सके।
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