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ग्वालियर की पूनम जाटव हत्याकांड: बहुविवाह, धोखाधड़ी, हत्या और संपत्ति विवाद की 11 साल पुरानी खौफनाक कहानी

Pune rape case: Entered the house posing as a delivery boy, raped – accused arrested, police conducting a thorough investigation

प्रस्तावना

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक महिला की गिरफ्तारी ने पुलिस प्रशासन को हिला कर रख दिया। एक मामूली-सी चोरी की घटना के पीछे जब जांच शुरू हुई, तो सामने आई एक ऐसी महिला की कहानी, जिसने एक नहीं बल्कि कई अपराधों को अंजाम दिया – दो शादियाँ, कई प्रेम संबंध, एक हत्या की नाकाम कोशिश और अंततः अपनी सास की योजनाबद्ध हत्या।

29 वर्षीय पूनम उर्फ पूजा जाटव की गिरफ्तारी ने एक ऐसा सच उजागर किया, जो समाज के नैतिक ढांचे, पारिवारिक मूल्यों और कानून व्यवस्था को झकझोर देने वाला है। झांसी में हुई उसकी सास सुशीला देवी की हत्या के बाद जो खुलासे हुए, उन्होंने पुलिस को भी हैरान कर दिया।


घटना का प्रारंभ: 24 जून की रात और एक झूठा अलार्म

24 जून 2024 की रात उत्तर प्रदेश के झांसी में एक हत्या होती है। 60 वर्षीय सुशीला देवी, अपने घर में मृत पाई जाती हैं। प्रारंभिक दृष्टि में मामला चोरी और हत्या का प्रतीत होता है। घर से लाखों रुपये के गहने और नकदी गायब है, इसलिए पुलिस मानती है कि किसी लुटेरे ने घटना को अंजाम दिया।

लेकिन जब पुलिस ने परिवार के सदस्यों से पूछताछ शुरू की, तो हर जवाब एक नई कहानी की ओर इशारा करता गया। और अंततः संदेह की सुई पहुंची उस महिला पर जो अब तक परिवार की सदस्य, पत्नी और बहू के रूप में जानी जाती थी – पूनम उर्फ पूजा जाटव


पूजा का आपराधिक इतिहास: एक दशक पुराना अंधेरा

पहली शादी और हत्या की नाकाम साजिश

पुलिस के अनुसार, पूजा का आपराधिक रिकॉर्ड 11 साल पुराना है। उसने मध्यप्रदेश में एक युवक से प्रेम विवाह किया था। लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही दोनों में वित्तीय विवाद शुरू हो गए। पूजा ने अपने पति को रास्ते से हटाने के लिए एक शूटर को सुपारी दी। गोली चली, पति घायल हुआ, लेकिन बच गया।

घटना के बाद पीड़ित ने पूजा के खिलाफ हत्या की साजिश रचने का मामला दर्ज करवाया। पूजा को जेल हुई, लेकिन कुछ समय बाद वह जमानत पर रिहा हो गई।


कोर्ट के चक्कर और दूसरी मोहब्बत

जेल से छूटने के बाद जब पूजा कोर्ट में पेशी पर जाती रही, तभी उसकी मुलाकात एक और अपराधी कल्याण से हुई, जो पहले से कई आपराधिक मामलों में नामजद था। दोनों के बीच गुप्त संबंध बन गए। वजह थी – पूजा पहले से विवाहित थी और कल्याण दूसरी जाति से था।

कुछ समय बाद दोनों झांसी में लिव-इन में रहने लगे। लेकिन किस्मत ने एक और करवट ली – कल्याण की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।


ससुराल में दूसरी शादी: मृत प्रेमी के भाई से संबंध

कल्याण की मौत के बाद पूजा उसके घरवालों के पास गई और आर्थिक मदद की गुहार लगाई। उसने वहीं रहना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे कल्याण के बड़े भाई संतोष के करीब आ गई। संतोष पहले से विवाहित और एक बच्चे का पिता था, लेकिन पूजा से निकटता बढ़ती गई और दोनों ने शादी कर ली।

पूजा अब कल्याण के भाई संतोष की पत्नी और सुशीला देवी की बहू बन चुकी थी।


संपत्ति विवाद और हत्या की तैयारी

कुछ समय बाद, पूजा ने कल्याण के हिस्से की संपत्ति बेचने की योजना बनाई। इसमें संतोष और उसके पिता अजय सिंह ने तो सहमति दे दी, लेकिन सुशीला देवी ने इसका कड़ा विरोध किया। वे चाहती थीं कि मृत बेटे की विरासत का उपयोग परिवार के भले में हो, न कि किसी बाहरी के हित में।

बस यहीं से पूजा ने अपने वास्तविक रंग दिखाना शुरू किया। उसने अपनी बहन कामिनी और उसके प्रेमी अंकित के साथ मिलकर सास को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली। इसके बदले पूजा ने उन्हें भूमि बिक्री से मिलने वाली राशि का आधा हिस्सा देने का वादा किया।


हत्या की साजिश और क्रियान्वयन

24 जून को पूजा ने संतोष और उसके पिता अजय को ग्वालियर बुलाया, अपनी बेटी के जन्मदिन के बहाने। जैसे ही दोनों बाहर गए, कामिनी और अंकित झांसी पहुंचे।

पुलिस के अनुसार:

  • पहले सुशीला देवी को बेहोश करने के लिए इंजेक्शन का इस्तेमाल किया गया।
  • फिर उसे रस्सी से गला दबाकर मार डाला गया
  • हत्या के बाद, दोनों आरोपियों ने घर से ₹8 लाख नकद और गहने लेकर फरार हो गए।

पूरी वारदात को ऐसे अंजाम दिया गया कि यह चोरी के दौरान हुई हत्या लगे।


जांच, गिरफ्तारी और कबूलनामे

घटना के बाद संतोष की पहली पत्नी, जो पहले से पूजा से नाराज़ थी, ने हत्या में पूजा की भूमिका पर संदेह जताया। पुलिस ने जब संतोष और अजय सिंह से पूछताछ की, तो उन्होंने भी पूजा के व्यवहार पर सवाल उठाए।

फिर ग्वालियर पुलिस ने पूजा को गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान पूजा टूट गई और पूरी साजिश स्वीकार कर ली। उसने न केवल हत्या की बात मानी, बल्कि अपनी बहन कामिनी और अंकित के नाम भी बताए।

बाद में दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने उनके पास से:

  • इंजेक्शन
  • गला दबाने के लिए इस्तेमाल की गई रस्सी
  • चोरी की गई नकदी और कुछ गहने बरामद कर लिए।

सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और कानूनी विश्लेषण

यह मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं है। यह नैतिक पतन, अपराध की आदत, और लोभ की पराकाष्ठा का प्रतीक बन चुका है।

1. बहुविवाह और विवाह संस्थान पर सवाल

पूजा की दो शादियाँ और लिव-इन रिश्ते सामाजिक ढांचे को झकझोरते हैं। विवाह संस्था को उसने केवल एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया – पहले सुरक्षा, फिर संपत्ति और अंततः अधिकार के लिए।

2. महिलाओं द्वारा संगठित अपराध

यह मामला उस विचारधारा को तोड़ता है कि महिलाएं केवल पीड़िता होती हैं। पूजा और उसकी बहन कामिनी ने एक सोची-समझी साजिश रची, उसे अंजाम दिया और नफे के लिए अपनों को मारा।

3. कानून का दुरुपयोग और सामाजिक संरचना पर चोट

पूजा पहले ही एक हत्या की कोशिश में आरोपी रही है, जमानत पर छूटी और फिर नया अपराध किया। यह जमानत प्रक्रिया और पुनरावृत्ति अपराधियों के प्रति न्याय प्रणाली की चुनौती को उजागर करता है।


अब क्या आगे?

फिलहाल पूजा, कामिनी और अंकित न्यायिक हिरासत में हैं। पुलिस आगे की जांच में जुटी है कि:

  • क्या इन आरोपियों ने पहले भी कोई और संगीन अपराध किए हैं?
  • क्या पूजा ने अन्य संपत्तियों या रिश्तों में भी धोखा दिया है?
  • क्या कोई और इस साजिश में शामिल था?

अदालत में मामले की सुनवाई जल्द शुरू होने की संभावना है और अभियोजन पक्ष पूजा को कठोरतम सजा दिलाने की कोशिश करेगा।


निष्कर्ष: जब अपराध आदत बन जाए

पूजा जाटव का यह मामला यह दिखाता है कि जब नैतिकता का पतन, लोभ का अंधापन और कानून से बचने का आत्मविश्वास एकसाथ मिल जाते हैं, तो एक व्यक्ति कितनी खतरनाक बन सकता है।

जहां एक ओर यह घटना कानून और प्रशासन के लिए चुनौती है, वहीं समाज के लिए भी एक चेतावनी है – कि अपराधियों का चेहरा हमेशा डरावना नहीं होता, कभी-कभी वह हमारे बीच मुस्कराते हुए रहता है।

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