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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नामीबिया यात्रा: अफ्रीका में भारत की रणनीतिक दस्तक का अंतिम पड़ाव

PM Narendra Modi's visit to Namibia: The last leg of India's strategic foray into Africa

भूमिका: पांच देशों की कूटनीतिक यात्रा का समापन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुचर्चित पांच देशों की विदेश यात्रा अपने अंतिम पड़ाव – नामीबिया – पर पहुंच चुकी है। बुधवार को ब्राज़ील दौरे के बाद पीएम मोदी विंडहोक (Windhoek) के लिए रवाना हुए। नामीबिया की यह यात्रा किसी भारतीय प्रधानमंत्री की तीसरी आधिकारिक राजकीय यात्रा है, लेकिन पीएम मोदी की पहली व्यक्तिगत यात्रा है। यह दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक है – अफ्रीका के साथ भारत की गहराती साझेदारी, संसदीय संबोधन, डिजिटल कनेक्टिविटी और सांस्कृतिक एकता की पुनः पुष्टि।

इस रिपोर्ट में हम जानेंगे:

  • पीएम मोदी का नामीबिया एजेंडा
  • अब तक के चार देशों की यात्रा के प्रमुख बिंदु
  • भारत-नामीबिया संबंधों का ऐतिहासिक और भविष्य दृष्टिकोण
  • अफ्रीका में भारत की नई रणनीतिक मौजूदगी का क्या अर्थ है?

नामीबिया दौरा: ऐतिहासिक संबंधों की पुनः पुष्टि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा नामीबिया की राष्ट्रपति नेतुम्बो नंदी-नदैतवाह (Netumbo Nandi-Ndaitwah) के निमंत्रण पर हो रही है। यह राष्ट्रपति पद पर आसीन होने के बाद नंदी-नदैतवाह से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मुलाकात होगी।

भारत और नामीबिया के संबंध औपनिवेशिक दौर से ही गहराई लिए हुए हैं। भारत ने नामीबिया की स्वतंत्रता संग्राम में नैतिक समर्थन और सहायता दी थी। 1990 में जब नामीबिया को स्वतंत्रता मिली, तो भारत उन पहले देशों में था जिसने राजनयिक संबंध स्थापित किए। पीएम मोदी की यह यात्रा उसी ऐतिहासिक जुड़ाव को दोहराती है।


नामिबिया दौरे का प्रमुख एजेंडा क्या है?

प्रधानमंत्री मोदी की नामीबिया यात्रा का कार्यक्रम व्यापक और बहुआयामी है:

  1. राष्ट्रपति नंदी-नदैतवाह के साथ द्विपक्षीय वार्ता:
    • व्यापार, ऊर्जा, खनिज संसाधन, डिजिटल सहयोग, शिक्षा और स्वास्थ्य पर समझौते
    • नामीबिया में भारतीय निवेश बढ़ाने की संभावनाओं पर चर्चा
    • रक्षा, समुद्री सुरक्षा और साइबर सुरक्षा में साझेदारी का विस्तार
  2. नामिबिया की संसद में विशेष संबोधन:
    • अफ्रीका के लोकतांत्रिक विकास में भारत की भूमिका का उल्लेख
    • संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता
    • जलवायु परिवर्तन, सतत विकास और युवाओं को सशक्त बनाने के भारत के अनुभव साझा
  3. डॉ. सैम नुजोमा को श्रद्धांजलि:
    • नामीबिया के प्रथम राष्ट्रपति और स्वतंत्रता सेनानी
    • भारत-नामिबिया संबंधों में उनकी भूमिका को सम्मानित करना
  4. समुदायिक कार्यक्रम और भारतवंशियों से मुलाकात:
    • नामीबिया में बसे भारतीय मूल के नागरिकों से संवाद
    • भारत के सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति को सुदृढ़ करना

भारत-नामिबिया संबंध: सहयोग की नई मंज़िलें

खनिज और ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी:

नामीबिया खनिज संसाधनों से समृद्ध देश है – विशेषकर यूरेनियम, हीरे, तांबा और दुर्लभ धातुएं। भारत की ऊर्जा और औद्योगिक ज़रूरतों को देखते हुए नामीबिया के साथ साझेदारी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

वन्यजीव संरक्षण और चीतों की वापसी:

2022 में भारत ने नामीबिया से चीता पुनर्वास कार्यक्रम के तहत चीतों को मध्यप्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित किया। यह भारत-अफ्रीका वन्यजीव सहयोग का अनूठा उदाहरण बना।

शिक्षा और तकनीकी सहयोग:

भारत ने नामीबिया के युवाओं के लिए ITEC (Indian Technical and Economic Cooperation) स्कॉलरशिप और डिजिटल स्किलिंग प्रोग्राम शुरू किए हैं।


ब्राज़ील, अर्जेंटीना, घाना और त्रिनिदाद की यात्रा: संक्षिप्त झलक

पीएम मोदी की यह यात्रा केवल अफ्रीका-केंद्रित नहीं थी, बल्कि इसमें लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों के साथ भारत के वैश्विक संबंधों का भी विस्तार हुआ।


1. घाना (पहला पड़ाव, 3 जुलाई):

  • 30 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा
  • अक्रा की संसद में ऐतिहासिक संबोधन
  • पीएम मोदी ने कहा: “भारत अफ्रीका के विकास में भरोसेमंद साझेदार है।”
  • समझौते:
    • सौर ऊर्जा, कृषि तकनीक, स्वास्थ्य सेवाएं और डिजिटल इंडिया पहल पर सहयोग
    • E-Vidya कार्यक्रम और UPI प्रणाली की स्थापना पर चर्चा

2. त्रिनिदाद और टोबैगो (3-4 जुलाई):

  • पीएम मोदी की यात्रा कमला पर्साद-बिसेसर के निमंत्रण पर
  • डिजिटल सहयोग में बड़ी उपलब्धि – त्रिनिदाद भारत के BHIM-UPI सिस्टम को लागू करने वाला विश्व का 8वां देश बना।
  • भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ भावनात्मक जुड़ाव
  • फीज़ी, सूरीनाम और मॉरीशस जैसे देशों के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंधों को और बल मिला

3. अर्जेंटीना (5-6 जुलाई):

  • 57 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा
  • सहयोग के नए क्षेत्र:
    • डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग
    • फार्मास्युटिकल्स
    • स्पेस टेक्नोलॉजी
    • ट्रेड और इन्वेस्टमेंट
  • भारत-अर्जेंटीना रणनीतिक भागीदारी को “ग्लोबल साउथ” के संदर्भ में मज़बूती मिली

4. ब्राज़ील (7-9 जुलाई):

  • 17वां BRICS शिखर सम्मेलन, रियो डी जनेरियो
  • जलवायु न्याय, वैश्विक उत्तर-दक्षिण संतुलन और ब्रिक्स मुद्रा को लेकर भारत का पक्ष मज़बूती से रखा
  • ब्राज़ील का सर्वोच्च नागरिक सम्मानGrand Collar of the National Order of the Southern Cross पीएम मोदी को प्रदान किया गया
    यह सम्मान केवल उन्हीं को दिया जाता है जिन्होंने ब्राज़ील के साथ असाधारण सहयोग किया हो

भारत की अफ्रीका नीति में नामीबिया की भूमिका

भारत की ‘10 Guiding Principles for Africa’ नीति में प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में स्पष्ट किया था कि अफ्रीका भारत की विदेश नीति का केन्द्रबिंदु है। नामीबिया उन देशों में है जो लोकतंत्र, संसाधन और रणनीतिक स्थिति के कारण भारत के लिए महत्वपूर्ण है।

नामीबिया:

  • अटलांटिक तट से सटा हुआ देश
  • चीन और पश्चिमी देशों के निवेश का केंद्र
  • भारत के ब्लू इकोनॉमी, समुद्री सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद अहम

UPI Diplomacy और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का विस्तार

त्रिनिदाद की यात्रा में UPI को लागू किए जाने की घोषणा भारत की डिजिटल डिप्लोमेसी का हिस्सा है। अब भारत इस तकनीक को नामीबिया और अन्य अफ्रीकी देशों में भी लागू करने की योजना बना रहा है।

डिजिटल पब्लिक गुड्स, जैसे:

  • आधार आधारित पहचान
  • डिजिटल भुगतान
  • डिजिटल शिक्षा मंच
    अब भारत के वैश्विक एक्सपोर्ट का हिस्सा बनते जा रहे हैं।

सांस्कृतिक और वैश्विक दक्षिण की एकता का संदेश

पीएम मोदी की इस यात्रा में एक खास बात रही – “Global South” (वैश्विक दक्षिण) की आवाज़ को मज़बूती देना। चाहे वह अफ्रीका हो या लैटिन अमेरिका, प्रधानमंत्री ने हर मंच पर यह स्पष्ट किया कि:

“भारत अब केवल एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि वैश्विक दक्षिण की आवाज़ है।”


निष्कर्ष: पांच देशों की यात्रा, एक संदेश – ‘भारत अब कूटनीति का नेतृत्व कर रहा है’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्राज़ील से लेकर नामीबिया तक की यात्रा केवल विदेश नीति का आयोजन नहीं, बल्कि एक नव-उदार और सशक्त भारत की वैश्विक छवि का निर्माण है।

  • भारत अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के लिए केवल एक व्यापारिक साझेदार नहीं,
  • बल्कि संवेदनशील, तकनीकी रूप से सक्षम, सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ और लोकतांत्रिक साथी बनकर उभरा है।

नामीबिया यात्रा के साथ यह पांच देशों की रणनीतिक यात्रा समाप्त हो रही है – लेकिन इसके आर्थिक, भू-राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव आने वाले वर्षों में भारत की वैश्विक भूमिका को गहराई देंगे।

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