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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीन देशों का दौरा: कूटनीति, सम्मान और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक

PM Narendra Modi's three-nation visit: A symbol of diplomacy, respect and emotional bonding

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों तीन देशों – साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया की राजकीय यात्रा पर हैं। यह दौरा न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें लोगों के भावनात्मक जुड़ाव की भी एक बेहद मार्मिक झलक देखने को मिली। खासतौर पर, कनाडा में भारतीय मूल के एक बच्चे ‘आहदविक’ द्वारा पीएम मोदी के लिए बनाया गया स्केच, इस दौरे को और भी मानवीय और आत्मीय बना देता है।


🔹 कूटनीतिक महत्व: वैश्विक संबंधों को नई दिशा

तीनों देशों की यात्रा पर रवाना होते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने एक बयान में कहा कि यह दौरा भारत के ऐतिहासिक रिश्तों को मज़बूत करने का अवसर है। उन्होंने कहा,

“यह यात्रा ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने और व्यापार, निवेश, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में हमारे संबंधों को बढ़ाने और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करती है।”

साइप्रस और क्रोएशिया जैसे यूरोपीय देशों के साथ भारत के व्यापार और रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना इस दौरे का एक अहम उद्देश्य है। वहीं, कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेना, वैश्विक मुद्दों पर भारत की सक्रिय भूमिका को दर्शाता है। जी7 सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा, “वैश्विक दक्षिण” की आवाज़ को मंच प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।


🔹 जी7 सम्मेलन में भारत की भूमिका

प्रधानमंत्री मोदी, साइप्रस से कनाडा के कनानास्किस शहर पहुंचे हैं, जहां वे प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के निमंत्रण पर G7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में भाग लेंगे। इस सम्मेलन का उद्देश्य है—

  • जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीतियां,
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था में समावेशिता,
  • टेक्नोलॉजी व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर सहयोग,
  • वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को प्राथमिकता देना।

पीएम मोदी ने कहा कि वे सम्मेलन में शामिल अन्य देशों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श को लेकर उत्साहित हैं। यह भारत के लिए एक और अवसर है कि वह वैश्विक मंचों पर अपनी कूटनीतिक ताकत और नेतृत्व क्षमता को स्थापित करे।


🔹 मानवीय जुड़ाव: नन्हा आहदविक और उसका स्केच

इस दौरे के दौरान एक भावनात्मक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें कनाडा के टोरंटो शहर में रहने वाले भारतीय मूल के एक परिवार ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपने भावनात्मक जुड़ाव को अभिव्यक्त किया।

वीडियो को भारतीय महावाणिज्य दूतावास, टोरंटो के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट किया गया है। इसमें देखा गया कि—

  • नन्हा आहदविक, बड़ी उत्सुकता और श्रद्धा से पीएम मोदी का पेंसिल स्केच हाथ में पकड़े हुए है।
  • उसकी मां निहारिका, लखनऊ की रहने वाली हैं, और उन्होंने वीडियो में कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री उनके देश से कनाडा आ रहे हैं।
  • उसके पिता शशांक, जो कि वाराणसी के रहने वाले हैं, उन्होंने भी आभार व्यक्त किया और पीएम मोदी को “भारत का गौरव” बताया।

पोस्ट में लिखा गया,

“नन्हा आहदविक और उसके माता-पिता माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की कनाडा यात्रा से पहले अपनी खुशी और आभार व्यक्त करते हैं। उत्साह और खुशी से भरा आहदविक प्रधानमंत्री का एक स्केच पेश करता है – सीधे दिल से एक कलात्मक इशारा।”

इस वीडियो को देखकर यह साफ़ है कि पीएम मोदी की छवि सिर्फ एक नेता की नहीं, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत, एक राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में उभर रही है—जो देश और विदेशों में बसे भारतीयों के दिलों से जुड़ी हुई है।


🔹 भारतीय समुदाय की भूमिका

कनाडा में भारतीय प्रवासी समुदाय की बड़ी आबादी है, जो भारत के साथ भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंध बनाए रखे हुए है। पीएम मोदी के आगमन से वहां गर्व, उत्साह और उमंग का माहौल है। हर बार की तरह, भारतीय समुदाय ने एक बार फिर दिखाया है कि वे अपने देश और संस्कृति से कितनी गहराई से जुड़े हुए हैं।

प्रधानमंत्री के लिए यह भी एक अवसर है कि वे प्रवासी भारतीयों से मिलकर उनके अनुभव, चुनौतियां और योगदान को समझें और भारत-कनाडा संबंधों को लोगों के स्तर पर और अधिक मज़बूती दें।


🔹 निष्कर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह तीन देशों का दौरा महज़ कूटनीतिक एजेंडे तक सीमित नहीं है। यह दौरा राजनीति, कूटनीति और जनभावनाओं के मेल का एक सुंदर उदाहरण बन चुका है। जी7 सम्मेलन में भारत की भागीदारी जहां भारत को वैश्विक मुद्दों पर नेतृत्व प्रदान करती है, वहीं टोरंटो के नन्हे आहदविक की मासूम अभिव्यक्ति यह दिखाती है कि भारतीय प्रधानमंत्री आज केवल एक राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि विश्व भारतीयों के दिलों में बसे एक प्रतीक हैं।

इस यात्रा की सफलता न केवल राजनयिक उपलब्धियों में गिनी जाएगी, बल्कि यह भी याद रखा जाएगा कि कैसे एक बच्चे का स्केच इस पूरे दौरे की आत्मा बन गया – एक “दिल से निकला नमस्ते”, जो दिल्ली से लेकर टोरंटो तक गूंजा।

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