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ऑपरेशन सिंधु: ईरान से भारतीय छात्रों की सुरक्षित घर वापसी का पहला चरण सफल

Operation Sindhu: First phase of safe return of Indian students from Iran successful

दिल्ली में गूंजे “भारत माता की जय” के नारे, भावुक हुए छात्र और परिजन


भूमिका: संघर्ष के बीच उम्मीद की उड़ान
जब चारों तरफ युद्ध और अनिश्चितता का माहौल हो, तब किसी नागरिक को अपने देश की सरकार और सेना पर भरोसा होता है कि वह उसे सुरक्षित घर वापस लाएगी। ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला 21 जून, 2025 की रात को, जब ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से भारत के लिए उड़ान भरने वाला विशेष विमान नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुरक्षित उतरा। इस विमान में 290 भारतीय छात्र सवार थे, जिनमें से अधिकांश जम्मू-कश्मीर से हैं।

यह निकासी अभियान भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए एक बहु-स्तरीय प्रयास का हिस्सा है, जो संघर्षग्रस्त ईरान में फंसे हजारों भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए किया जा रहा है। यह ऑपरेशन अपने पहले चरण में ही कई मायनों में ऐतिहासिक और भावुक क्षणों का गवाह बना।


ईरान में क्यों फंसे थे भारतीय नागरिक?
ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते युद्ध के चलते पश्चिम एशिया का पूरा इलाका अस्थिरता की चपेट में है। हालात इतने खराब हो गए कि एयरस्पेस बंद कर दिए गए, सड़कों पर सेना तैनात हो गई और सामान्य जीवन पूरी तरह ठहर गया। ऐसे में, लगभग 10,000 भारतीय नागरिक, जिनमें मेडिकल और टेक्निकल क्षेत्र के छात्र, प्रोफेशनल्स और श्रमिक शामिल हैं, फंस कर रह गए थे।

इनमें से बड़ी संख्या में छात्र तेहरान, मशहद और क़ोम जैसे शहरों में रह रहे थे। युद्ध बढ़ने के साथ ही इन्हें पहले सुरक्षित शहरों में ट्रांसफर किया गया, और फिर भारत सरकार ने निकासी की रणनीति पर काम शुरू किया।


ईरान का सहयोग: सीमित एयरस्पेस की अनुमति
दिल्ली स्थित ईरानी दूतावास के मिशन उपप्रमुख मोहम्मद जावेद हुसैनी ने इस बात की पुष्टि की कि ईरान ने भारत के अनुरोध पर अपना बंद एयरस्पेस भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए आंशिक रूप से खोला। उन्होंने कहा:

“हम भारतीयों के लिए सुरक्षित गलियों की व्यवस्था कर रहे हैं, ताकि वे सड़क या हवाई मार्ग से तीसरे देशों के रास्ते भारत लौट सकें।”

यह कदम इस बात को भी दर्शाता है कि भारत और ईरान के बीच कूटनीतिक संबंध कितने मजबूत हैं, और संघर्ष की घड़ी में भी मानवीय पहलुओं को प्राथमिकता दी जा रही है।


दिल्ली एयरपोर्ट पर भावुक स्वागत
जैसे ही विमान दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा, “भारत माता की जय” और “हिंदुस्तान जिंदाबाद” के नारों से टर्मिनल 3 गूंज उठा। छात्र एक ओर जहां भावुक थे, वहीं उनके परिजन उन्हें देखकर राहत की सांस ले रहे थे।

ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज की छात्रा सेहरिश रफीक ने एएनआई को बताया:

“ईरान में स्थिति भयावह थी। पहले हमें अंदाजा नहीं था कि हालात इतने खराब हो जाएंगे। हम सभी कश्मीरी भारत सरकार के बेहद आभारी हैं।”

नोएडा की रहने वाली तज़किया फातिमा ने कहा:

“वहां युद्ध जैसी स्थिति थी। हमने कभी नहीं सोचा था कि इतने कठिन हालात से इतनी आसानी से बाहर निकल सकेंगे। लेकिन भारत सरकार की कार्रवाई ने सब कुछ आसान कर दिया।”


“ऑपरेशन सिंधु”: एक सुनियोजित रणनीति
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरुण कुमार चटर्जी ने बताया कि इस ऑपरेशन का नाम “ऑपरेशन सिंधु” रखा गया है, जो भारत की सभ्यता और शांतिपूर्ण निकासी के प्रतीक स्वरूप लिया गया है।

उन्होंने कहा:

“इस ऑपरेशन के तहत कई चरणों में नागरिकों को लाया जाएगा। पहला विमान सफलतापूर्वक दिल्ली पहुंच चुका है, दो और विशेष चार्टर्ड उड़ानें शनिवार को आने वाली हैं।”

इनमें से एक फ्लाइट तुर्कमेनिस्तान के अश्गाबात से रवाना होगी, जहां भारतीय नागरिकों को ट्रांजिट के लिए सुरक्षित पहुँचाया गया है।


दूतावास बना संकट में जीवन रेखा
छात्रों ने यह भी बताया कि जब सभी साधन खत्म हो चुके थे, तब केवल भारत का दूतावास ही उनका सहारा बना। पुलवामा के मीर मोहम्मद मुशर्रफ ने कहा:

“हम तेहरान में फंसे हुए थे, मकान मालिक तक हमें छोड़कर चले गए थे। लेकिन भारतीय दूतावास लगातार संपर्क में रहा और हमें पूरी प्रक्रिया में मार्गदर्शन देता रहा।”


राजनीतिक नेतृत्व को धन्यवाद
कई निकासीकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया। उनका कहना था कि सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया और योजनाबद्ध निकासी से ही वे सुरक्षित घर पहुंच पाए।


आगे की योजना क्या है?
भारत सरकार ने औपचारिक रूप से अभी निकासी सलाह (Evacuation Advisory) जारी नहीं की है, लेकिन सभी भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और अनावश्यक आवाजाही से बचने की अपील की गई है। भारतीय दूतावास द्वारा हॉटलाइन और हेल्प डेस्क सक्रिय कर दिए गए हैं।

शेष नागरिकों को भी सुरक्षित निकालने के लिए जल्द ही और उड़ानों की घोषणा की जाएगी। साथ ही, भारत ने ईरान, आर्मेनिया, तुर्कमेनिस्तान और यूएई जैसे देशों के साथ समन्वय बनाकर ट्रांजिट कॉरिडोर भी सक्रिय किए हैं।


निष्कर्ष: संकट में सशक्त नेतृत्व और संवेदनशील कूटनीति
ऑपरेशन सिंधु भारत की उस नीति का उदाहरण है जिसमें नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि होती है। यह सिर्फ एक एयरलिफ्ट नहीं, बल्कि सरकार की तत्परता, रणनीतिक तैयारी और मानवीय दृष्टिकोण का प्रमाण है।

जिस प्रकार से सरकार, दूतावास और सुरक्षा एजेंसियों ने मिलकर यह पहला चरण सफल बनाया, वह सराहनीय है। और सबसे बड़ी बात—वो चेहरों की मुस्कान, जो घर लौटते वक्त आंखों में खुशी और राहत की चमक लेकर आई।

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