केरल में एक बार फिर से निपाह वायरस (Nipah Virus – NiV) का खतरा मंडरा रहा है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कोझिकोड, मलप्पुरम और पलक्कड जिलों में अलर्ट जारी किया है, जहां दो मामलों की पुष्टि हुई है। दोनों मरीज क्रमशः पलक्कड और मलप्पुरम जिलों से हैं। स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल रोकथाम उपायों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है और इन क्षेत्रों में विशेष निगरानी शुरू कर दी गई है।
कैसे हुई निपाह की पुष्टि?
पहला मामला मलप्पुरम जिले की 17 वर्षीय लड़की का है, जिसकी 1 जुलाई को मृत्यु हो गई थी। उसे शुरुआत में कोझिकोड के एक निजी अस्पताल में एन्सेफेलाइटिस (दिमागी बुखार) के संदेह में भर्ती किया गया था। बाद में 3 जुलाई को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में उसके शव का पोस्टमॉर्टम किया गया, जिसके बाद निपाह संक्रमण की पुष्टि हुई। इस पोस्टमॉर्टम में शामिल डॉक्टर और स्टाफ को अब क्वारंटीन में रखा गया है।
दूसरा मामला पलक्कड जिले के नट्टुक्कल की 38 वर्षीय महिला का है। उन्हें बुखार की शिकायत के चलते पहले तीन अलग-अलग निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें पेरिन्थलमन्ना के एक निजी अस्पताल में शिफ्ट किया गया। उनका पहला निपाह परीक्षण मंजेरी मेडिकल कॉलेज में हुआ, जिसके बाद सैंपल को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भेजा गया। वहां से निपाह संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है।
NIV पुणे की पुष्टि और सतर्कता
इन दोनों मामलों की फाइनल पुष्टि NIV, पुणे से हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने उच्च स्तरीय बैठक के बाद तीनों जिलों में तत्काल रोकथाम प्रोटोकॉल लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत:
- हर जिले में 26 समितियां गठित की गई हैं।
- पुलिस विभाग की मदद से संक्रमितों के संपर्कों की सूची तैयार की जा रही है।
- राज्य और ज़िला स्तरीय हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाएंगे।
- संक्रमित क्षेत्रों को कंटेनमेंट ज़ोन घोषित करने का आदेश दिया गया है।
- संपर्क-निरोध और जन-जागरूकता अभियान भी शुरू किए जा रहे हैं।
पलक्कड और मलप्पुरम के ज़िला कलेक्टरों को इन आदेशों को अमल में लाने की जिम्मेदारी दी गई है।
निपाह वायरस क्या है?
निपाह वायरस (NiV) एक ज़ूनोटिक वायरस है, यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। इसके प्रमुख स्रोत फल खाने वाले चमगादड़ (fruit bats) माने जाते हैं। यह वायरस:
- संक्रमित जानवरों या उनके तरल पदार्थ (जैसे लार, पेशाब) से इंसानों में फैल सकता है।
- संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में भी फैल सकता है, खासकर लंबे और नज़दीकी संपर्क के माध्यम से।
- संक्रमित भोजन, जैसे कि चमगादड़ के संपर्क में आया हुआ फल, खाने से भी संक्रमण संभव है।
निपाह वायरस कितना खतरनाक है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस से होने वाली मृत्यु दर 40% से 75% के बीच होती है। यह दर इलाज की उपलब्धता और संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करती है। निपाह के लक्षणों में शामिल हैं:
- तेज बुखार
- सिरदर्द
- उल्टी
- भ्रम या मानसिक असंतुलन
- दौरे (seizures)
- कोमा तक पहुंच जाने वाली हालत
इसका कोई निश्चित इलाज या टीका नहीं है। इलाज केवल लक्षणों के आधार पर supportive care के रूप में किया जाता है।
2018 में केरल में निपाह का पहला प्रकोप
केरल में निपाह वायरस का पहला मामला 2018 में सामने आया था। उस समय 17 लोगों की मौत हुई थी और कुल 18 मामलों की पुष्टि हुई थी। उस प्रकोप के दौरान भी कोझिकोड जिला सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ था। सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियों ने तब बड़े पैमाने पर रोकथाम अभियान चलाया था।
इस बार क्या अलग है?
इस बार, स्वास्थ्य विभाग पहले से ज़्यादा सतर्क और सक्रिय नजर आ रहा है:
- NIV पुणे से तेजी से पुष्टि कराई जा रही है।
- कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और कंटेनमेंट तुरंत शुरू कर दिए गए हैं।
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट पर रखा गया है, और अस्पतालों को निपाह संक्रमण के मामलों की पहचान के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
- हेल्पलाइन और संचार नेटवर्क को सक्रिय किया जा रहा है, ताकि अफवाहों से बचा जा सके।
निष्कर्ष
निपाह वायरस का दोबारा प्रकोप केरल के लिए गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है। हालांकि अभी तक मामलों की संख्या सीमित है, लेकिन इसका उच्च मृत्यु दर और तेज़ी से फैलने की संभावना इसे अत्यंत संवेदनशील बनाती है।
सरकार ने जो अलर्ट जारी किया है और जो प्रतिबंधात्मक कदम उठाए हैं, वे समय पर और महत्वपूर्ण हैं। आम जनता को भी चाहिए कि वे सतर्क रहें, अफवाहों से बचें, और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
केरल की स्वास्थ्य प्रणाली ने 2018 और 2021 में निपाह और कोविड जैसी आपात स्थितियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। इस बार भी यदि सरकार, चिकित्सकीय संस्थान और आम जनता मिलकर संयम और सावधानी बरतें, तो इस संकट को जल्द नियंत्रण में लाया जा सकता है।
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