देश के कई हिस्सों में मॉनसून की रफ्तार ने भयावह रूप धारण कर लिया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने देश के विभिन्न हिस्सों के लिए भारी से अति भारी बारिश की चेतावनियां जारी की हैं। खासतौर पर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पूर्वोत्तर भारत के इलाकों में जल प्रलय जैसे हालात बन चुके हैं। भारी बारिश के चलते बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और भूस्खलन से तबाही
हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को हुई भारी बारिश ने तबाही मचा दी। मंडी जिले में 11 बादल फटने की घटनाएं, 4 फ्लैश फ्लड और एक बड़े भूस्खलन की खबर है। अब तक इन घटनाओं में 13 लोगों की मौत हो चुकी है। मौसम विभाग ने राज्य के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है और अगले 24 घंटों के लिए फ्लैश फ्लड की चेतावनी दी है। आने वाले दिनों में हिमाचल प्रदेश, विशेषकर मंडी, चंबा, कांगड़ा और कुल्लू जिलों में भारी से अति भारी बारिश की संभावना जताई गई है।
केदारनाथ यात्रा पर फिर से लगा ब्रेक
उत्तराखंड में भी हालात चिंताजनक हैं। गुरुवार, 3 जुलाई को भारी बारिश के कारण सोनप्रयाग के पास मुनकटिया में हुए भूस्खलन के चलते केदारनाथ यात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। मलबे और पत्थरों से रास्ता पूरी तरह बाधित हो गया है। प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। गौरिकुंड से लौट रहे कुछ तीर्थयात्री भूस्खलन क्षेत्र में फंसे थे, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।
उत्तर-पश्चिम भारत: राजस्थान, पंजाब और उत्तराखंड में भारी बारिश की संभावना
उत्तर-पश्चिम भारत में मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि पूर्वी राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में आने वाले दिनों में भारी से अति भारी बारिश हो सकती है। खासतौर पर 3 जुलाई को पूर्वी राजस्थान में अत्यंत भारी वर्षा की चेतावनी दी गई है। हिमाचल और उत्तराखंड में 5 से 7 जुलाई के बीच भारी वर्षा के आसार हैं।
महाराष्ट्र और गोवा: कोंकण बेल्ट में मॉनसून का दबदबा
महाराष्ट्र के घाट क्षेत्रों और कोंकण-गोवा में भी भारी बारिश का दौर जारी है। मौसम विभाग ने कोंकण और गोवा के लिए 3 जुलाई को अत्यंत भारी वर्षा का अलर्ट जारी किया है। घाट क्षेत्रों—जैसे महाबलेश्वर, पुणे और सतारा—में 3, 6 और 7 जुलाई को भारी बारिश के संकेत दिए गए हैं।
पूर्व और मध्य भारत: मप्र, बिहार, झारखंड, ओडिशा सतर्क
पूर्वी और मध्य भारत में भी मॉनसून सक्रिय है। मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और ओडिशा में अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की संभावना है। विशेषकर पूर्वी मध्य प्रदेश में 3 से 7 जुलाई के बीच बहुत भारी बारिश हो सकती है। इन क्षेत्रों के निचले इलाकों में जलजमाव और छोटे जलप्रवाहों में बाढ़ जैसी स्थितियां बन सकती हैं।
पूर्वोत्तर भारत: मेघालय में अति भारी वर्षा का अनुमान
पूर्वोत्तर राज्यों में अगले 7 दिनों तक मध्यम से भारी वर्षा के साथ आंधी-तूफान और बिजली गिरने की घटनाएं हो सकती हैं। मेघालय में 6 जुलाई को अत्यधिक भारी बारिश की संभावना जताई गई है। असम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भी भारी बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ने की आशंका है।
दक्षिण भारत: कर्नाटक और केरल में चेतावनी
दक्षिण भारत में कर्नाटक के तटीय और आंतरिक इलाकों में 3 जुलाई को अत्यधिक भारी बारिश हो सकती है। केरल, माहे और कर्नाटक में 3 से 6 जुलाई तक भारी वर्षा का दौर जारी रहने की संभावना है। कर्नाटक के उत्तर कन्नड़, उडुपी और चिकमंगलूर जिलों में अलर्ट जारी किया गया है।
रेल और सड़क यातायात पर असर
देश के कई हिस्सों में भारी बारिश के कारण रेल यातायात प्रभावित हुआ है। उत्तराखंड, हिमाचल और महाराष्ट्र में कई सड़कों पर भूस्खलन और जलभराव की वजह से गाड़ियाँ फँस गई हैं। विशेषकर पर्यटन क्षेत्रों में फँसे यात्रियों को निकालने के लिए हेलिकॉप्टर सेवाएं तैयार रखी गई हैं।
प्रशासन की तैयारी और राहत कार्य
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की कई टीमें प्रभावित राज्यों में तैनात की गई हैं। स्थानीय प्रशासन ने स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है और नदी किनारे बसे गाँवों को सतर्क रहने की सलाह दी है। राहत और पुनर्वास कार्य तेजी से जारी हैं।
चेतावनी और सुझाव
भारतीय मौसम विभाग ने सभी राज्यों को सतर्क किया है और नागरिकों से आग्रह किया है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें, नदी-नालों के पास न जाएं और सरकारी निर्देशों का पालन करें। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
निष्कर्ष:
देश में मॉनसून का प्रभाव इस समय चरम पर है और कई राज्यों में जल संकट, भूस्खलन और यात्रा बाधित हो चुकी है। मौसम विभाग की चेतावनियों को गंभीरता से लेना और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करना हर नागरिक का दायित्व है। फिलहाल जरूरत है कि हम आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में सहयोग करें ताकि जनहानि को रोका जा सके और स्थिति जल्द से जल्द सामान्य हो सके।
अगर आपको इस रिपोर्ट का लघु संस्करण या किसी राज्य विशेष पर केंद्रित लेख चाहिए, तो कृपया बताएं।
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