तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में हुई सिगाची इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड की फैक्ट्री में भीषण विस्फोट की त्रासदी अब एक गंभीर आपराधिक मामले का रूप ले चुकी है। पाशमायलारम इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित इस फैक्ट्री में दो दिन पहले हुए धमाके में अब तक 36 मजदूरों की मौत हो चुकी है, जबकि इतने ही लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। इस हादसे ने राज्य भर में हड़कंप मचा दिया है, और अब सामने आई एफआईआर में इस घटना के लिए सीधे तौर पर कंपनी प्रबंधन को ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
FIR में गंभीर धाराएं, हत्या सरीखा अपराध दर्ज
संगारेड्डी पुलिस ने मृतक कर्मचारियों में से एक के परिजन की शिकायत के आधार पर कंपनी प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। एफआईआर भारतीय दंड संहिता की जगह अब लागू भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई है। इनमें शामिल हैं:
- धारा 105 – हत्या के समान परंतु हत्या न माने जाने वाले अपराध (Culpable Homicide not amounting to murder)
- धारा 110 – हत्या जैसे अपराध की कोशिश
- धारा 117 – जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना
ये धाराएं दर्शाती हैं कि पुलिस इस हादसे को महज एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक गंभीर लापरवाही और आपराधिक उदासीनता का मामला मान रही है।
क्या कहा है शिकायतकर्ता ने?
इस मामले में शिकायत दर्ज कराई है यशवंत राजनाला ने, जिनके पिता राजनाला वेंकट जगर मोहन इस फैक्ट्री में पिछले 20 साल से कार्यरत थे। यशवंत ने अपने बयान में कहा है कि उनके पिता और अन्य कर्मचारी लगातार कंपनी प्रबंधन से यह कहते आ रहे थे कि फैक्ट्री में लगी मशीनें बेहद पुरानी हो चुकी हैं और किसी भी समय हादसा हो सकता है। मगर कंपनी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।
एफआईआर में दर्ज बयानों के अनुसार, “कई बार कंपनी प्रबंधन को मौखिक और लिखित रूप से मशीनों को बदलने की मांग की गई, क्योंकि इनसे किसी भी वक्त जानलेवा खतरा उत्पन्न हो सकता था। लेकिन कंपनी ने कोई ध्यान नहीं दिया।”
हादसे के दिन क्या हुआ?
यशवंत बताते हैं कि 29 जून की सुबह करीब 9:30 बजे फैक्ट्री में अचानक जोरदार धमाका हुआ। उनके चाचा (पिता के छोटे भाई) राम मोहन राव ने उन्हें करीब 11 बजे कॉल कर यह सूचना दी। यशवंत जब तक पटंचेरु के सरकारी क्षेत्रीय अस्पताल पहुंचे, उनके पिता की मौत हो चुकी थी। शव की पहचान उन्होंने खुद की।
उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी की लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी ने न केवल उनके पिता की, बल्कि 35 अन्य लोगों की जान ले ली।
फैक्ट्री के पास नहीं था फायर डिपार्टमेंट से NOC
हादसे के बाद जांच में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। तेलंगाना फायर डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सिगाची इंडस्ट्रीज़ ने कभी भी उनके विभाग से “नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट” (NOC) के लिए आवेदन ही नहीं किया था। उन्होंने कहा,
“कोई भी इंडस्ट्रियल यूनिट जब फायर NOC के लिए आवेदन करती है, तो एक तकनीकी समिति उसकी समीक्षा करती है। मगर सिगाची यूनिट ने आज तक कभी आवेदन ही नहीं किया, इसलिए उन्हें NOC जारी नहीं किया गया।”
अधिकारी ने यह भी बताया कि यूनिट में न फायर अलार्म थे, न हीट सेंसर, और न ही आपातकालीन निकास के पर्याप्त इंतजाम। यानी एक खतरनाक केमिकल यूनिट चल रही थी, बिना किसी सुरक्षा मानक के।
कंपनी की आपराधिक लापरवाही
शिकायत और एफआईआर से स्पष्ट है कि यह दुर्घटना टाली जा सकती थी। कर्मचारियों ने समय रहते चेतावनी दी थी, सुरक्षा मानकों की लगातार अनदेखी की गई, और पुरानी मशीनरी को हटाने की कोई कोशिश नहीं की गई। यह सब इस ओर इशारा करता है कि कंपनी ने सिर्फ मुनाफे को प्राथमिकता दी, और मानव जीवन को तुच्छ समझा।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर NOC ली गई होती, और सुरक्षा जांच हुई होती, तो इस यूनिट को चलाने की अनुमति शायद कभी न मिलती। अब जब हादसा हो चुका है, तो प्रशासनिक जांच और कानूनी कार्रवाई के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता।
सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
यह मामला न केवल कंपनी की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि स्थानीय प्रशासन और औद्योगिक सुरक्षा निरीक्षण प्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
- अगर NOC नहीं था, तो यह यूनिट अब तक कैसे चालू थी?
- क्या स्थानीय प्रशासन ने कभी निरीक्षण नहीं किया?
- क्या मजदूर कल्याण और श्रम विभाग ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया?
यदि समय रहते किसी सरकारी एजेंसी ने इस फैक्ट्री की स्थिति का संज्ञान लिया होता, तो शायद आज 36 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
आगे की कार्रवाई क्या हो सकती है?
वर्तमान में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और कंपनी प्रबंधन के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। यदि जांच में यह साबित हो जाता है कि कंपनी ने जानबूझकर खतरनाक मशीनों को चालू रखा, और सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज किया, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर जेल की सज़ा तय मानी जा सकती है।
इसके अलावा सरकार की ओर से पीड़ित परिवारों को मुआवजा, घायलों को नि:शुल्क इलाज, और दोषी अधिकारियों के खिलाफ निलंबन या बर्खास्तगी की भी मांग उठ रही है।
निष्कर्ष
सिगाची इंडस्ट्रीज़ की यह त्रासदी एक गहरी सीख है – कि लापरवाही, लालच और नियमों की अनदेखी आखिरकार जानलेवा साबित होती है। अब समय आ गया है कि सरकार न सिर्फ इस मामले में सख्त कार्रवाई करे, बल्कि अन्य सभी इंडस्ट्रियल यूनिट्स का भी सुरक्षा ऑडिट करवाए, ताकि आगे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
यह सिर्फ हादसा नहीं, एक सिस्टम की विफलता है – और इसकी कीमत इंसानों ने अपने जीवन से चुकाई है।
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