झारखंड पुलिस और सुरक्षा बलों को नक्सल मोर्चे पर एक बड़ी कामयाबी मिली है। पश्चिम सिंहभूम जिले में हुई एक मुठभेड़ में भाकपा (माओवादी) का एरिया कमांडर अरुण मारा गया। उस पर 2 लाख रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस को मौके से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद हुए हैं।
मुठभेड़ की पूरी कहानी
सूत्रों के अनुसार सुरक्षा बलों को खुफिया सूचना मिली थी कि अरुण अपने दस्ते के साथ इलाके में सक्रिय है और किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की तैयारी में है। इसके बाद पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया। जंगल में घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में घंटों चली मुठभेड़ के बाद अरुण ढेर हो गया।
मारे गए नक्सली की पहचान
पुलिस ने बताया कि मारा गया नक्सली भाकपा (माओवादी) का एरिया कमांडर अरुण था, जो लंबे समय से सुरक्षा बलों के लिए सिरदर्द बना हुआ था। उसके खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज थे जिनमें पुलिस पर हमले, रंगदारी वसूलना और ग्रामीणों में दहशत फैलाना शामिल है।
हथियारों का जखीरा बरामद
मुठभेड़ स्थल से पुलिस ने एके-47 राइफल, इंसास रायफल, पिस्तौल, बड़ी मात्रा में कारतूस और विस्फोटक सामग्री बरामद की है। यह हथियार इस बात का सबूत हैं कि अरुण और उसका गिरोह किसी बड़े हमले की योजना बना रहा था।
पुलिस और प्रशासन का बयान
झारखंड पुलिस ने इस सफलता को बड़ी उपलब्धि बताया है। अधिकारियों के मुताबिक, “अरुण की मौत से नक्सलियों के नेटवर्क को बड़ा झटका लगेगा। सुरक्षा बलों का मनोबल और ऊँचा हुआ है और आने वाले दिनों में और अभियान तेज़ किया जाएगा।”
स्थानीय लोगों की राहत
सिंहभूम क्षेत्र के ग्रामीण लंबे समय से नक्सलियों की गतिविधियों से परेशान थे। अरुण के मारे जाने की खबर से लोगों ने राहत की सांस ली है। ग्रामीणों का कहना है कि वे शांति और विकास चाहते हैं, न कि बंदूक और खून-खराबा।
नक्सल मोर्चे पर आगे की चुनौती
भले ही अरुण जैसे बड़े नक्सली के मारे जाने से सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ा है, लेकिन अभी भी जंगलों में कई छोटे-बड़े नक्सली सक्रिय हैं। उनके खिलाफ लगातार ऑपरेशन चलाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।
निष्कर्ष
सिंहभूम मुठभेड़ झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ चल रही मुहिम का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। अरुण जैसे कुख्यात नक्सली का खात्मा इस ओर इशारा करता है कि राज्य सरकार और सुरक्षा बल नक्सली उन्मूलन के लिए गंभीर हैं। अब देखना यह होगा कि आने वाले महीनों में इस अभियान से इलाके में शांति और विकास किस हद तक स्थापित हो पाता है।
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