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कोल्हापुरी चप्पल बनाम प्राडा: बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज की जनहित याचिका, जीआई अधिकार पर फिर छिड़ी बहस

Kolhapuri chappals vs Prada: Bombay HC dismisses PIL, debate on GI rights rekindles

फाइल-अप: बॉम्बे हाई कोर्ट में पीआईएल

विवाद का आख़री मंज़र

  • बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी, जिसमें इटैलियन फैशन हाउस Prada पर आरोप था कि उसकी नई ‘toe-ring sandals’ (प्रदर्शित ₹1 लाख प्रति जोड़ी) कोल्हापुरी चप्पल के बिना अनुमति वाले डिज़ाइन उपयोग थी।
  • चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की पीठ ने न्यायाधीशों से पूछा कि याचिकाकर्ता जिन पांच एडवोकेट्स ने यह PIL दायर की है, उन्हें इस मामले में कानूनी औचित्य “locus standi” (योग्यता) क्यों प्राप्त होनी चाहिए।

मुख्य तर्क

  1. निवेदकों का ‘लोकेस’ सवाल
    • अदालत ने कहा: “आपको कोल्हापुरी चप्पल का स्वामित्व नहीं है, तो आपका कानूनी अधिकार किस आधार पर है?”
    • कोर्ट के अनुसार, PIL में सार्वजनिक हित होना चाहिए — और यदि कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित (aggrieved) नहीं है, तो उसे यह अधिकार नहीं मिलता।
  2. GI टैग के रजिस्टर्ड स्वामी का अधिकार
    • याचिका में दावा था कि कोल्हापुरी चप्पल भौगोलिक संकेत (GI) अधिनियम के तहत संरक्षित है।
    • लेकिन कोर्ट कहा: GI रजिस्टर्ड प्रोप्राइटर ही उचित कानूनी व्यक्ति है जो यह दावा कर सकता है—अन्य किसी का नहीं।

निर्णय

  • PIL अप्राथमिकता से खारिज की गई।
  • कोर्ट ने कहा कि rजिस्टर्ड प्रोप्राइटर या aggrieved व्यक्ति ही आगे आकर दावा करते। तत्काल सुनवाई बंद, “विस्तृत निर्देश/ऑर्डर बाद में” देने का आश्वासन।

कोल्हापुरी चप्पल: कानूनी और सांस्कृतिक पहचान

1. कोल्हापुरी चप्पल की ऐतिहासिक पैठ

  • महाराष्ट्र की विशिष्ट हस्तशिल्प विरासत; कोल्हापुर, सांगली–जिलों से जुड़ी।
  • पीठों पर जाली (tope) और चमड़े की बनावट इसकी पहचान।
  • यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में रोजगार का स्रोत है, सैकड़ों साल पुरानी शिल्पकला का प्रतीक।

2. भौगोलिक संकेत (GI) संरक्षण

  • कोल्हापुरी चप्पल को 2019 में GI टैग मिला (Geographical Indications of Goods [Registration and Protection] Act, 1999 के तहत)।
  • इसका मतलब है: केवल कोल्हापुर विशिष्ट शिल्पकार इसे “कोल्हापुरी” नाम से बेच सकते हैं।
  • CI (कॉमन इंफ्रिंजमेंट) में दूसरों के लिए GI की अनुमति जरूरी।

3. Prada की प्रस्तुति

  • Prada की ‘toe-ring sandals’ को याचिका में कथित तौर पर “भ्रामक समानता” जैसा दिखाया गया।
  • यदि यह कोल्हापुरी डिज़ाइन की नक़ल या कॉपीराइट/ब्रांड उल्लंघन है, तो GI स्टेटस इसे रोकेगा।

4. कानूनी ढांचा

  • GI अधिनियम के अंतर्गत, उल्लंघन के मामले में औद्योगिक विकास कार्यालय (GI Registry) और ट्रिब्यूनल कार्रवाई कर सकता है।
  • आम नागरिक केवल न्यायाधीश नहीं बन सकते, जब तक प्रत्यक्ष हानि न हो – जैसे नाम, संग्रहण, बिक्री इत्यादि में कमज़ोरी हो।

‘Locus’ और PIL की सीमाएँ

1. लॉकीएस स्टैंडी (Locus Standi) का तात्पर्य

  • PIL का उद्देश्य होता है सार्वजनिक हित की रक्षामछुआरों, मिट्टी, पर्यावरण जैसे सामान्य मुद्दों के लिए।
  • लेकिन ज़मीन/वस्तु की प्रत्यक्ष क्षति न होने पर – किसी शिल्पकार या समूह के बिना किसी का अडवोकेसी करना अक़सर असंवैधानिक माना जाता है।

2. आदर्श कानूनी प्रक्रिया

  • Aggrieved party जैसे कि कोल्हापुरी शिल्पकार संघ, GI रजिस्ट्रर तथा संबंधित कंपनियों को यह मुकदमा करना चाहिए था।
  • कोर्ट ने यही बात दोहराई— पांच वकील की याचिका में “लोकहित” की पहचान नहीं हो सकी।

सांस्कृतिक मुकाबला: ग्लोबल फैशन बनाम लोकाश्रित हस्तशिल्प

1. ग्लोबलाइजेशन का दबाव

  • बड़े ब्रांड्स जैसे Prada स्थानीय शैलियों को फुटवियर कलेक्शन्स में पेश करते हैं, लेकिन यह अक्सर ब्रांडर्स और मूल शिल्पकारों की पहचान खो जाने की बात होती है।

2. स्थानीय शिल्प के नुकसान

  • बिना अनुमति डिज़ाइन कॉपी होने से नए मार्केट खोने का डर रहता है।
  • यदि GI रजिस्टेंट अपनी सांस्कृतिक संपत्ति का संरक्षण अच्छी तरह से न करें, तो एक्सप्लोइटेशन और आय गिरावट हो सकती है।

3. ब्रांड्स की जिम्मेदारी

  • आज वैश्विक ग्राहकों को पारदर्शिता चाहिए है—“उत्पादन कहाँ हुआ?”, “स्थानीय कारीगरों को लाभ मिला?” जैसे सवाल।
  • यदि Prada ने अनुमति नहीं ली, तो यह कॉपीराइट और GI कानून उल्लंघन हो सकता है।

अदालत का नतीजा: कम लेकिन निहायत महत्वपूर्ण संकेत

  • कोर्ट ने locus standi और अगग्रिेव्ड पार्टी का अधिकार साफ जता दिया है—सिर्फ ‘बड़ी चेतावनी’ से PIL दर्ज नहीं हो सकता।
  • साथ ही, GI संरक्षण के रूप और नियंत्रण को मजबूत आधार मिला है।
  • Prada इस PIL से सुरक्षित रही, लेकिन ब्रांड नामकरण और डिज़ाइन नीति पर कटु बहस जारी होगी।

आगे की राह: समाधान और रणनीति

1. GI रजिस्ट्री और हस्तशिल्प संघों को सक्रियता से काम करना होगा

  • Prada जैसी ब्रांड्स को डिज़ाइन अनुमति देने के लिए पूछना चाहिए।
  • GI उल्लंघन के खिलाफ सशक्त कानूनी टास्क फोर्स बनानी होगी।

2. ब्रांड्स को स्थानीय साझेदारी पर जोर देना

  • Prada जैसे ग्लोबल ब्रांड्स स्थानीय कारीगरों से सहयोग कर सकते हैं—कॉ-क्रिएशन, श्रेय देने और वित्तीय साझेदारी के साथ।
  • इससे दोनों पक्षों को लाभ होगा—बाजार और अनुभव।

3. सरकार की भूमिका और GI जागरूकता

  • केंद्र और राज्य सरकारें GI टैग के महत्व को प्रचार-प्रसार, कार्यशाला, प्रशिक्षण, और कॉर्पोरेट को भी जागरुक कर सकती हैं।
  • कोल्हापुर जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण केंद्र खोलकर स्थानीय कारीगरों को डिज़ाइन, मार्केटिंग और कानूनी ज्ञान दिया जा सकता है।

4. वैश्विक ग्राहकों के सामने पारदर्शिता

  • ग्राहक अनुभव चाहता है “यह सच में कोल्हापुर ही है”, “यह कोल्हापुरी जीआई से प्रमाणित है”—इन सबका डिज़ाइन प्रमाणपत्र होना चाहिए।

निष्कर्ष

  • कोर्ट का निर्णय एक “सकारात्मक कानून-सशक्त संदेश” है—PIL केवल आँखें खोलने भर नहीं, बल्कि कानूनी आधार होना चाहिए।
  • GI टैग का महत्व और इसे बचाने की जिम्मेदारी—स्थानीय कारीगरों और संस्थाओं की है।
  • ब्रांडर्स को पारदर्शिता, साझेदारी और न्यायपूर्ण मार्ग अपनाना चाहिए—जिससे यह संस्कृति हानि से बच सके।
  • वह संभव नहीं है कि बड़े नाम लोक-कला की नकल करें और बिना अनुमति के बाज़ार में तुलना करते रहें।

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