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ईरान-इजराइल तनाव चरम पर, ट्रंप ने दी चेतावनी—”तेहरान तुरंत खाली करें”

ट्रंप ने TRUTH Social पर दिया तेहरान छोड़ने का बयान

वॉशिंगटन/तेहरान/टोरंटो।
ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ता सैन्य तनाव अब वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है। इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक तीखा बयान देते हुए लोगों से ईरान की राजधानी तेहरान को तुरंत छोड़ने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि “ईरान को बहुत पहले ही परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर कर देना चाहिए था।”


ट्रंप का सीधा हमला


डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “TRUTH Social” पर पोस्ट करते हुए लिखा:
“मैं पहले ही कह चुका हूं, ईरान के पास कभी भी परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए। अगर उन्होंने मेरी बात मानी होती तो आज ये हालात न होते।”


ट्रंप के इस बयान को एक अप्रत्यक्ष सैन्य चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “तेहरान अब सुरक्षित नहीं है।”


इज़राइल की चेतावनी: नागरिक क्षेत्र भी निशाने पर


दूसरी ओर, इज़राइल ने खुलकर यह कहा है कि वह अब ईरान के नागरिक इलाकों को भी टारगेट कर सकता है। सूत्रों के अनुसार, इज़राइली रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि यदि ईरान की ओर से कोई भी बड़ी सैन्य कार्रवाई होती है, तो जवाब बेहद सख्त होगा—”No Red Lines” नीति के तहत।


G7 सम्मेलन में तनाव पर चर्चा, ट्रंप की G8 में रूस वापसी की मांग


इस पूरे विवाद के बीच कनाडा के टोरंटो में चल रहे G7 सम्मेलन में भी ईरान-इजराइल तनाव एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। हालांकि ट्रंप अब अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं हैं, लेकिन उनकी वैश्विक राजनीति में सक्रिय भूमिका जारी है।


उन्होंने सम्मेलन को लेकर एक और बड़ी बात कह दी:


“G7 को अब G8 या G9 बनाना चाहिए, रूस और चीन को भी शामिल करें।”


ट्रंप ने यह भी कहा कि 2014 में रूस को G8 से निकालना एक बड़ी भूल थी। उन्होंने दावा किया कि “अगर मैं राष्ट्रपति होता, और रूस G8 में बना रहता—तो आज रूस-यूक्रेन युद्ध नहीं होता।”


कूटनीति बनाम सैन्य समाधान?


G7 में जुटे देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने फिलहाल तनाव घटाने की कोशिशों पर जोर दिया है, लेकिन इज़राइल और ईरान के बयानों से स्पष्ट है कि स्थिति तेजी से नियंत्रण के बाहर जा सकती है।


अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही कोई राजनयिक समाधान नहीं निकला तो मध्य पूर्व में एक बड़ा युद्ध भड़क सकता है, जिसका असर वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों, सुरक्षा व्यवस्था और राजनीतिक संतुलन पर पड़ सकता है।

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