भूमिका: मनोरंजन और निवेश की दुनिया में एक नई छलांग
भारत के हरियाणा राज्य के गुरुग्राम जिले में स्थित मानेसर क्षेत्र जल्द ही देश के पहले डिज़नीलैंड-स्टाइल मनोरंजन पार्क का गवाह बन सकता है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को यह ऐलान किया कि राज्य सरकार डिज़नी के अधिकारियों के साथ सक्रिय वार्ता कर रही है और इस परियोजना के लिए 500 एकड़ भूमि चिन्हित की जा चुकी है।
अगर यह परियोजना साकार होती है, तो यह न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारत के पर्यटन, रोजगार और वैश्विक छवि को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकती है। लेकिन साथ ही इसके सामाजिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर कई सवाल भी उठने लगे हैं।
प्रस्तावित डिज़नीलैंड: क्या होगा खास?
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दिल्ली में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से मुलाकात के बाद यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि डिज़नीलैंड के लिए:
- स्थान: मानेसर स्थित पचगांव चौक के पास 500 एकड़ भूमि
- परिस्थिति: केएमपी एक्सप्रेसवे और हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर के करीब
- संभावनाएं:
- हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियाँ
- अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की आमद
- राज्य की अर्थव्यवस्था में बूम
- गुरुग्राम की वैश्विक ब्रांडिंग
ग्लोबल सिटी परियोजना से जोड़ा गया विज़न
डिज़नीलैंड को हरियाणा सरकार की ग्लोबल सिटी परियोजना से भी जोड़ा जा रहा है। यह परियोजना गुरुग्राम के सेक्टर 36, 36B, 37 और 37B में फैले 1,000 एकड़ में एक योजनाबद्ध “मिनी-सिटी” के रूप में विकसित की जा रही है।
ग्लोबल सिटी में होंगे:
- वॉक-टू-वर्क ज़ोन
- दिल्ली-गुरुग्राम और द्वारका एक्सप्रेसवे से संपर्क
- स्मार्ट सड़कों, हरित क्षेत्र और अत्याधुनिक परिवहन व्यवस्था
CM सैनी का कहना है कि डिज़नीलैंड और ग्लोबल सिटी मिलकर गुरुग्राम को “नए युग की पर्यटन राजधानी” बना सकते हैं।
परियोजना से संभावित लाभ
1. आर्थिक दृष्टिकोण से
- विदेशी निवेश और डिज़नी जैसी वैश्विक कंपनी की सहभागिता
- होटल, रेस्टोरेंट, परिवहन और अन्य सेवाओं में अप्रत्यक्ष रोजगार
- स्थानीय MSME और पर्यटन आधारित उद्योगों को बल
2. सामाजिक लाभ
- स्थानीय युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट और रोजगार
- बच्चों और परिवारों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का मनोरंजन
- शहरी बुनियादी ढांचे का विकास
3. सांस्कृतिक और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
- भारत की वैश्विक पर्यटन रैंकिंग में सुधार
- दक्षिण एशिया के लिए डिज़नीलैंड का पहला केन्द्र
- सांस्कृतिक मेल-जोल और ग्लोबल ब्रांड की पहुंच
राजनीतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
यह पहली बार नहीं है जब हरियाणा में डिज़नीलैंड लाने की बात हुई हो। 1989 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने गुरुग्राम में डिज़नीलैंड की योजना बनाई थी। लेकिन उस समय राजनीतिक विरोध और किसानों के विरोध के चलते यह परियोजना बंद करनी पड़ी।
अब एक बार फिर वही प्रस्ताव उभर कर सामने आया है, और इस बार भी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं।
INLD का हमला
इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला ने कहा:
“1989 में जब हमारी सरकार ने डिज़नीलैंड लाने की कोशिश की थी, तब भाजपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर उसका विरोध किया था। आज वही भाजपा इस परियोजना को अपना बना रही है।”
राजनीतिक समीक्षक मानते हैं कि भाजपा अब ‘ब्रांड प्रोजेक्ट्स’ पर अधिक ध्यान दे रही है, जिनका आगामी चुनावों में भी फायदा मिल सकता है।
किसानों और स्थानीय समुदाय की चिंता
- मानेसर क्षेत्र में प्रस्तावित भूमि खेती के लिए उपयुक्त है।
- पहले से ही किसान केएमपी और औद्योगिक परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण से आहत हैं।
- 500 एकड़ भूमि के अधिग्रहण से कई गांवों का पुनर्वास और मुआवजा विवाद उत्पन्न हो सकता है।
हालांकि सरकार का दावा है कि यह भूमि सरकारी स्वामित्व में है और इसमें किसानों की निजी भूमि नहीं ली जाएगी। लेकिन भविष्य की विस्तार योजनाओं को लेकर ग्रामीणों में आशंका है।
महाराष्ट्र से मुकाबला: नवी मुंबई डिज़नी पार्क प्रस्ताव
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने भी नवी मुंबई में डिज़नी-थीम पार्क की घोषणा की थी। फरवरी 2024 में हुए इस ऐलान के बाद माना जा रहा था कि मुंबई डिज़नी का पहला ठिकाना बनेगा। लेकिन अब हरियाणा सरकार की तेज़ कूटनीति और ज़मीन की उपलब्धता इसे आगे ला सकती है।
डिज़नीलैंड जैसी परियोजनाओं के लिए आवश्यक होता है:
- अच्छी लॉजिस्टिक्स और एयरपोर्ट से निकटता
- मेट्रो/रेल कनेक्टिविटी
- स्थिर कानून-व्यवस्था
इन मानकों पर मानेसर की भौगोलिक स्थिति उसे महाराष्ट्र से प्रतिस्पर्धा में आगे ला सकती है।
टूरिज्म कैलेंडर विस्तार की योजनाएँ
CM सैनी ने डिज़नीलैंड के अलावा राज्य के अन्य पर्यटन आयोजनों का भी विस्तार करने का ऐलान किया:
- अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव (कुरुक्षेत्र): केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय से सहयोग मांगा गया है ताकि इसे और भव्य बनाया जा सके।
- सुरजकुंड मेला (फरीदाबाद): अब साल में तीन बार आयोजन की योजना
- दिवाली मेला
- बुक फेयर
- शिल्प एवं हस्तशिल्प महोत्सव
सरकार का मानना है कि पर्यटन आधारित आयोजनों को बार-बार आयोजित करने से स्थानीय अर्थव्यवस्था और कारीगरों को बढ़ावा मिलेगा।
डिज़नीलैंड जैसी परियोजना के समक्ष चुनौतियाँ
1. भूमि विवाद और पुनर्वास
500 एकड़ की भूमि को लेकर कानूनी और सामाजिक विवाद खड़े हो सकते हैं, विशेषकर अगर किसान समुदाय को विश्वास में नहीं लिया गया।
2. पर्यावरणीय प्रभाव
इतनी बड़ी परियोजना के लिए पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) ज़रूरी होगा।
- हरित क्षेत्र में कमी
- जल स्त्रोतों पर दबाव
- कचरा प्रबंधन चुनौती
3. निवेश और निजी सहभागिता
डिज़नी जैसी कंपनियां आमतौर पर सरकार से सुविधा और सुरक्षा की गारंटी मांगती हैं। सरकार को स्पष्ट करना होगा कि परियोजना PPP मॉडल पर होगी या FDI के तहत।
4. राजनीतिक स्थिरता
भविष्य की सरकारें इस परियोजना को किस तरह लेंगी, यह भी एक बड़ा प्रश्न है। जैसे 1989 में हुआ था, वैसे ही किसी भी सरकार परिवर्तन से परियोजना रुक सकती है।
निष्कर्ष: क्या भारत डिज़नीलैंड के लिए तैयार है?
भारत की बढ़ती मिडिल क्लास, बढ़ती यात्रा क्षमता और अनुभव-आधारित मनोरंजन की मांग डिज़नीलैंड जैसी परियोजनाओं के लिए अनुकूल माहौल बनाती है। लेकिन क्या भारत नियोजन, भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय संरक्षण और सामाजिक समावेशन के स्तर पर ऐसी परियोजनाओं को समृद्ध रूप दे सकता है?
हरियाणा सरकार की घोषणा उत्साहजनक है, लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि:
- क्या डिज़नी जैसी कंपनियाँ सरकार पर विश्वास करेंगी?
- क्या स्थानीय लोगों को विश्वास में लिया जाएगा?
- क्या राजनीतिक स्थिरता और नीतिगत स्पष्टता बरकरार रहेगी?
अगर इन सभी बिंदुओं पर ठोस कार्य हो, तो यह न केवल हरियाणा बल्कि भारत के लिए एक ऐतिहासिक पर्यटन और आर्थिक अवसर बन सकता है।
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