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IIM कलकत्ता में कथित रेप: मामले का विस्तृत विश्लेषण

Alleged rape at IIM Calcutta: A detailed analysis of the case

पृष्ठभूमि

  • कोलकाता पुलिस ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) कलकत्ता के छात्र महावीर टोपन्नावर, जिन्हें परमानंद जैन के नाम से भी जाना जाता है, पर एक महिला द्वारा हॉस्टल में रेप का आरोप लगाने के बाद FIR दर्ज की। आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर 19 जुलाई 2025 तक पुलिस हिरासत में भेजा।
  • घटना कथित तौर पर शुक्रवार रात IIM-C के जोक़ा कैंपस के बॉयज़ हॉस्टल में हुई, जब पीड़िता को काउंसलिंग सेशन के बहाने बुलाया गया था। वह अनहोश हो गई, और जागने पर उसने दावा किया कि उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया।

SIT की स्थापना और जांच की दिशा

  • कोलकाता पुलिस ने इस घटना की गहन जांच के लिए डिप्टी कमिश्नर (साउथ वेस्ट) की निगरानी में 9-सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की गई। इसका नेतृत्व ACP रैंक के एक अधिकारी द्वारा किया जा रहा है।
  • इस SIT की पहली प्राथमिकता डिजिटल एवं फोरेंसिक सबूत इकट्ठा करना है। इसके तहत CCTV फुटेज, फूड रिमेन, अन्य सबूत बारीकी से एकत्रित कर एनालिसिस के लिए भेजे गए हैं।

IIM-C की प्रतिक्रिया और परिसर सुरक्षा

  • IIM-C प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए हॉस्टल की घटना की जानकारी और सुरक्षा व्यवस्था की औपचारिक जानकारी पुलिस को सौंपने का निर्णय लिया है। IIM-C ने यह स्पष्ट किया कि पीड़िता संस्थान की छात्रा नहीं थी और वे जांच में पूर्ण सहयोग कर रहे हैं।
  • इसके अलावा संस्थान ने अपना नया SOP जारी किया है, जिसमें यह निर्देश दिया गया है कि पुलिस अधिकारी सुरक्षा गार्डों की अनुमति के बिना किसी कमरे में प्रवेश नहीं कर सकते; साथ ही हॉस्टल का पिछला कमरा जहां घटना हुई थी, उसे बैरिकेड कर दिया गया है ताकि संभावित साक्ष्य सुरक्षित रहें।
  • SOP में अन्य निर्देश: डिलीवरी सभी गेट पर सीमित, एकल प्रवेश-बिंदु (SBI Gate), छात्रों को मीडिया संपर्क से बचने की सलाह, और बाहर से आने वाले व्यक्तियों के विवरण की प्रतिपुष्टि व्यवस्था।

कोर्ट में बहस और गिरफ्तारी

  • कोर्ट की सुनवाई के दौरान, प्रॉसिक्यूटर सौरिन् घोषाल ने कहा कि प्राइमाफेस (प्राथमिक) जांच से स्पष्ट है कि अपराध हुआ था, और मेडिकल रिपोर्ट पीड़िता के पक्ष में है। जबकि वकील ने जोड़ी की कि संबंध सहमति से था, कोर्ट ने इसकी अस्वीकार करते हुए आरोपी को 19 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
  • पुलिस ने अदालत से अनुरोध किया था कि हिरासत 25 जुलाई तक मिलनी चाहिए, लेकिन न्यायालय ने अंततः 19 जुलाई तक हिरासत की अनुमति दी।

विरोधाभासी बयान: पीड़िता का पिता

  • पीड़िता के पिता ने सार्वजनिक रूप से दावे को खारिज करते हुए बताया कि उनकी बेटी को ऑटो रिक्शा से गिरने की वजह से चोट लगी थी, और वह बेहोश होकर SSKM अस्पताल में भर्ती थी। उन्होंने कहा कि पुलिस ने बेटी को शिकायत लिखने के लिए मजबूर किया। उन्होंने साफ कहा कि उनकी बेटी आरोपी को जानती भी नहीं थी
  • इस बयान ने पूरे मामले को एक नया मोड़ दिया; पुलिस अब पिता के बयान और पीड़िता द्वारा लिखाई गई शिकायत—दोनों की सत्यता की जांच SIT के तहत कर रही है।

आरोपी का परिवार

  • आरोपी की माता ने कहा कि उन्हें रात 11 बजे एक मित्र ने सूचित किया कि उनका बेटा गिरफ्तार है; वे खुद इस बात से चौंक गए कि ऐसा क्यों हुआ। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका बेटा ऐसा “गंदा काम कभी नहीं करेगा”।

राज्य महिला आयोग की भूमिका

  • पश्चिम बंगाल राज्य महिला आयोग ने इस मामले में स्वयं संज्ञान (suo motu cognisance) लिया है। चेयरपर्सन लीना गांगोपाध्याय ने कहा कि आयोग ने पीड़िता एवं परिवार से संपर्क स्थापित कर लिया है, और यदि वे तैयार हों तो व्यक्तिगत मुलाक़ात भी करेगी। आयोग ने पुलिस को 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।

जांच में उठ रहे अहम प्रश्न

  1. कैसे घायल महिला बिना रजिस्टर किए हॉस्टल में घुसी? – पुलिस अब विजिटर लॉग और सुरक्षा चूक की जांच कर रही है। आईआईएम प्रशासन से इस बाबत स्पष्ट जानकारी मांगी गई है।
  2. कैंपस में सुरक्षा विरतुल क्या थे? – पुलिस ने IIM से पूछा कि क्या बाहरी व्यक्तियों की जांच, बैगेज स्कैनिंग, और हॉस्टल कंट्रोल लॉग नियमित तौर पर होते हैं।
  3. गवाहों, CCTV और फोरेंसिक सबूतों की भूमिका – pizza delivery बैलेंस, खाद्य सामग्री, और आवाज रिकॉर्ड जैसे सबूतों की जांच की जा रही है, साथ ही क्राइम सीन रीक्रिएशन भी किया जाना प्रस्तावित है।

आगामी प्रमुख घटनाक्रम

तिथिसंभावित घटनाक्रम
19 जुलाई 2025पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त
अगले 15 दिनराज्य महिला आयोग रिपोर्ट हेतु पुलिस से जानकारी मांग सकती है
मेडिको‑लीगल और जांचपीड़िता का मेडिकल परीक्षण, सीसीटीवी व डिजिटल सबूतों की रिपोर्ट
आयोजन या बैठकेंआयोग और पुलिस की संभावित बैठकें, पीड़िता व परिवार से मुलाक़ात

निष्कर्ष

  • यह मामला गंभीर है क्योंकि इसमें संस्थान की प्रतिष्ठा, छात्र‑सुरक्षा, पुलिस प्रक्रिया तथा न्याय की पारदर्शिता सभी पर लोकहित में सवाल उठते हैं
  • इस वक्त जांच प्रारंभिक चरण में है — SIT के माध्यम से सबूत जुटाए जा रहे हैं, और दोनों पक्षों के बयानों की सत्यता तय की जा रही है।
  • IIM प्रशासन की जवाबदेही, पुलिस की कार्यशैली, और अधिकारियों की निष्पक्षता पर भी निगाहें बनी हुई हैं।
  • राज्य महिला आयोग की सक्रियता इसे स्वतंत्र एवं संवेदनशील प्रक्रिया बनाने में मददगार हो सकती है।

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