जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आगामी श्री अमरनाथजी यात्रा 2025 को लेकर एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस बार यात्रियों को पवित्र अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर सेवा नहीं मिलेगी। सरकार की तरफ से सभी यात्रा मार्गों को “नो फ्लाइंग जोन” घोषित कर दिया गया है। यह आदेश 1 जुलाई से 10 अगस्त 2025 तक प्रभावी रहेगा, जिसके अंतर्गत ड्रोन, यूएवी, हेलीकॉप्टर, गुब्बारे या किसी भी प्रकार की हवाई गतिविधि पर पूर्ण रोक रहेगी।
हेलीकॉप्टर सेवा पर प्रतिबंध क्यों?
श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इस बात की पुष्टि की कि यात्रियों को अब पैदल यात्रा, टट्टू या पालकी के जरिए ही पवित्र गुफा मंदिर तक जाना होगा। यह निर्णय उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के आदेश पर लिया गया है, जिनकी अध्यक्षता में गृह विभाग ने सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की।
हाल ही में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में एक अहम सुरक्षा बैठक हुई जिसमें जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ प्रशासनिक व सैन्य अधिकारी शामिल हुए। इसमें आईबी निदेशक, मुख्य सचिव अटल डुल्लू, डीजीपी नलिन प्रभात, 15 कोर के जीओसी प्रशांत श्रीवास्तव, सीएपीएफ व खुफिया एजेंसियों के अधिकारी शामिल थे। बैठक में इस वर्ष अमरनाथ यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से कराने पर गहन मंथन हुआ।
“नो फ्लाइंग जोन” घोषित
इस बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 1 जुलाई से 10 अगस्त 2025 तक यात्रा के सभी मार्गों—पहलगाम और बालटाल—को “नो फ्लाइंग जोन” घोषित कर दिया है। इस प्रतिबंध का उद्देश्य है यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और किसी भी आतंकवादी गतिविधि या हवाई हमले की संभावना को पूरी तरह खत्म करना।
गृह विभाग की अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि इस अवधि में कोई भी ड्रोन, यूएवी, पैराग्लाइडर, गुब्बारा, या अन्य हवाई उपकरण व प्लेटफॉर्म उड़ाए नहीं जा सकेंगे। हालांकि, कुछ अपवाद—जैसे मेडिकल इवैक्यूएशन (आपात चिकित्सा निकासी), आपदा प्रबंधन और सुरक्षा बलों द्वारा निगरानी कार्य—को अनुमति दी जाएगी, लेकिन इसके लिए अलग से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किया जाएगा।
क्या इसका असर श्रद्धालुओं पर पड़ेगा?
हेलीकॉप्टर सेवा पिछले कई वर्षों से खासकर बुजुर्ग और अस्वस्थ यात्रियों के लिए एक बड़ी राहत रही है। पहलगाम से पंचतरणी या बालटाल से गुफा तक हेली सेवा उन्हें कठिन रास्तों से बचाकर सीधे गंतव्य तक पहुंचा देती थी। अब हेलीकॉप्टर सेवा बंद होने से इन यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
हालांकि, प्रशासन का दावा है कि पैदल यात्रा मार्गों पर विशेष सुरक्षा, अत्याधुनिक चिकित्सा शिविर, जलपान केंद्र, ज्यादा संख्या में टट्टू और पालकी सेवाएं, और ITBP, CRPF व स्थानीय पुलिस की तैनाती सुनिश्चित की गई है। श्राइन बोर्ड द्वारा यात्रियों की सुविधा के लिए पंजीकरण केंद्र, ट्रैकिंग ऐप, मेडिकल सर्टिफिकेट सिस्टम और हेल्पलाइन सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
सुरक्षा व्यवस्था होगी चाक-चौबंद
एलजी मनोज सिन्हा ने कहा है कि अमरनाथ यात्रा ना केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि “लोगों की आस्था और सहयोग से जुड़ा आयोजन” है। उन्होंने स्थानीय नागरिकों से सहयोग की अपील की है, जिससे यात्रा का संचालन शांतिपूर्ण, सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से किया जा सके।
इस साल यात्रा की अवधि 3 जुलाई से 9 अगस्त 2025 तक रखी गई है। यात्रा मार्गों पर सेना, अर्धसैनिक बल, जम्मू-कश्मीर पुलिस और स्वयंसेवकों की व्यापक तैनाती होगी। खासकर संवेदनशील इलाकों में डॉग स्क्वॉड, बम डिस्पोजल यूनिट, और मल्टी-लेयर सिक्योरिटी सिस्टम लगाया जा रहा है।
ड्रोन से संभावित खतरे की आशंका
हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से ड्रोन के जरिए हथियार और विस्फोटक गिराने की घटनाएं बढ़ गई हैं। अमरनाथ यात्रा जैसे बड़े आयोजन में इन ड्रोन गतिविधियों से बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसी आशंका को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार और खुफिया एजेंसियों ने सुझाव दिया था कि यात्रा मार्ग को “नो फ्लाइंग जोन” घोषित किया जाए।
क्या यह निर्णय अंतिम है?
फिलहाल यह आदेश स्थायी रूप से लागू नहीं है, बल्कि 1 जुलाई से 10 अगस्त 2025 तक के लिए ही लागू रहेगा। इसके बाद हालात की समीक्षा के आधार पर भविष्य में इस तरह के निर्णय लिए जा सकते हैं। सरकार ने यह भी कहा है कि अगर कोई भी व्यक्ति आदेश का उल्लंघन करता है या हवाई गतिविधि करने का प्रयास करता है तो सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष
श्री अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा लिया गया यह निर्णय एक सुरक्षा केंद्रित, दूरदर्शी और एहतियाती कदम है। हालांकि इससे कुछ यात्रियों को असुविधा हो सकती है, लेकिन आतंकी खतरे और ड्रोन हमलों की पृष्ठभूमि में इस फैसले को देशहित और श्रद्धालुओं की जान की सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी माना जा सकता है।
आने वाले दिनों में अगर हालात सामान्य रहे और सुरक्षा एजेंसियों को पूरी तरह संतुष्टि हुई, तो भविष्य में हेलीकॉप्टर सेवा की बहाली संभव हो सकती है। फिलहाल, इस पवित्र यात्रा के दौरान सबकी सुरक्षा सुनिश्चित करना ही सरकार की प्राथमिकता है।
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