प्रस्तावना
हिमाचल प्रदेश में मानसून ने एक बार फिर कहर बरपा दिया है। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने राज्य के अधिकांश हिस्सों में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। सड़कों के जाल से लेकर बिजली और पानी की आपूर्ति तक – सभी आवश्यक सेवाएं बाधित हो गई हैं। हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि राज्य सरकार को 700 करोड़ रुपये तक के नुकसान का अनुमान जताना पड़ा है।
राज्य के कई ज़िलों में भूस्खलन, बादल फटने और अचानक आई बाढ़ (फ्लैश फ्लड) के चलते न केवल बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई है, बल्कि सैकड़ों लोग अब भी लापता हैं। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और अधिक बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे लोगों की चिंता और बढ़ गई है।
अब तक का नुकसान: सरकारी और जमीनी आंकड़े
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) के अनुसार:
- कुल सड़कें बंद: 260 से अधिक, जिनमें अकेले मंडी जिले में 176 सड़कें बाधित हैं।
- ट्रांसफार्मर प्रभावित: लगभग 300
- जलापूर्ति योजनाएं बाधित: 281
- अनुमानित नुकसान: SEOC के मुताबिक ₹541 करोड़, जबकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुसार यह आंकड़ा ₹700 करोड़ के करीब पहुंच चुका है, क्योंकि जानकारी अभी भी संकलित की जा रही है।
इस नुकसान में सार्वजनिक अवसंरचना, कृषि फसलें, निजी संपत्तियाँ, और आवश्यक सेवाओं की तबाही शामिल है।
मानसून की मार: मौत और तबाही
मानसून की शुरुआत 20 जून से हुई थी और तब से अब तक:
- कुल मौतें: 72
- बारिश से सीधे संबंधित मौतें (बादल फटना, बाढ़, भूस्खलन): 45
- सबसे ज्यादा प्रभावित जिला: मंडी
मंडी जिले में एक ही दिन – मंगलवार को – 10 अलग-अलग घटनाएं दर्ज की गईं जिनमें बादल फटने, भूस्खलन और फ्लैश फ्लड शामिल थीं। इन घटनाओं में 14 लोगों की जान गई और 31 लोग अब भी लापता हैं।
राज्य भर में राहत और बचाव कार्य जारी है। एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस के जवान सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं, लेकिन खराब मौसम और टूटे रास्ते राहत कार्य में बाधा बन रहे हैं।
मौसम विभाग की चेतावनियाँ: रेड और ऑरेंज अलर्ट
स्थानीय मौसम विज्ञान केंद्र (MeT) ने आगामी दिनों के लिए चेतावनियाँ जारी की हैं:
रविवार (7 जुलाई):
- रेड अलर्ट: मंडी, कांगड़ा और सिरमौर जिलों में अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना।
- व्याख्या: एक दिन में 204.4 मिमी से अधिक बारिश को अत्यधिक भारी माना जाता है।
शनिवार, सोमवार और मंगलवार:
- ऑरेंज अलर्ट: ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, सोलन, शिमला और कुल्लू में भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना।
मौसम विभाग ने साफ तौर पर कहा है कि अगले कुछ दिन हिमाचल प्रदेश के लिए “अत्यंत संवेदनशील” हैं। इन चेतावनियों के बीच सरकार ने स्थानीय प्रशासन और आम नागरिकों से सतर्क रहने की अपील की है।
प्रभावित क्षेत्र और वर्षा के आंकड़े
पिछले 24 घंटों में राज्य के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई है:
- जोगिंदरनगर: 52 मिमी
- नाहन और पालमपुर: 28.8 मिमी
- पांवटा साहिब: 21 मिमी
- ऊना: 18 मिमी
- बर्थिन: 17.4 मिमी
- कांगड़ा: 15.6 मिमी
- नैना देवी: 12.6 मिमी
इन आंकड़ों से यह साफ है कि राज्य का अधिकांश मैदानी और पहाड़ी भाग किसी न किसी रूप में बारिश की चपेट में है।
जनजीवन पर असर: गांवों का संपर्क टूटा, स्कूल बंद
- गांवों का संपर्क टूटा: कई गांवों में संपर्क मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं। इससे न केवल राहत सामग्री पहुँचाने में दिक्कत हो रही है, बल्कि बीमारों और बुजुर्गों की मदद भी समय पर नहीं पहुंच पा रही है।
- स्कूल बंद: कई ज़िलों में स्कूलों को एहतियातन बंद कर दिया गया है। प्रशासन ने बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह फैसला लिया है।
- कृषि पर असर: खेतों में खड़ी फसलें बह गई हैं। सेब, आलू और मक्के की फसल को भारी नुकसान हुआ है।
सरकार की प्रतिक्रिया: मुख्यमंत्री सुक्खू की चेतावनी और समीक्षा बैठक
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा:
“हम लगातार हालात की निगरानी कर रहे हैं। अधिकारियों को राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन मौसम की चुनौती बहुत गंभीर है।”
उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक का नुकसान 700 करोड़ रुपये के करीब है और यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।
मुख्यमंत्री ने सभी जिला उपायुक्तों को सतर्क रहने, खतरे वाले क्षेत्रों से लोगों को निकालने और राहत शिविरों की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
सावधानी और सुझाव: आम जनता के लिए चेतावनी
राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग ने नागरिकों को निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:
- नदी, नालों और जलाशयों से दूर रहें।
- भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की यात्रा से बचें।
- जरूरी न हो तो घर से बाहर न निकलें।
- बिजली आपूर्ति बाधित होने पर सतर्कता बरतें।
- स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
मौसम की वैज्ञानिक व्याख्या
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार मानसून हिमाचल में सामान्य से अधिक सक्रिय है। पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी से नमी युक्त हवाओं के संयुक्त प्रभाव से तीव्र वर्षा प्रणाली बनी हुई है।
इस तरह की स्थितियों में पहाड़ी राज्यों में:
- भूस्खलन का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
- फ्लैश फ्लड बेहद कम समय में भारी तबाही ला सकती है।
- जल स्रोतों का उफान छोटे पुलों, सड़क मार्गों और मकानों को नुकसान पहुंचाता है।
पिछले साल की यादें: मानसून 2023 की तबाही
2023 के मानसून सीज़न में हिमाचल प्रदेश ने एक भयानक तबाही देखी थी:
- मृतक संख्या: 550 से अधिक
- नुकसान: हजारों करोड़
- भूस्खलन, सड़कें ध्वस्त, पुल बहने और मकानों के गिरने की घटनाएं
इस साल एक बार फिर वही डरावना मंजर दोहराता दिख रहा है। प्रशासन ने पिछले साल की तबाही से सबक लेते हुए त्वरित प्रतिक्रिया बलों को सक्रिय किया है, लेकिन चुनौती पहाड़ जैसी है।
निष्कर्ष: चुनौती भी बड़ी, उम्मीद भी
हिमाचल प्रदेश एक बार फिर प्रकृति की मार झेल रहा है। लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। सैकड़ों सड़कें बंद हैं, दर्जनों लोग मारे जा चुके हैं, और अनेक लोग लापता हैं। नुकसान का आंकड़ा 700 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
जहाँ एक ओर यह संकट प्रशासनिक तैयारियों और बुनियादी ढांचे की परीक्षा है, वहीं दूसरी ओर यह आम जनता की एकजुटता और संयम की भी कसौटी है। आगामी दिनों में मौसम के बिगड़ने की संभावना के बीच प्रशासन को और सतर्क, और जनता को और सजग रहने की ज़रूरत है।
प्राकृतिक आपदाएं टाली नहीं जा सकतीं, लेकिन तैयारी और त्वरित प्रतिक्रिया से नुकसान को कम किया जा सकता है।
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