प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्राज़ील की राजकीय यात्रा का आगाज़ एक अत्यंत भव्य और भावनात्मक स्वागत से हुआ। जब वे ब्राज़ीलिया पहुंचे, तो वहां का दृश्य एक अद्भुत सांस्कृतिक मिलन का प्रतीक बन गया — जहां भारतीय शिव तांडव स्तोत्र की गूंज और ब्राज़ीली सांबा रगे (Samba Reggae) की लय एक साथ गूंज रही थी। यह दृश्य केवल एक औपचारिक स्वागत भर नहीं था, बल्कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना का जीवंत उदाहरण था — एक ऐसा क्षण, जिसने यह साबित किया कि विविधता में एकता संभव ही नहीं, बल्कि सुंदर भी होती है।
भारतीय समुदाय और ब्राज़ीली कलाकारों का भावनात्मक प्रदर्शन
ब्राज़ील में बसे भारतीय समुदाय ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ किया। उनके स्वागत में पारंपरिक भारतीय मंत्रों और भजनों के साथ-साथ ब्राज़ील की लोक सांगीतिक परंपरा को भी जोड़ा गया। खास बात यह रही कि इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में ‘शिव तांडव स्तोत्र’ का जाप ब्राज़ीलियन सांबा रगे की धुनों के साथ किया गया। इस विलक्षण संगम ने न केवल भारतीय संस्कृति की शक्ति को दर्शाया, बल्कि यह भी दिखाया कि ब्राज़ील के लोग किस तरह भारत के ज्ञान, विशेषकर वेदांत, को अपनाकर अपने जीवन को बदल रहे हैं।
पद्मश्री जोनास मसेट्टी: वेदांत का ब्राज़ील में वाहक
ब्राज़ील के प्रसिद्ध वेदांत आचार्य और पद्मश्री सम्मानित जोनास मसेट्टी ने इस आयोजन को “आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर” बताया। उन्होंने कहा —
“यह एक अत्यंत शक्तिशाली और भावपूर्ण क्षण था। यह हमारे लिए भारत के प्रति आभार प्रकट करने का अनमोल अवसर था। वेदांत का ज्ञान केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी हमारे जीवन को गहराई, स्पष्टता और अर्थ प्रदान कर रहा है।”
जोनास मसेट्टी ब्राज़ील में वर्षों से वेदांत सिखा रहे हैं और उनकी शिक्षाओं ने वहाँ की नई पीढ़ी के सोचने, जीने और समाज से जुड़ने के तरीके को गहराई से प्रभावित किया है।
अद्वितीय सांस्कृतिक संगम: अमेज़न और वेदों की ध्वनियाँ एक साथ
इस सांस्कृतिक कार्यक्रम की खासियत यह भी रही कि इसमें केवल भारतीय मंत्र और ब्राज़ीली संगीत ही नहीं, बल्कि अमेज़न क्षेत्र की आदिवासी परंपराओं की झलक भी दिखाई दी। अमेज़न जनजातीय लोकगीतों को शिव तांडव और वैदिक श्लोकों के साथ पिरोया गया, जिससे एक नई और अप्रत्याशित सांस्कृतिक समानता उभर कर सामने आई।
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की निदेशक ज्योति किरण शुक्ला ने इस कार्यक्रम को एक अनूठा उपहार बताया। उन्होंने कहा —
“यह कार्यक्रम भारतीय समुदाय को समर्पित एक सुंदर सांस्कृतिक संगम है। हमारे वैदिक ग्रंथों में शिव तांडव, श्रौत परंपरा जैसे मंत्र हैं, जिनकी ध्वनि-लय और भाव गहराई से जुड़ी होती हैं। आज हमने देखा कि अमेज़न की परंपराएं भी उसी तरह की गूंज और प्रकृति के प्रति सम्मान की भावना रखती हैं। विवेकानंद केन्द्र में हम इसपर शोध कर रहे हैं कि इन दोनों परंपराओं में ध्वन्यात्मक और भाषाई समानताएं क्या हैं।”
ब्राज़ीलियनों में वेदांत की बढ़ती लोकप्रियता
इस कार्यक्रम में कई ब्राज़ीली नागरिकों ने हिस्सा लिया, जो वर्षों से वेदांत का अध्ययन कर रहे हैं। एक छात्रा ने बताया कि वह बीते 10 वर्षों से आचार्य जोनास मसेट्टी के साथ वेदांत सीख रही हैं। उन्होंने भावविभोर होते हुए कहा —
“प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष मंत्रोच्चार करना मेरे लिए अत्यंत गौरव का क्षण है। यह केवल एक प्रस्तुति नहीं, बल्कि उस साधना का प्रतिफल है जो हमने वर्षों से की है। वेदांत ने मेरे जीवन को एक नया अर्थ दिया है।”
वहीं, योग शिक्षक केनलिन, जो दर्शकों में उपस्थित थीं, ने कहा —
“मैं स्वयं प्रस्तुति का हिस्सा नहीं थी, लेकिन अपने साथियों को मंच पर देखकर गर्व महसूस हुआ। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में उनके लिए प्रस्तुति देना अत्यंत सम्मान की बात थी। उनकी ऊर्जा, करुणा और आत्मीयता को महसूस किया जा सकता था।”
प्रधानमंत्री मोदी का भावुक संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस स्वागत से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तुरंत सोशल मीडिया मंच ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने लिखा —
“अभी-अभी ब्राज़ीलिया पहुंचा। भारतीय समुदाय ने जो आत्मीय स्वागत किया, वह अविस्मरणीय है। यह दर्शाता है कि हमारी प्रवासी भारतीयों की जड़ें कितनी गहरी हैं और वे भारत से कितने जुड़े हुए हैं।”
प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी न केवल वहां की भारतीय जनता के लिए उत्साहजनक थी, बल्कि ब्राज़ील के नागरिकों को भी एक मजबूत संदेश दे गई — भारत अपने संस्कृति और प्रवासियों के माध्यम से विश्व के हर कोने से जुड़ा है।
ब्राज़ील के रक्षा मंत्री ने किया स्वागत
प्रधानमंत्री मोदी की ब्राज़ीलिया आगमन पर वहां के रक्षा मंत्री जोस मूसियो मोनतेइरो फिल्हो (Jose Mucio Monteiro Filho) ने उनका औपचारिक स्वागत किया। इससे यह भी संकेत मिला कि ब्राज़ील सरकार, केवल सांस्कृतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और राजनीतिक स्तर पर भी भारत के साथ संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की इच्छुक है।
रियो डी जनेरियो में सफल BRICS शिखर सम्मेलन
ब्राज़ीलिया आने से पूर्व प्रधानमंत्री मोदी रियो डी जनेरियो में आयोजित 17वें BRICS सम्मेलन में हिस्सा ले चुके थे। उन्होंने इसे “अत्यंत सफल और फलदायी” बताया था। इस सम्मेलन में उन्होंने ग्लोबल साउथ के हितों, विकासशील देशों की साझेदारी, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल सहयोग और बहुपक्षीय सुधार जैसे मुद्दों पर विचार साझा किए।
ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा के साथ उनकी मुलाकात इस यात्रा का प्रमुख बिंदु है, जिसमें व्यापार, कृषि, रक्षा, ऊर्जा, जलवायु और सांस्कृतिक सहयोग जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होने की संभावना है।
भारत-ब्राज़ील संबंध: साझा मूल्य और बढ़ती साझेदारी
भारत और ब्राज़ील के संबंध केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, आर्थिक और भावनात्मक स्तर पर भी गहराते जा रहे हैं। दोनों देश BRICS, IBSA, G20, और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर सक्रिय सहयोगी हैं। इसके अलावा, आयुर्वेद, योग, वेदांत जैसे भारतीय ज्ञान को ब्राज़ील में तेजी से अपनाया जा रहा है।
वहीं, ब्राज़ील की संगीत, नृत्य, वन्य जीवन और स्थानीय संस्कृति भारत में भी खासा लोकप्रिय है। ऐसे में इस यात्रा को दोनों देशों के संबंधों के लिए एक “नए अध्याय की शुरुआत” माना जा सकता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्राज़ील यात्रा न केवल एक कूटनीतिक पहल है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक शक्ति और वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक भी बन गई है। ब्राज़ीलिया में हुआ भव्य स्वागत और शिव तांडव स्तोत्र से लेकर अमेज़न मंत्रों तक की ध्वनि-लहरी यह दर्शाती है कि भारत और ब्राज़ील के बीच केवल राजनयिक नहीं, बल्कि आत्मिक जुड़ाव भी है।
वेदांत के प्रसार ने ब्राज़ील जैसे दूरस्थ देश में आध्यात्मिक क्रांति ला दी है और यह यात्रा उस कड़ी की एक मजबूत कड़ी बन चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में हुए इस सांस्कृतिक संगम ने यह साक्षात कर दिया कि भारत की संस्कृति सीमाओं में नहीं बंधी है — वह गंगा से अमेज़न तक बहती है।
यह यात्रा आने वाले वर्षों में भारत-ब्राज़ील संबंधों को नई दिशा और नई ऊंचाई देने वाली सिद्ध हो सकती है।
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