भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक घोषित सीजफायर पर कांग्रेस ने कड़ी आलोचना की है। मंगलवार को AICC मुख्यालय दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने सवाल उठाए कि आखिर पाकिस्तान डर गया या भारत? उन्होंने पूछा कि जब भारतीय सेना आतंकवाद के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई कर रही थी, तो अचानक सीजफायर क्यों हुआ? गहलोत ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी का भी जिक्र किया, जिसमें ट्रंप ने कहा था, “मैं कश्मीर मसला सुलझा दूंगा।” उन्होंने सवाल किया कि ट्रंप साहब कौन होते हैं जो भारत-पाक मुद्दे पर दखल दें? यह हमारे देश की विदेश नीति और संप्रभुता पर सवाल है।

अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि अमेरिका के दबाव में आकर भारत ने सीजफायर किया है। उन्होंने पूछा कि जब भारतीय सेना सीमा पर आतंकवादियों को कड़ा जवाब दे रही थी, तो अचानक युद्ध रुकाने की क्या वजह थी? क्या यह अमेरिका की कोई रणनीतिक सलाह थी? क्या इस फैसले में पूरी पारदर्शिता है? गहलोत ने सरकार से स्पष्ट करने की मांग की कि भारत ने कब और क्यों यह बड़ा कदम उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि शिमला समझौते के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी विवाद केवल आपसी बातचीत से ही सुलझाया जाना चाहिए, न कि किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अचानक हुए सीजफायर को लेकर कांग्रेस ने देश की सुरक्षा नीति और कूटनीति पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। यह सिर्फ सैन्य रणनीति का मुद्दा नहीं, बल्कि राजनीतिक पारदर्शिता और राष्ट्रीय संप्रभुता का भी सवाल बन गया है। अशोक गहलोत ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने कश्मीर का मुद्दा हल करने की बात कही है, लेकिन भारत के मामले में तीसरे देश की मध्यस्थता क्यों हो रही है? यह खतरनाक बात है। गहलोत ने पूछा कि ट्रंप का ट्वीट अचानक क्यों आया? उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को ऐसी स्थिति में लाना चाहिए कि वहां आतंकवाद पनप न पाए। अचानक सीजफायर की घोषणा ने देश को झटका दिया। सीजफायर के बाद भी फायरिंग क्यों हुई? गहलोत ने याद दिलाया कि पहले इंदिरा गांधी अमेरिका की परवाह नहीं करती थीं, तो फिर ट्रंप कहां से इस मुद्दे में आ गए? ट्रंप को भारत क्यों सुन रहा है? उन्होंने सवाल उठाया कि ट्रंप ने इस मसले में कौन सी ठेकेदारी ले रखी है?
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