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दिल्ली में पुराने पेट्रोल-डीज़ल वाहनों पर ईंधन रोक: प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम

Fuel ban on old petrol-diesel vehicles in Delhi: A big step towards pollution control

दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से आज से एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया गया है। राजधानी में अब 10 वर्ष से अधिक पुराने डीज़ल और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को किसी भी पेट्रोल पंप से ईंधन नहीं दिया जाएगा। इस नीति का उद्देश्य प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों की संख्या में कटौती लाना है, जो लंबे समय से दिल्ली के वातावरण को जहरीला बना रहे हैं।

इस नीति को लागू करने के लिए Commission for Air Quality Management (CAQM) ने दिल्ली परिवहन विभाग, दिल्ली पुलिस और ट्रैफिक अधिकारियों के साथ मिलकर एक समन्वित योजना तैयार की है। इस योजना के तहत दिल्ली के कुल 350 पेट्रोल पंपों की पहचान की गई है, जहां इस नियम का विशेष रूप से पालन और निगरानी की जाएगी।

किस तरह होगा नियम का पालन?

350 पेट्रोल पंपों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है:

  1. पहले 100 पंप – जहां सबसे अधिक End of Life (EoL) वाहन आते हैं, उनकी निगरानी दिल्ली पुलिस की टीमें करेंगी।
  2. 59 पंप – इनकी जिम्मेदारी परिवहन विभाग के अधिकारियों को सौंपी गई है।
  3. 91 संवेदनशील पंप – इनकी निगरानी दोनों विभागों की संयुक्त टीमों द्वारा की जाएगी।
  4. बाकी के 100 पंप – इनकी देखरेख नगर निगम (MCD) के कर्मचारी करेंगे।

इस व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी प्रतिबंधित वाहन गलती से या जान-बूझकर ईंधन न भरवा सके।

कानूनी आधार और कार्रवाई

यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के 2014 के फैसले पर आधारित है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों को सार्वजनिक स्थानों पर खड़ा करना अवैध है।

इस नए नियम के तहत, यदि कोई पेट्रोल पंप पुराने वाहन को ईंधन देता हुआ पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 192 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें चालान के साथ-साथ संबंधित वाहन को जब्त भी किया जा सकता है।

पेट्रोल पंपों को दिए गए निर्देश

दिल्ली सरकार ने सभी पेट्रोल पंपों को SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी किए हैं, जिसके अनुसार:

  • हर पंप को यह सूचना बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा:
    “Fuel will not be dispensed to End of Life Vehicles — i.e. 15 years old Petrol and CNG and 10 years old Diesel (01.07.2025 से)”
  • हर बार जब किसी वाहन को ईंधन देने से मना किया जाए, तो उसका रिकॉर्ड तैयार करना होगा।
  • सभी पेट्रोल पंपों के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि वे नियमों को सही तरीके से लागू करें।

टेक्नोलॉजी की मदद से निगरानी

इस नीति के पालन को सुनिश्चित करने के लिए राजधानी में Automated Number Plate Recognition (ANPR) सिस्टम लगाया गया है। यह प्रणाली प्रत्येक वाहन की नंबर प्लेट को स्कैन कर यह पहचान सकेगी कि वाहन ईंधन भरवाने के योग्य है या नहीं।

इस सिस्टम की निगरानी दिल्ली ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (DTIDC) करेगा। रियल-टाइम डेटा के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कहीं भी कोई उल्लंघन न हो।

आंकड़ों में खतरे की गंभीरता

VAHAAN डेटाबेस के अनुसार, दिल्ली में करीब 62 लाख ऐसे वाहन हैं जो अब End of Life श्रेणी में आते हैं:

  • 41 लाख दोपहिया वाहन
  • 18 लाख चार पहिया वाहन
  • बाकी अन्य श्रेणियों के वाणिज्यिक वाहन

सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि उसके आसपास के NCR क्षेत्रों — जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान — में भी 46 लाख EoL वाहन मौजूद हैं। ये वाहन अक्सर दिल्ली की सीमाओं में प्रवेश करते हैं और राजधानी के प्रदूषण स्तर को और गंभीर बना देते हैं।

जवाबदेही की निगरानी

दिल्ली सरकार और CAQM ने निर्देश जारी किए हैं कि:

  • प्रत्येक सप्ताह पेट्रोल पंपों की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
  • यह रिपोर्ट CAQM और Ministry of Petroleum and Natural Gas को भेजी जाएगी ताकि उच्चस्तरीय निगरानी बनी रहे।
  • जिन पेट्रोल पंपों द्वारा नियमों का उल्लंघन किया जाएगा, उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

नीति का सामाजिक प्रभाव

इस कदम से एक बड़ा तबका प्रभावित होगा, विशेषकर वो लोग जो आर्थिक रूप से पुराने वाहनों पर निर्भर हैं। हालांकि पर्यावरणविदों का मानना है कि यह एक जरूरी निर्णय है क्योंकि दिल्ली की हवा लगातार सांस लेने लायक नहीं रह गई है।

पुराने वाहन सिर्फ ज़हरीला धुआं ही नहीं छोड़ते, बल्कि उनसे उत्पन्न PM2.5 और PM10 कण बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। पिछले कई सालों से दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में टॉप पर बनी हुई है।

भविष्य की दिशा

यह कदम केवल शुरुआत है। सरकार आने वाले समय में स्क्रैप पॉलिसी को और सख्ती से लागू करेगी और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देगी। इससे लोगों को विकल्प मिलेगा कि वे पुराने वाहनों की जगह आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल वाहन अपनाएं।

निष्कर्ष

दिल्ली सरकार का यह निर्णय स्वागतयोग्य है, लेकिन इसकी सफलता इस पर निर्भर करेगी कि इसका पालन कितनी ईमानदारी से किया जाता है। नियम लागू कर देना पर्याप्त नहीं है, लोगों में जागरूकता और जिम्मेदारी का भाव भी जरूरी है।

इस अभियान का मूल उद्देश्य एक ही है — दिल्ली को फिर से सांस लेने लायक बनाना। और इसमें हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है।

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