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एयर इंडिया की रद्द उड़ानें और संचालन संकट: रखरखाव, सुरक्षा और यात्री असुविधा की गहराई से पड़ताल

Air India's cancelled flights and operational woes: A deep dive into maintenance, safety and passenger inconvenience

भारत की प्रमुख विमानन कंपनी एयर इंडिया एक बार फिर संकट के दौर से गुजर रही है। 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे के बाद से एयरलाइन ने अपने शेड्यूल में भारी बदलाव किए हैं। हादसे के बाद अब तक एयर इंडिया ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर कम से कम आठ उड़ानें रद्द की हैं। कंपनी ने इसका कारण “बढ़े हुए रखरखाव और परिचालन कारण” बताया है। लेकिन असली सवाल ये है कि क्या सिर्फ रखरखाव ही इसका कारण है या इसके पीछे गहराई से जुड़े और भी कई कारण हैं?

हादसे की पृष्ठभूमि

12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर हुआ एयर इंडिया का विमान हादसा, जिसमें 241 यात्रियों और 33 कर्मियों की मौत हो गई, ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि विमान की तकनीकी जांच और रखरखाव में कई खामियां थीं। इसके बाद से न सिर्फ एयर इंडिया की सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठे, बल्कि यात्रियों का भरोसा भी बुरी तरह डगमगाया।

रखरखाव के नाम पर उड़ानें रद्द

हादसे के बाद, एयर इंडिया ने अपने वाइड-बॉडी अंतरराष्ट्रीय शेड्यूल में 15% कटौती की घोषणा की है, जो कि जुलाई मध्य तक लागू रहेगी। एयरलाइन के अनुसार, यह फैसला सुरक्षा जांच बढ़ाने और हवाई क्षेत्र प्रतिबंधों की वजह से लिया गया है।

एयर इंडिया के एक आधिकारिक बयान के मुताबिक:

“बढ़े हुए रखरखाव और परिचालन कारणों से उड़ानें रद्द की गई हैं। यात्रियों को हुई असुविधा के लिए हमें खेद है। हम उन्हें जल्द से जल्द उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था कर रहे हैं।”

यानी एयर इंडिया इस समय दोहरी चुनौती से जूझ रही है—एक ओर सुरक्षा सुनिश्चित करनी है और दूसरी ओर संचालन में स्थिरता बनाए रखनी है।

यात्रियों को झेलनी पड़ी परेशानी

उड़ानों के अचानक रद्द होने से सबसे अधिक परेशानी यात्रियों को उठानी पड़ी। कई घरेलू यात्रियों को बिना पूर्व सूचना के हवाई अड्डों से लौटना पड़ा, वहीं अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की योजनाएं बिगड़ गईं। हालांकि, एयर इंडिया ने पूर्ण रिफंड और कॉम्पलीमेंट्री रीशेड्यूलिंग की पेशकश की है, लेकिन यह समाधान यात्रियों की मानसिक और समय की हानि की भरपाई नहीं कर सकता।

सुरक्षा और उड़ान अवधि का संतुलन

एक और बड़ी वजह मध्य पूर्व में हवाई क्षेत्र का बंद होना है, जिससे कुछ रूट्स पर उड़ान की अवधि बढ़ गई है। इससे न केवल संचालन में बाधा आ रही है, बल्कि क्रू शिफ्टिंग, ईंधन की लागत और हवाई यातायात प्रबंधन में भी जटिलता बढ़ गई है।

एयर इंडिया ने कहा:

“हमारी प्राथमिकता शेड्यूल की स्थिरता बहाल करना और अंतिम समय में यात्रियों को होने वाली असुविधा को कम करना है।”

विमानन नीति पर सवाल

एयर इंडिया की इस स्थिति ने भारत की विमानन नियामक एजेंसियों और नागर विमानन मंत्रालय की तैयारियों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जब तक दुर्घटनाएं नहीं होतीं, तब तक क्या रखरखाव और सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में कई विमानन कंपनियाँ, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र की, संसाधनों की कमी, पुराने बेड़े और प्रशासनिक ढिलाई से जूझ रही हैं। ऐसे में सुरक्षा को लेकर सख्त और निरंतर निगरानी बेहद ज़रूरी है।

यात्रियों के लिए क्या सलाह?

एयर इंडिया ने यात्रियों से अपील की है कि वे एयरपोर्ट के लिए रवाना होने से पहले अपनी उड़ानों की स्थिति जरूर जांचें। कंपनी की वेबसाइट, कॉल सेंटर और SMS/ईमेल अलर्ट के ज़रिए अपडेट्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

भविष्य की राह

यह समय एयर इंडिया के लिए आत्मनिरीक्षण और सुधार का है। अब जबकि कंपनी टाटा समूह के अधीन आ चुकी है, तो उससे बेहतर प्रबंधन और वैश्विक मानकों के अनुरूप संचालन की अपेक्षा है। लेकिन इस घटना से यह भी साफ हो गया है कि सिर्फ निजीकरण ही समाधान नहीं है, सुरक्षा संस्कृति और यात्री केंद्रित संचालन पर ज़ोर देना अब और भी जरूरी हो गया है।

निष्कर्ष

एयर इंडिया का यह संकट न केवल एक एयरलाइन का संकट है, बल्कि यह देश की विमानन व्यवस्था और यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। हादसे के बाद उड़ानों की रद्दीकरण, सुरक्षा जांच का बढ़ना, हवाई क्षेत्र प्रतिबंध और संचालन में गड़बड़ियां—ये सभी घटनाएं एक गहरे व्यवस्थागत सुधार की माँग करती हैं।

यात्रियों का भरोसा तभी लौटेगा जब एयर इंडिया पारदर्शिता, समयबद्ध समाधान और सुरक्षा मानकों पर पूरी तरह खरा उतरेगी। तब तक, यात्रियों को अतिरिक्त सतर्कता और जागरूकता के साथ यात्रा करनी होगी।

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