पृष्ठभूमि: अमेरिका का टैरिफ दबाव
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अप्रैल में पुनः 26% की प्रत्य reciprocal शुल्क की घोषणा की थी, जो भारतीय निर्यातकों को भारी झटका दे सकती थी। हालांकि, इसे 90 दिनों के लिए स्थगित रखा गया—अब यह अवधि 9 जुलाई को समाप्त हो रही है। इस बीच, भारत-अमेरिका वार्ता एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है।
🇮🇳🇺🇸 बातचीत का क्रम और प्रमुख मुद्दे
भारत की प्रमुख आपत्तियां
- कृषि, दुग्ध उत्पाद, और जीएम फसलों पर भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि ये संवेदनशील क्षेत्र हैं और किसी भी समझौते में संशोधनों की गنجाइश नहीं है।
- यह निर्णय उस सुनहरे ताने-बाने से जुड़ा है जिसमें किसान हित सर्वोपरि हैं।
अमेरिका की मुख्य मांगें
- भारत में जीएम फसलों, पशुचारे, दुग्ध उत्पादों के बाजार में प्रवेश की स्वतंत्रता,
- औद्योगिक वस्तुओं, इलेक्ट्रिक वाहनों, पेट्रोकेमिकल्स और वाइन पर टैरिफ में कमी।
भारत का प्रस्ताव
- टैक्स कटौती की मांग उस वक्त मजबूत होती है जब अमेरिका 26% शुल्क लागू करने की राह पर है।
- भारत चाहता है कि पत्र-दुविधाहीन 26% शुल्क से राहत मिले, जबकि 10% मूल शल्क बरकरार रहे।
- **कपड़ा, चमड़ा वस्त्र, रत्न-आभूषण, रसायन, प्लास्टिक, उदाहरण के लिए जटिल कृषि उत्पाद जैसे कि श्रिम्प, तेल बीज, अंगूर, केले—इन पर अनुकूल व्यापार नीतियाँ तैयार की जाएं।
समझौता मॉड्यूलर: दो-चरणीय रणनीति
प्रारंभिक चरण (सरकारी योजना):
- कई क्षेत्र कवर करें—दैनिक जरूरत की वस्तुएं, टेक्सटाइल इत्यादि।
- तात्कालिक राहत भारतीय उद्योग के लिए।
दूसरा चरण (अक्टूबर तक निरंतर वार्ता):
- संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेषज्ञ स्तर पर चर्चा जारी।
- यह संयुक्त व्यापार समझौता (BTA) की नींव बनाने की दिशा में कदम होगा।
समय की सीमा: 9 जुलाई तक असमंजस
- अमेरिका ने स्पष्ट किया कि वह सप्लाई इश्यू और ट्रेड डिस्बैलेंस पर समझौता नहीं करेगा।
- ट्रम्प की IFox interview में यह साफ कर दिया गया: “मैं अब दृश्यता तक भी शुल्क ठहरने नहीं दूंगा।”
- भारत का स्टैंड स्पष्ट—किसानों का हित सर्वोपरि और किसी भी तरह का समझौता तभी होगा जब उनकी चिंताओं को पूरा सम्मान मिलेगा।
इस समझौते का महत्व
भारत के लिए लाभ:
- निर्यात बाजार में नए अवसर,
- 26% शुल्क से बचाव,
- रोजगार समर्थन वाली संगठित निर्यात वृद्धि।
अमेरिका के लिए फायदे:
- कुछ क्षेत्रों में टैक्स रियायत,
- भारत में GE फसलों का व्यापारिक द्वार,
- भारतीय बाजार में पहुंच के जरिए वाइन, पेट्रोलियम, वाहन बाजार का विस्तार।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर:
- दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं का एक बड़ा साझा समझौता,
- व्यापार बाधाओं को पाटा गया,
- निवेश और आर्थिक सहयोग को नवचरण मिला।
⚠️ बाधाएं और जोखिम
- कृषि और किसान-हित: किसी भी समझौते का सबसे संवेदनशील पक्ष, सामाजिक-राजनीतिक प्रतिक्रियाओं से जुड़ा।
- जीएम फसलों की स्वीकृति मुश्किल: भारत में जैव-संवेदनशीलता और लोगों के स्वास्थ्य की चिंता प्रमुख है।
- राजनीतिक दुश्मनी: गृह चुनावों के समय निर्णयों पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है।
- अमेरिका की नीति स्थिरता: ट्रम्प की वापसी या नई सरकार की नीति बदलाव के संकेत समझौते को प्रभावित कर सकते हैं।
🔄 आने वाले चरण: क्या हो रहा है?
- वाशिंगटन में मोदी-शाह की सीडी: व्यापार मंत्रियों की वार्ता से बढ़कर अब प्रधानमंत्री के समन्वित दौरे से गंभीर संकेत।
- 9 जुलाई से पहले फाइनल टच डाउन: मुख्य चरण पूरा होना आवश्यक।
- निर्माण समझौते के गांवों पर असर: ऐसे समझौते से कृषि व ग्रामीण उद्योग भरोसा दिखा सकते हैं।
- दोनों खींचतानें जारी रहेंगी: GE Seeds व Farm Products में कोई समझौता नहीं | Trade Balance, Tariff Reduction जारी।
🧭 भविष्य का परिदृश्य
- भारत-यूएस में पहली बार बना interim deal, जो global trade को एक नया रास्ता देता है।
- द्विपक्षीय व्यापार में निरंतर तर्कपूर्ण समझौते की शुरूआत।
- भविष्य में comprehensive BTA की नींव रखी जाएगी।
- यह मॉडल अन्य दक्षिण-दक्षिण देशों के लिए प्रेरणास्पद साबित हो सकता है।
✅ निष्कर्ष
यह समझौता सरकार के समाधानों की अपनी भाषा में उजगर कोशिश है—जहां भारत अपने किसानों और उद्योगों की रक्षा करता दिखे, वहीं विश्व के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के साथ संतुलन बनाये रखे। इसका प्रभाव केवल आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि वैश्विक कूटनीति और भारत की अंतरराष्ट्रीय पीठIMATION पर भी पड़ेगा।
अगर interim trade deal निकल आया, तो यह नफ्सानों का सौदा नहीं, बल्कि दो समान demokratik शक्तियों के बीच विश्वास-आधारित साझेदारी की मिसाल होगी।
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