पृष्ठभूमि – डीज़ल और पेट्रोल वाहनों पर उम्र आधारित प्रतिबंध
1 जुलाई, 2025 से दिल्ली में Commission for Air Quality Management (CAQM) के आदेश के तहत सभी डीज़ल और पेट्रोल वाहनों पर उम्र आधारित ईंधन प्रतिबंध लागू हो गया:
- डीज़ल वाहन – 10 वर्ष या उससे अधिक
- पेट्रोल वाहन – 15 वर्ष या उससे अधिक
ये वाहन चाहे सड़क योग्य स्थिति में हों या जनता के बीच प्रयोग हों, उन्हें ईंधन नहीं मिल सकेगा। आदेश का उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना बताया गया।
एल‑जी वीके सक्सेना का विरोध
दिल्ली के Lieutenant Governor VK Saxena ने हाल ही में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को लिखे पत्र में इस प्रतिबंध को *“अपरिमेय”, “अनुचित” और “विधिक और मौलिक अन्याय” बताया। उनके कुछ मुख्य तर्क अवलोकनीय हैं:
- “10 साल की उम्र = प्रदूषक” कथन अनुचित है, क्योंकि आधुनिक BS-VI मानक वाले डीज़ल वाहनों की उत्सर्जन दर न्यूनतम होती है।
- व्यावहारिक मुश्किलें – कई वाहन स्वच्छ और सड़क योग्य होने के बावजूद स्क्रैप मूल्य पर बेचने का मजबूर, जिससे सामान्य मध्यम वर्गीय परिवारों को महत्वपूर्ण आर्थिक एवं मानसिक भार उठाना पड़ सकता है।
- कानूनी हित – Motor Vehicles Act, 1988 के Section 59 में राष्ट्रीय मापदंड निर्धारित हैं; राज्य या क्षेत्र-आधारित प्रतिबंध उस कानून के अंतर्गत नहीं आते।
- वैकल्पिक सुधार चाहिए – उम्र आधारित प्रतिबंध के बजाय इमिशन टेस्ट, रीट्रोफिट, CNG/ईवी रूपांतरण जैसी युक्तियां अधिक उपयुक्त हैं।
सुप्रीम कोर्ट का संदर्भ – 2018 का का यह निर्णय
यह प्रतिबंध मुखरित सुप्रीम कोर्ट के 2018 आदेश से आया, जिसमें 10 और 15 साल की डीज़ल-पेट्रोल वाहनों पर रोक लगाने की बात कही गई थी। लेकिन तब तक उम्र आधारित सुझाव रहा, अब जब CAQM ने उसे कियानिखित और कार्यान्वित मोड़ दिया, लाइफटाइम वाहन मालिकों में भारी असंतोष है।
एल‑जी ने मुख्यमंत्री से क्या अपेक्षा की?
एल‑जी ने आग्रह किया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता:
- सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दाखिल करें, यह दर्शाने के लिए कि दिल्ली सरकार ने मेट्रो विस्तार, RRTS, ग्रीनिंग अभियानों, EV नीति और बीएस-VI गाड़ियों जैसी व्यापक तैयारी कर रखी है।
- CAQM के साथ बातचीत कर तुरंत रोक को स्थगित कराएं, ताकि पूरे NCR क्षेत्र की एकीकृत रणनीति पर काम किया जा सके।
- MORTH को बुलाया जाए कि Vehicle Scrapping Rules 2021 में उम्र-आधारित कटौती के प्रावधानों को पुनर्विचार करें।
- स्वच्छ वायु योजना तैयार की जाए – जिसमें EV सब्सिडी, रोड डस्ट नियंत्रण, इमिशन पर निगरानी और फंडिंग की स्पष्ट समयरेखा हो।
- जन-सचेतना अभियान संचालित हो – वाहनों को स्क्रैप करने से पहले सीएनजी या इलेक्ट्रिक वाहन में संशोधन के लिए प्रेरित किया जाए।
प्रदूषण बनाम अर्थव्यवस्था
एल‑जी ने स्वीकार किया कि वायु प्रदूषण गंभीर समस्या है, लेकिन रणनीति अनुपातिक और सीमाहीन उम्र आधारित एप्रोच से नहीं सुलझेगी। उन्होंने कहा:
- 10 वर्ष पुराना वाहन जो BS-VI स्टैंडर्ड है, उस पर प्रतिबंध अर्थहीन है।
- स्पष्ट नीति और कार्य भर देने से लोगों को विश्वास दिलाया जा सकता है।
- न्यायालयिक हस्तक्षेप से नीतियों में मानव केंद्रित, संवेदनशील दृष्टिकोण आ सकता है।
प्रशासन और नियमों का टकराव
- CAQM – वायु की गंभीर स्थिति को देखते हुए त्वरित कदम उठाये;
- राज्य प्रशासन – आपातकालीन मनोवृत्तियों को संतुलित प्रतिक्रिया के माध्यम से शासन प्रक्रियाओं को तर्कसंगत और न्यायसंगत बनाना चाहता है।
- कानूनी संरचना – देश के वाहन अधिनियम को दिखाया गया है, जहाँ उम्र की बल्कि सुरक्षा उपाय और मापदंड प्राथमिक हैं।
🧍♂️ मध्यम वर्ग पर असर
- आर्थिक दबाव – पुराने वाहन स्क्रैप मूल्य पर बेचने पड़ेंगे। मध्यम वर्ग वाले वाहन सौंपने में कठिनाई महसूस कर सकता है।
- नैतिक दुविधा – वाहन स्वच्छ और सुरक्षित हो सकते हैं, फिर भी उसे त्यागने का मनोवैज्ञानिक दबाव होगा।
- स्थानांतरण परिसंकट – दिल्ली में वाहन होना एक आर्थिक साज-सज्जा होती है।
एल‑जी ने इसे “विरोधी, असमान और पीछे धकेलने वाला कदम” बताया।
क्या हो सकता है अगला निदान?
- सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका – अगर दाखिल हो गया, तो उम्र-आधारित प्रतिबंध के अधिकारिक और संवैधानिक मान्यताओं को जज किए जाने का रास्ता खुल सकता है।
- भारत सरकार नीति समीक्षा – MORTH और transport ministry मिलकर Scrappage Norms और जटिलताओं पर दोबारा विचार कर सकती है।
- CAQM और राज्य सरकार के बीच बहस – यदि इलाकाई दृष्टिकोण से वाहनों को दो श्रेणियों में बाँटकर देखा जाए तो नीति संतुलित हो सकती है।
- ग्रास रूट स्तर पर परिवर्तन – प्रदूषण नियंत्रण, वाहन ईंधन परिवर्तन (CNG/EV retrofit), और Testing Infra विकसित किया जा सकता है।
वैश्विक दृष्टिकोण
- ब्रिटेन, फ्रांस, यूरोपीय संघ और कनाडा जैसे देशों ने age-based ban की जगह वाहनों के उत्सर्जन मापदंड और तकनीकी स्थिति के आधार पर निर्णय देने वाले मॉडल अपनाए हैं।
- कुछ क्षेत्रीय क्षेत्रीय कार्यक्रमों में retrofit, EV conversion और scrappage incentive भी शामिल होते हैं।
एल‑जी ने सुझाव दिया कि दिल्ली को अपवाद नहीं, लेकिन पूरक मॉडल लागू करना चाहिए।
भविष्य की सम्भावित समयरेखा
चरण | गतिविधि | संभावित समयसीमा |
---|---|---|
1 | राज्य स्तर पर CAQM और Transport Ministry से बातचीत | जुलाई–अगस्त 2025 |
2 | समीक्षा याचिका तैयार एवं हाई कोर्ट/SC में दाखिल | अगस्त–सितंबर 2025 |
3 | सार्वजनिक जागरूकता अभियान, retrofit pilot योजना | अक्टूबर–दिसंबर 2025 |
4 | निष्पादन/प्रभाव मूल्यांकन | जनवरी–2026 |
निष्कर्ष
दिल्ली का “10 साल में स्क्रैप” वाहन योजना प्रदूषण नियंत्रण में एक जवाबदेह कदम है, लेकिन एल‑जी VK Saxena ने यह साबित किया है कि लागू प्रक्रिया में नियोजन, संवेदना और न्यायिक सुरक्षा का अभाव है। इस विषय में आगे समकालीन राजनीति, रणनीति, प्रधानता और सामाजिक न्याय के तत्व संभलकर जुड़ेंगे – और न्यायालय एवं प्रशासकीय समीक्षा इसे सही दिशा में मोड़ेगा।
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