नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय से मंगलवार को एक राजनीतिक बयान ने सुर्खियां बटोरीं। कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया विभाग की अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 11 वर्षों की विदेश नीति की तीखी आलोचना की।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 11 साल के लंबे कार्यकाल में विदेश दौरे और व्यक्तिगत छवि निर्माण पर सबसे अधिक ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि आज जब देश को विश्व के सहयोग की सबसे अधिक ज़रूरत है, तब वही वैश्विक शक्तियाँ भारत से कतराती नज़र आ रही हैं।
“प्रधानमंत्री की विदेश नीति सिर्फ उनकी छवि के लिए थी”
सुप्रिया श्रीनेत ने अपने बयान में कहा,
“ग्यारह वर्षों से नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने इस दौरान भारत को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के नाम पर लगातार विदेश यात्राएं कीं। लेकिन इन यात्राओं का केंद्र सिर्फ और सिर्फ उनकी ब्रांडिंग और उनकी छवि निर्माण तक सीमित रहा।”
उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय नेतृत्व की विश्वसनीयता तब परखी जाती है जब देश संकट में हो। लेकिन दुर्भाग्यवश, आज जब भारत को अपने तथाकथित मित्र देशों की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, तो वही देश भारत से दूरी बनाए हुए हैं।
“भारत के लिए चेतावनी, पाकिस्तान के लिए स्वागत!”
सुप्रिया श्रीनेत ने विशेष रूप से अमेरिका का उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि अकेली महिलाएं भारत की यात्रा न करें क्योंकि यह देश उनके लिए सुरक्षित नहीं है।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर डोनाल्ड ट्रंप तक हर अमेरिकी नेता से व्यक्तिगत मैत्री संबंध दिखाए, तो आज वही अमेरिका भारत पर ऐसा बयान क्यों दे रहा है?
उन्होंने कहा,
“अमेरिका पाकिस्तान को लाल कालीन बिछाकर स्वागत कर रहा है, उसके नेताओं से वार्ताएं कर रहा है, और दूसरी ओर भारत के लिए चेतावनियां जारी की जा रही हैं। यह हमारी विदेश नीति की विफलता नहीं तो और क्या है?”
“विदेश नीति में गंभीर चूक”
कांग्रेस नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति ने उस उद्देश्य को खो दिया है, जो स्वतंत्र भारत के शुरुआती दशकों में पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे नेताओं ने गढ़ा था। भारत की विदेश नीति कभी भी केवल ‘शो ऑफ’ या फोटो-ऑप्स का मंच नहीं रही, बल्कि यह एक रणनीतिक सोच का परिणाम रही है।
लेकिन आज स्थिति यह है कि भारत के हितों की रक्षा करने के बजाय सरकार प्रचार और प्रदर्शन में व्यस्त रही, और परिणामस्वरूप भारत की अंतरराष्ट्रीय साख को नुकसान हुआ।
“विदेशी मीडिया की छवि भी चिंता का विषय”
सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी जोड़ा कि अब विदेशी मीडिया भी भारत को एक ऐसे देश के रूप में दिखा रहा है जहां लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में है, और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को आत्ममंथन करना चाहिए कि आखिर क्यों भारत के बारे में ऐसी नकारात्मक धारणा बन रही है।
“आत्ममुग्ध सरकार, आत्मनिर्भर नहीं”
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जो सरकार “आत्मनिर्भर भारत” का नारा देती है, वह वास्तव में “आत्ममुग्ध भारत” बना रही है — जहां केवल एक व्यक्ति की छवि की चिंता है, न कि जनता के असली मुद्दों की।
उन्होंने कहा,
“मोदी सरकार ने अपने हर निर्णय को एक इवेंट बना दिया, लेकिन उन नीतियों का परिणाम क्या आया? देश की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुज़री, बेरोज़गारी ऐतिहासिक स्तर पर है, और अब विदेश नीति पर भी प्रश्नचिन्ह लग चुके हैं।”
“यह वक्त आत्मप्रशंसा का नहीं, आत्मनिरीक्षण का है”
सुप्रिया श्रीनेत का यह भी कहना था कि प्रधानमंत्री को अब यह सोचना चाहिए कि वह किस दिशा में देश को ले जा रहे हैं। 11 साल का कार्यकाल छोटा नहीं होता, लेकिन अगर उसके बाद भी भारत को वैश्विक समर्थन नहीं मिलता, तो इसका मतलब है कि कुछ बहुत गंभीर गड़बड़ी है।
उन्होंने कहा,
“यह वक्त आत्मप्रशंसा का नहीं, आत्मनिरीक्षण का है। प्रधानमंत्री को चाहिए कि वह खुद से सवाल पूछें कि देश को क्या मिला—अंतरराष्ट्रीय गौरव या अंतरराष्ट्रीय उपेक्षा?”
निष्कर्ष
कांग्रेस की यह तीखी प्रेस कॉन्फ्रेंस केंद्र सरकार की विदेश नीति को लेकर एक बड़ा राजनीतिक हमला मानी जा रही है। खासकर ऐसे समय में जब भारत वैश्विक मंच पर खुद को एक उभरती महाशक्ति के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, ऐसे में अमेरिका जैसी ताकतों की चेतावनी और पाकिस्तान के प्रति नरम रुख पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
सुप्रिया श्रीनेत का यह बयान राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा सकता है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी और विदेश मंत्रालय इस पर किस प्रकार प्रतिक्रिया देते हैं।
जवाब अब सरकार के पाले में है।
Leave a Reply