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सी. सदानंदन मास्टर का राज्यसभा नामांकन: ‘विकसित केरल’ के सपने के साथ नई रणनीति

C. Sadanandan Master's Rajya Sabha nomination: New strategy with the dream of a 'developed Kerala'

प्रस्तावना

14 जुलाई 2025, रविवार को एक ऐतिहासिक क्षण तब आया जब राष्ट्रपति द्वारा घोषणा की गयी कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षा प्रोढ़ता C. सदानंदन मास्टर को राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया है। यह न केवल उनके व्यक्तिगत करियर में बड़ी उपलब्धि है, बल्कि ऐसा कदम भी है जिसमें केरल सहित भारत में ‘विकसित भारत – विकसित केरल’ के विचार को पुष्ट करने की शक्ति निहित है।

इस लेख में हम विस्तार से जाँच करेंगे कि मास्टर क्या प्रतिनिधित्व करते हैं, उनका नामांकन क्यों महत्वपूर्ण है, केरल की राज्य राजनीति पर इसका क्या प्रभाव होगा, और आने वाले समय में वे किन-किन क्षेत्रों में नेतृत्व दिखा सकते हैं।


प्राथमिक जीवन और कर्मभूमि

1. शिक्षा और सामाजिक सेवा की प्रेरणा

सी. सदानंदन मास्टर का नाम ‘मास्टर’ इसलिए जुड़ा क्योंकि वो शिक्षा के खेत में गहरी जड़ों वाले शिक्षक रहे हैं। उन्हें सामाजिक चेतना और मानवता के प्रति जागरूक करने वालों में श्रेणीबद्ध किया जाता है। दशकों से, उन्होंने केरल के ग्रामीण और शहरी पिछड़े इलाकों में शिक्षा के प्रसार, गरीबी उन्मूलन, बाल-कल्याण और महिला सशक्तिकरण सहित कई जनकिय अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई है।

2. राजनीतिक संघर्ष और क्षेत्रीय दबाव

दक्षिण भारत में, विशेषतः केरल में, राजनीतिक हिंसा और बेहद तीव्र प्रतिद्वंद्विता का इतिहास रहा है। येमक्षेत्र यूनियनिस्ट, कम्युनिस्ट, कांग्रेस, विपक्षी पार्टी आल इंडिया अच्चुधरमा (AIADMK) और इसी तरह की पार्टियों के बीच अक्सर टकराव रहा है। उसके बावजूद, मास्टर जैसे असली सामाजिक कार्यकर्ता संघर्ष और धमकियों के सामने डटकर खड़े रहे हैं।


राज्यसभा नामांकन: एक राजनीतिक बयान

1. पार्टी का विश्वास और रणनीतिक संदेश

मास्टर ने कहा, “यह एक गर्व का क्षण है क्योंकि पार्टी ने मुझपर विश्वास और भरोसा जताया। केरल की राजनीति में यह बहुत मायने रखता है।” उनका नामांकन भाजपा के ‘विकसित बिहार’, ‘विकसित गुजरात’ के विजन से मिलता-जुलता ‘विकसित केरल’ की दिशा में एक रणनीतिक संकेत है।

भाजपा ने मूल रूप से राष्ट्रीय स्तर पर विकास के एजेंडे पर ज्यादा जोर दिया है, लेकिन केरल में उसकी पकड़ अपेक्षाकृत सीमित रही है। ऐसे में, एक ऐसे व्यक्ति को राज्यसभा में भेजना जो पीड़ा और आधारभूत विकास को गहराई से समझता है, भाजपा केरल में जनसंवाद को पुनः सक्रिय करने की कोशिश है।

2. राजनीतिक हिंसा में परिवारों की भूमिका

मास्टर ने विशेष रूप से कन्नूर जिले का उल्लेख किया है जहां भाजपा कार्यकर्ता और उनके परिवार हिंसा की घटनाओं में बाधित होते रहे हैं। बहुत से कार्यकर्ताओं ने अपने जीवन की आहुति दी—उनके परिवार आज भी न्याय, सुरक्षा और आर्थिक सहयोग की उम्मीद में हैं। मास्टर ने उनकी चिंता और दायित्व दोनों को मुखर रूप से उठाया:

“बड़ी संख्या में कन्नूर में कार्यकर्ताओं ने अपनी जान की कीमत चुकाई है… अब उनके परिवार आज आर्थिक व सामाजिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं।”

उनकी उम्मीद है कि राज्यसभा में बैठकर वे इन परिवारों की आवाज़ बनेंगे और उनका विश्वास सरकार पर पुनः स्थापित करेंगे।


‘विकसित केरल’ और ‘विकसित भारत’: योजना और दृष्टिकोण

1. एजुकेशन फॉर ऑल: सबके लिए शिक्षा

मास्टर की प्राथमिक चिंता शिक्षा और उससे होने वाले समग्र विकास से जुड़ी है। वे राज्यसभा में शिक्षा और छात्रों की बेहतरी के लिए विशेष पहल लाएंगे—पिछड़े इलाकों में डिजिटल बुनियादी ढांचे, स्मार्ट विद्यालय, छात्रवृत्ति योजनाएं और टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम सब शामिल हैं।

2. रोजगार सृजन और कौशल विकास

उन्होंने गुजरात और महाराष्ट्र के मॉडल को देख कर सुझाव दिया कि विप्रति परिस्थितियों में भी रोजगार उत्पन्न हो सकता है—’स्टार्टअप इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’ जैसे केंद्र सरकार के प्रयासों को वे केरल रूपांतरण देना चाहेंगे, जहाँ पर्यटन, आयुष (AYUSH), जैव-उद्योग, समुद्री विकास जैसी सूक्ष्म पहलुओं पर काम हो।

3. सामाजिक सुरक्षा और पीड़ित पारिवारिक सहायता

राज्यसभा में मास्टर की मांग रहेगी केंद्र और राज्य स्तर पर ‘संयुक्त सहायता पैकेज’—जल्द समाधान, मुआवजा, मानसिक और सामाजिक सलाह, नौकरी या शैक्षिक समर्थन जो आज की जरूरत है। यह एक बड़ा पैकेज बन सकता है जिसमें वेतन बीमा, शिक्षा और जीवन सुरक्षा सब सम्मिलित हों।

4. लोक स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय विकास

उन्हें उम्मीद है कि वे राज्यसभा में समान रूप से स्वास्थ्य सुधार—सभी जनपदों में नयी स्वास्थ्य नीतियों के माध्यम से अस्पताल, गांवों तक स्वास्थ्य सेवाएं, संक्रमण, मानसिक स्वास्थ्य, कोविड जैसे ज़मीनी रोगों पर निगरानी—ऐसे व्यापक मसलों पर दुनिया की नज़र खींचेंगे।

5. महिला एवं बाल विकास

एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनका नजरिया रहा है—बच्चों के कुपोषण और शिक्षित करने वाली महिलाओं का स्तर, ‘बालिका शिक्षा’, ‘गरीबा बेटी सहयोग योजना’—राज्यसभा में यह एजेंडा मजबूत होगा।


प्रधानमंत्री मोदी की बधाई: उम्मीद और विश्वास

नियुक्ति की घोषणा के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बधाई प्रदान की:

“श्री C. सदानंदन मास्टर का जीवन साहस और अन्याय के खिलाफ खड़े रहने का प्रतीक हैं… उनकी शिक्षक और सामाजिक कार्य के रूप में भूमिका सराहनीय है… युवा सशक्तिकरण के लिए उनकी दी गई पहल यादगार हैं। राज्यसभा में उनके लिए शुभकामनाएं।”

प्रधानमंत्री की यह प्रतिक्रिया, मास्टर के नामांकन को उच्च नैतिक मजबूतता और राष्ट्रीय स्तर की मान्यता देती है—and इससे यह संदेश जाता है कि भाजपा उनका उच्च मूल्यांकन करती है।


राज्यसभा की भूमिका: क्या होंगे प्राथमिक मुद्दे?

1. राज्यसभा में विपक्ष की भूमिका

भाजपा को राज्यसभा में राजनीतिक योगदानों और राष्ट्रीय विकास एजेंडे के चर्चे के माध्यम से सत्ताको विरोध करने तथा जनता के मुद्दों को उजागर करने का अधिक अवसर मिलेगा। मास्टर इसी भूमिका को मजबूत करेंगे—विशेष रूप से केरल से जुड़े मुद्दों को दबदबे के साथ उठाने का।

2. कम्यूनिटेशन्स और सार्वजनिक इंटरैक्शन

मास्टर अपने कई दशकों की सामाजिक सेवा को आधार बनाकर मीडिया, जन मंच और पंचायत स्तर पर संवाद बढ़ा सकते हैं। इससे भाजपा की छवि ‘केवल राजनीतिक दल’ से हटकर ‘सामाजिक विकास में योगदान करने वाला’ संगठन के रूप में गढ़ सकती है।

3. कानून व्यवस्था और राजनीतिक हिंसा

राज्यसभा में वे कानून व्यवस्था पर विशेष रौशनी डाल सकते हैं—कन्नूर और अन्य हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ित परिवारों के मामलों को संसद के मंच पर उठाया जा सकता है। इससे राज्य सरकार पर राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठता ­द्बारा दबाव बन सकता है।


राजनीतिक स्थानीय संगठन: भाजपा को मिला बल

1. भाजपा-केरल संरचनात्मक मजबूती

मास्टर का नामांकन भाजपा केरल इकाई को नई लीडरशिप और मूल स्थानीय मुद्दों से जोड़ने का कारण बन सकता है। इससे स्थानीय कार्यकर्ताओं में मनोबल बढ़ेगा।

2. जनाधार विस्तार

उनके सामाजिक सेवा के क्षेत्रीय काम (गांव, स्कूलों, बीमारों की देखभाल) ने कई समुदायों में संपर्क साधा है—ये तत्व भाजपा को राज्य में वैकल्पिक जनाधार बनाने में मदद करेंगे।

3. समन्वय और भविष्य

राज्यसभा में मास्टर को नामांकित करने से विकास-संबंधी योग्यता, राज्य विकास की दृष्टि, और आईपीएल (Ideological People Leadership) का उदाहरण बनकर अन्य नेताओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकते हैं।


सामरिक चुनौतियाँ और आगे की राह

1. राजनीतिक संघर्ष और देवदर्शन

राजनीतिक हिंसा अब भी की पल-पल की चुनौतियां बनकर सामने हैं। मास्टर को न केवल संसद में बल्कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पार्टी संघर्ष-शिल्प (praxis) भी तैयार करना होगा।

2. क्षेत्रीय स्पष्टता

‘विकसित केरल का एजेंडा’ राज्यभाषा, नागरी अधिकार, नदी जलक्रम जैसी स्थानीय मसलों से भी जुड़ा होना चाहिए—राज्यसभा पर्याप्त मंच हो सकता है लेकिन स्थानीय नीतियों में भी काम कर सकने की क्षमता बने।

3. लोक संपर्क एवं संवाद

उनकी पृष्ठभूमि के चलते उन्हें सामूहिक संवाद प्रक्रिया, महिलाओं, युवाओं, ग़रीबों के संपर्क बढ़ाने पर ध्यान देना होगा—विचारक के रूप में मैलिनता से ऊपर उठकर साक्षी और संवेदक का निर्वहन करना होगा।


निष्कर्ष: एक नई शुरुआत

C. सदानंदन मास्टर का राज्यसभा नामांकन केवल एक राजनैतिक नियुक्ति नहीं, बल्कि ‘विकसित भारत और विकसित केरल’ के दृष्टिकोण को गहराई से परिभाषित करने का एक मजबूत हिमस्खलन है। एक वक़्त में स्कूल मास्टर, सामाजिक कार्यकर्ता और अब सांसद—उनकी यात्रा कई सवालों के जवाब देने वाली है:

  • क्या वे राज्यसभा में विकास और न्याय को संगमित कर पाएंगे?
  • क्या कन्नूर जैसे हिंसात्मक प्रभावित जिलों को न्याय और सुरक्षा मिलेगा?
  • क्या उनका समाज-आधारित दृष्टिकोण भाजपा की राजनीति में लोकनेतृत्व की नयी चेहरा बनेगा?

भारतीय राजनीति में यह नामांकन उच्च उम्मीद और नई पहल का प्रतीक है—जिसका इष्टतम उपयोग सी. सदानंदन मास्टर और भाजपा का केरल इकाई जनता को साधने में करेगी। आने वाले समय में केंद्रीकृत एजेंडा, राज्य विकास, महिला-शिक्षा-सामाजिक कल्याण जैसे मुद्दों में केंद्र ने जो योजनाएं बांधे हैं, मास्टर को उनकी इस यात्रा में नेतृत्व संवाद और बदलाव सूत्रधार बनकर योगदान करना होगा।

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