जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के दौरान एक बड़ा सड़क हादसा सामने आया है। शुक्रवार सुबह जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) पर अमरनाथ यात्रियों को ले जा रही चार बसें आपस में टकरा गईं, जिससे कम से कम 25 श्रद्धालु घायल हो गए। यह हादसा रामबन जिले के पास हुआ, जो कि अक्सर यात्रा के दौरान ट्रैफिक और लैंडस्लाइड के चलते संवेदनशील रहता है।
हादसा कैसे हुआ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बसों का यह काफिला अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू से पहलगाम और बालटाल की ओर जा रहा था। यात्रियों से भरी चार बसें एक-दूसरे के पीछे-पीछे चल रही थीं। रामबन के पास डिगडोल क्षेत्र में अचानक एक बस के ब्रेक लगने से पीछे चल रही तीन बसें आपस में भिड़ गईं।
स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, तेज़ रफ्तार, ढलान और अचानक ब्रेकिंग की वजह से ये टक्कर हुई। हालांकि गंभीर घायल कोई नहीं है, लेकिन कई यात्रियों को हड्डी और सिर में चोटें आई हैं।
घायल यात्रियों का उपचार
हादसे के बाद स्थानीय पुलिस और प्रशासन की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। घायलों को रामबन के जिला अस्पताल और कुछ को उधमपुर के मेडिकल सेंटर में भेजा गया है। चार यात्रियों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें जम्मू GMC रेफर किया गया है।
यात्रा प्रबंधन पर उठे सवाल
हर साल होने वाली अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा, ट्रैफिक और स्वास्थ्य प्रबंधन के बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन लगातार हादसों से यह साफ हो रहा है कि ग्राउंड लेवल पर प्रबंधन में कई खामियां हैं।
- कई श्रद्धालु यात्रियों ने बताया कि बसें ओवरलोड थीं और ड्राइवर थके हुए लग रहे थे।
- यात्रा मार्ग पर पर्याप्त यातायात नियंत्रण नहीं था।
- कहीं-कहीं सड़कों पर फिसलन और निर्माण कार्य भी हादसों को न्योता दे रहे हैं।
क्या यात्रा रुकेगी?
रामबन पुलिस ने बताया कि दुर्घटना के बाद थोड़ी देर के लिए हाईवे को बंद किया गया था, लेकिन अब यात्रा फिर से सुचारू रूप से चालू कर दी गई है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और परिवहन विभाग को कहा है कि बसों की तकनीकी जांच की जाए और ड्राइवरों की थकावट को लेकर निगरानी रखी जाए।
अमरनाथ यात्रा का महत्व
अमरनाथ यात्रा भारत की सबसे पवित्र और कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक मानी जाती है। जुलाई से अगस्त तक चलने वाली यह यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को श्री अमरनाथ गुफा में बर्फ से बने शिवलिंग के दर्शन के लिए आकर्षित करती है। यात्रा में शामिल श्रद्धालु या तो बालटाल रूट या पहलगाम रूट से गुफा तक पहुंचते हैं।
निष्कर्ष
यह हादसा एक बार फिर से याद दिलाता है कि श्रद्धा और व्यवस्था दोनों को संतुलन में रखना बेहद जरूरी है। श्रद्धालुओं की जान की जिम्मेदारी सिर्फ उनके उत्साह की नहीं, बल्कि प्रशासन और यात्रा प्रबंधन एजेंसियों की भी है। आने वाले दिनों में अगर इसी तरह की लापरवाहियाँ जारी रहीं, तो श्रद्धा पर सवाल उठने लगेंगे।
प्रशासन से अपेक्षा है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान वाहनों की फिटनेस, ड्राइवर की सतर्कता, और मार्ग सुरक्षा के प्रति और अधिक गंभीरता दिखाई जाए।
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