सूरत पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) टीम ने शहर में एक बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया है। मिनी गोवा रोड इलाके से मुस्लिम युवक सुल्तान उर्फ सुनील मंडल और नेपाल मूल की महिला स्मिती उर्फ स्वाति पटेल को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि दोनों ने फर्जी पहचान बनाकर आधार और पैन कार्ड हासिल किए। पुलिस ने आरोपियों के पास से 4 आधार कार्ड और 1 पैन कार्ड जब्त किए हैं।
फर्जी पहचान का खेल
पुलिस जांच में सामने आया है कि युवक और युवती ने हिंदू नामों से पहचान पत्र बनवाए थे। इसका उद्देश्य हिंदू बहुल इलाकों में रहना, नौकरी पाना और आवास किराए पर लेना था। दोनों ने नकली नाम और दस्तावेजों का इस्तेमाल करके फर्जी आधार और पैन कार्ड बनवाए।
पुलिस की कार्रवाई
सूरत की SOG टीम को सूचना मिली थी कि मिनी गोवा रोड इलाके में कुछ लोग फर्जी पहचान पर रह रहे हैं। छापेमारी के दौरान पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। तलाशी में उनके पास से कई आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य दस्तावेज बरामद हुए।
सुरक्षा एजेंसियों में सतर्कता
फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल सिर्फ नौकरी और मकान किराए पर लेने तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसका दुरुपयोग आर्थिक अपराध, धोखाधड़ी और आतंकी गतिविधियों तक में किया जा सकता है। यही वजह है कि पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। अब यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि क्या इनके नेटवर्क में और भी लोग शामिल हैं।
आरोपियों से पूछताछ जारी
पुलिस ने दोनों आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। जांच का मुख्य फोकस यह है कि—
- फर्जी दस्तावेज किसके सहयोग से और कहाँ से बने?
- क्या किसी बड़े गैंग या दलाल नेटवर्क का इसमें हाथ है?
- इन पहचान पत्रों का इस्तेमाल अब तक किन गतिविधियों में हुआ?
फर्जी दस्तावेजों का बढ़ता खतरा
यह मामला कोई पहला नहीं है जब फर्जी आधार और पैन कार्ड का इस्तेमाल सामने आया हो। इससे पहले भी गुजरात समेत देश के कई हिस्सों में ऐसे गैंग पकड़े गए हैं जो फर्जी पहचान बनाकर बैंक खाते खोलते, सिम कार्ड लेते और आर्थिक अपराधों को अंजाम देते थे।
प्रशासन के लिए चुनौती
आधार और पैन जैसे अहम दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती है। यह न केवल कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है बल्कि आंतरिक सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा करता है।
निष्कर्ष
सूरत का यह मामला दिखाता है कि फर्जी पहचान का नेटवर्क कितना संगठित और खतरनाक हो सकता है। फिलहाल पुलिस की सतर्कता से यह फर्जीवाड़ा सामने आया, लेकिन इससे यह भी साफ हो गया कि डिजिटल पहचान और सरकारी दस्तावेजों की सुरक्षा को लेकर और सख्ती की जरूरत है।
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