संभल में होली और जुमे की नमाज पर बढ़ी सियासत
यूपी के संभल में होली और जुमे की नमाज को लेकर विवाद गरमा गया है। प्रशासन का कहना है कि जुमा साल में कई बार आता है, जबकि होली साल में सिर्फ एक बार मनाई जाती है। ऐसे में होली के दिन जिन्हें रंग से परेशानी है, वे घर से बाहर न निकलें। साथ ही, नमाज घर में भी पढ़ी जा सकती है। सत्ता पक्ष ने इस फैसले का स्वागत किया है, जबकि विपक्षी दलों ने इस पर नाराजगी जताई है।
“हिंदू सेक्युलरिज्म का बोझ उठाते-उठाते थक चुके हैं” – केतकी सिंह
अब इस पूरे मामले पर बलिया के बांसडीह से बीजेपी विधायक केतकी सिंह ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “बहुत हो चुका, हिंदू सेक्युलरिज्म का बोझ उठाते-उठाते थक चुके हैं। हमें भी मान-सम्मान चाहिए। मैंने जो कहा, उस पर मैं अटल हूं।”
“हर बात पर इस्लाम खतरे में कैसे आ जाता है?”
उन्होंने कहा कि जब भी देश में कोई घटना होती है, इस्लाम खतरे में आ जाता है। हिंदू कोई भी त्योहार मनाए, कोई यात्रा निकाले, कोई विशेष वेशभूषा पहने या खाने-पीने को लेकर कोई निर्णय ले—हर बार इस्लाम खतरे में बताया जाता है। अगर हिंदुओं से इतनी दिक्कत है, तो अस्पताल में भी अलग वार्ड बना लेना चाहिए।
“धर्म के आधार पर हुआ था विभाजन”

केतकी सिंह ने कहा, “जब देश का विभाजन हुआ था, तभी ये व्यवस्थाएं अलग हो जानी चाहिए थीं। विभाजन आबादी के आधार पर नहीं, बल्कि धर्म के आधार पर हुआ था। इस्लाम को मानने वाले पाकिस्तान चले गए, लेकिन जो भारत में रुके, वे यह मानकर रहे कि अब हिंदू यहां सुरक्षित रहेंगे।”
“मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से दूसरे धर्मों के लोगों का पलायन”
उन्होंने आरोप लगाया कि जहां भी मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वहां से अन्य धर्मों के लोग पलायन कर चुके हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि गंगा-जमुनी तहजीब की बात सिर्फ हिंदुओं से ही क्यों की जाती है? ईद में सिवइयां खाने की बात होती है, तो हिंदू त्योहारों पर सुंदरकांड का प्रसाद क्यों नहीं बांटा जाता?
“संभल में आज तक होली क्यों नहीं मनाने दी गई?”
उन्होंने पूछा कि संभल में अब तक खुले तौर पर होली क्यों नहीं मनाई गई? ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर मुसलमान आगे आकर कुछ क्यों नहीं कहते? उन्होंने कहा कि वे उन सभी मुसलमानों के विरोध में हैं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल तक हिंदू बहन-बेटियों पर अत्याचार किए। अंत में उन्होंने दोहराया, “मैं अपने बयान पर अटल हूं।”
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