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भारत की सीमाओं पर बढ़ते खतरों के बीच रक्षा मंत्रालय का बड़ा फैसला: आपातकालीन खरीद से सेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा

Amid rising threats on India's borders, Defence Ministry's big decision: Emergency purchases increase army's strength tremendously

भारत की सीमाओं पर सुरक्षा खतरों की पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने एक बेहद अहम और रणनीतिक निर्णय लिया है। रक्षा मंत्रालय ने लगभग 2,000 करोड़ रुपये की आपातकालीन खरीद निधि को मंज़ूरी दी है, जिसका उद्देश्य भारत की सीमा सुरक्षा को मजबूती देना और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों की ऑपरेशनल क्षमताओं को आधुनिक और प्रभावी बनाना है।

🇮🇳 आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक तैयारी

पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद और सीमाओं पर लगातार बदलते खतरे के परिदृश्य को देखते हुए भारत सरकार का यह कदम एक प्रसारित और निर्णायक रणनीति का हिस्सा है। आपातकालीन खरीद तंत्र (Emergency Procurement Mechanism) के तहत रक्षा मंत्रालय ने 1,980 करोड़ रुपये के 13 अनुबंध पूरे कर लिए हैं। ये सभी अनुबंध फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के माध्यम से निष्पादित किए गए, ताकि हथियार और उपकरण तय समय सीमा में सशस्त्र बलों तक पहुंच सकें।

इस पहल का मुख्य फोकस स्थितिजन्य जागरूकता (situational awareness), मारक क्षमता, गतिशीलता और सैनिकों की व्यक्तिगत सुरक्षा को बढ़ाना है — विशेष रूप से आतंकवाद प्रभावित और ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात टुकड़ियों के लिए।


क्या-क्या खरीदा गया है: हाई-टेक सिस्टम और आधुनिक हथियार

भारत ने इस निधि के तहत जो प्रमुख हथियार और उपकरण खरीदे हैं, उनमें शामिल हैं:

  • IDDIS (Integrated Drone Detection and Interdiction System): ड्रोन से होने वाले खतरों को पहचानने और उन्हें निष्क्रिय करने की अत्याधुनिक प्रणाली।
  • LLLR (Low-Level Lightweight Radar): हल्के लेकिन शक्तिशाली राडार जो कम ऊंचाई पर उड़ने वाली वस्तुओं को पकड़ने में सक्षम हैं।
  • VSHORADS (Very Short Range Air Defence System): अत्याधुनिक मिसाइल और लॉन्चर सिस्टम जो कम दूरी पर हवाई खतरों से निपटने में मदद करेगा।
  • RPAV (Remotely Piloted Aerial Vehicle): निगरानी और जमीनी अभियानों के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले ड्रोन।
  • VTOL Loitering Munitions: ऐसे ड्रोन जो लंबी दूरी तक उड़ सकते हैं, लक्ष्य पर मंडराकर हमला कर सकते हैं।
  • Bulletproof Jackets और Ballistic Helmets: सैनिकों की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए नए और हल्के लेकिन उच्च सुरक्षा मानकों वाले जैकेट और हेलमेट।
  • QRFV (Quick Reaction Fighting Vehicles): भारी और मध्यम श्रेणी के वाहन जो सीमावर्ती क्षेत्रों में तेज़ प्रतिक्रिया देने में सक्षम हैं।

‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और मज़बूत क़दम

इस पूरी प्रक्रिया में सबसे अहम बात यह है कि अधिकतर हथियार और सिस्टम स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और निजी कंपनियों के बीच सहयोग से भारत अब न केवल आयात पर निर्भरता घटा रहा है, बल्कि अपनी तकनीकी और रक्षा उत्पादन क्षमताओं को भी मजबूत कर रहा है।

उदाहरण के लिए, DRDO और भारत फोर्ज के सहयोग से 4.25 लाख कार्बाइन का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा, नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज के सहयोग से 450 नागस्त्र-1आर ड्रोन खरीदे जा रहे हैं — जो dual-purpose यानि निगरानी और आत्मघाती दोनों भूमिकाओं में काम करते हैं।

इनमें से नागस्त्र-1आर विशेष रूप से नए युग के युद्ध की सोच को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है, जहां पारंपरिक युद्ध के बजाय इलेक्ट्रॉनिक और ड्रोन आधारित हमले अब नई रणनीति बनते जा रहे हैं।


सेना का लाइव प्रदर्शन: आत्मनिर्भर भारत की झलक

रक्षा मंत्रालय ने एक विशेष वीडियो में इन नए हथियारों और प्रणालियों का डेमो प्रदर्शन भी जारी किया है। इसमें साफ़ देखा जा सकता है कि कैसे भारतीय सेना अब टेक्नोलॉजी आधारित युद्ध की तरफ बढ़ रही है। देश में बने इन उपकरणों के प्रदर्शन से स्पष्ट है कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से प्रगति कर रहा है।


120 स्विच ड्रोन का अधिग्रहण

सुरक्षा बलों की निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए 120 स्विच ड्रोन भी खरीदे जा रहे हैं। इनकी अनुमानित लागत लगभग 137 करोड़ रुपये है और इन्हें स्वदेशी कंपनियों द्वारा विकसित किया जाएगा। ये ड्रोन दुर्गम और दुश्मन प्रभावित इलाकों में सैनिकों की “आंख और कान” की तरह काम करेंगे।


सेना का आधुनिकीकरण: वर्तमान की ज़रूरत, भविष्य की तैयारी

सोलर इंडस्ट्रीज में नागस्त्र-1आर प्रोजेक्ट डायरेक्टर राहुल दीक्षित ने स्पष्ट कहा कि भविष्य में युद्ध पारंपरिक नहीं, बल्कि रणनीतिक, तेज़ और टेक-ड्रिवन होंगे। इसलिए भारतीय सेना को उसी के अनुसार तैयार किया जा रहा है। यही सोच आज की यह पूरी आपातकालीन खरीद नीति के पीछे है।


निष्कर्ष: तैयार है भारत, बदलते युद्ध के लिए

भारत की सीमाओं पर अगर खतरे बदल रहे हैं, तो भारत भी बदल रहा है — और तेज़ी से। रक्षा मंत्रालय की यह आपातकालीन खरीद नीति न सिर्फ सैन्य शक्ति को बढ़ावा देती है, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच को जमीन पर साकार करने का बेहतरीन उदाहरण भी है।

सीमा पर अब सिर्फ बंदूकें नहीं, बल्कि डेटा, ड्रोन और डिटरेंस (निरोधक शक्ति) भी तैनात हैं।

भारत तैयार है — और अब लड़ाई केवल बंदूक की नहीं, तकनीक की भी होगी।

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