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खबर का शिकार

एयर इंडिया की दिल्ली-वॉशिंगटन फ्लाइट वियना में अटकी, तकनीकी खामी बनी कारण | यात्रियों को हुआ भारी असुविधा | ‘डोंट सिंक’ वार्निंग की घटना भी आई सामने

Air India's Delhi-Washington flight stuck in Vienna, technical fault became the reason | Passengers faced huge inconvenience | Incident of 'Don't sink' warning also came to light

एयर इंडिया की एक अंतरराष्ट्रीय उड़ान एक बार फिर विवादों में आ गई है। इस बार मामला है फ्लाइट नंबर AI103 का, जो कि दिल्ली से वॉशिंगटन डीसी के लिए रवाना हुई थी, लेकिन बीच रास्ते ऑस्ट्रिया के वियना में लैंड करने के बाद वहां से कभी उड़ान नहीं भर सकी। फ्लाइट को वियना में केवल ईंधन भरने के लिए रुकना था, लेकिन तकनीकी खामी सामने आने के कारण इसे रद्द करना पड़ा

क्या हुआ था AI103 फ्लाइट के साथ?

Flightradar24 की जानकारी के अनुसार, AI103 ने 2 जुलाई 2025 को दिल्ली से उड़ान भरी और वियना में लैंड की। हालांकि, इसी दिन वियना से वॉशिंगटन के लिए इसके रवाना होने का शेड्यूल था, लेकिन वह उड़ान नहीं हो पाई

एयर इंडिया की ओर से जारी बयान में कहा गया कि वियना में विमान की नियमित जांच के दौरान एक महत्वपूर्ण रखरखाव संबंधित कार्य की जरूरत सामने आई, जिसे पूरा किए बिना विमान को उड़ाना सुरक्षित नहीं था। इस वजह से वियना-वॉशिंगटन डीसी सेक्टर को रद्द कर दिया गया और यात्रियों को विमान से उतार दिया गया

एयरलाइन ने यह भी बताया कि इस देरी के चलते अगले दिन की रिटर्न फ्लाइट AI104 (वॉशिंगटन से दिल्ली, वियना होते हुए) को भी रद्द करना पड़ा

यात्रियों को क्या सुविधा दी गई?

एयर इंडिया के प्रवक्ता के मुताबिक:

“वॉशिंगटन जाने वाले यात्रियों को वैकल्पिक उड़ानों की पेशकश की गई या फिर उन्हें पूर्ण रिफंड दिया गया, जैसा भी यात्री ने चाहा।”

हालांकि, सोशल मीडिया पर कई यात्रियों ने कनेक्टिंग फ्लाइट छूटने, लगेज गुम होने, और रातभर एयरपोर्ट पर इंतज़ार करने जैसी शिकायतें भी दर्ज कराई हैं। इनमें कुछ बुजुर्ग यात्री और छोटे बच्चों वाले परिवार भी शामिल थे।


इससे पहले ‘डोंट सिंक’ चेतावनी भी दे चुका था वियना जाने वाला विमान

AI103 की यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है जब इसी रूट पर चलने वाली एक और एयर इंडिया फ्लाइट पहले से ही सुरक्षा को लेकर सवालों में घिरी हुई है।

14 जून 2025 को दिल्ली से वियना जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI187 में उड़ान भरते ही ‘स्टिक शेकर वार्निंग’ और ग्राउंड प्रोक्सिमिटी वार्निंग सिस्टम (GPWS) की ओर से “Don’t Sink” (मत गिरो) का संदेश मिला।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार:

“विमान ने जब दिल्ली एयरपोर्ट से उड़ान भरी, तो शुरुआती चढ़ाई के दौरान अचानक विमान की ऊंचाई करीब 900 फीट कम हो गई। इसके बाद पायलटों ने विमान पर नियंत्रण पाया और उड़ान जारी रखी गई।”

GPWS एक अहम सुरक्षा प्रणाली होती है, जो विमान को धरती के अत्यधिक पास आने की स्थिति में चेतावनी देती है। ‘Don’t Sink’ वार्निंग का मतलब होता है कि विमान तेजी से ऊंचाई खो रहा है, जो गंभीर सुरक्षा खतरे का संकेत है।

गौरतलब है कि यह घटना AI171 क्रैश के सिर्फ 38 घंटे बाद हुई थी। 12 जून को अहमदाबाद-लंदन एयर इंडिया फ्लाइट के हादसे में 260 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जिसने एयरलाइन की सुरक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे।


क्या कहती है यह स्थिति?

इन दो घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि एयर इंडिया के तकनीकी रखरखाव, क्रू ट्रेनिंग और सुरक्षा प्रक्रियाओं को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। लगातार अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में इस तरह की तकनीकी समस्याएं यह इशारा कर रही हैं कि कहीं न कहीं ऑपरेशनल प्रक्रियाओं में चूक हो रही है

विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाओं में इस तरह की अनियमितता न केवल यात्रियों को परेशान करती है, बल्कि एयरलाइन की प्रतिष्ठा और वैश्विक छवि पर भी प्रभाव डालती है


यात्रियों की सुरक्षा बनाम कारोबारी दबाव?

पिछले कुछ महीनों से एयर इंडिया अपनी टाइमिंग, कस्टमर सपोर्ट और सुरक्षा मानकों को लेकर लगातार चर्चा में रही है। वंदे भारत मिशन, टाटा ग्रुप के अधिग्रहण और फ्लीट विस्तार के बावजूद यात्रियों को बार-बार असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

वियना जैसी जगह पर जहां कनेक्टिंग फ्लाइट्स और होटल सुविधा सीमित होती हैं, वहां यात्रियों को कई घंटे तक इंतजार कराना और फिर फ्लाइट रद्द कर देना – यह यात्रा अनुभव के लिहाज से बेहद निराशाजनक है।


DGCA और MoCA की भूमिका

ऐसे मामलों में भारत का नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) को तुरंत हस्तक्षेप कर जांच करनी चाहिए कि:

  • तकनीकी खामी की गंभीरता क्या थी?
  • क्या यह खामी पूर्वानुमानित थी और इसे उड़ान से पहले रोका जा सकता था?
  • पिछले महीनों में वियना रूट पर कितने विमानों में तकनीकी समस्या आई है?

यदि ये घटनाएं आपस में जुड़ी हुई पाई जाती हैं, तो यह साफ संकेत होगा कि एयर इंडिया को अपने इंजीनियरिंग और सुरक्षा ऑडिट को तत्काल सुधारने की आवश्यकता है।


निष्कर्ष

एयर इंडिया की AI103 और AI187 की घटनाएं यह बताती हैं कि अब समय आ गया है जब भारत की राष्ट्रीय विमानन कंपनी को केवल विस्तार पर नहीं, बल्कि गुणवत्ता और सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए।

यात्रियों का भरोसा केवल नए विमानों या ब्रांडिंग से नहीं, बल्कि समयबद्ध उड़ानों, पारदर्शी संचार और सुरक्षित यात्रा अनुभव से बनता है।

अगर एयर इंडिया इन पहलुओं पर गंभीरता से काम नहीं करती, तो वह अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकती है — और सबसे अहम बात, यात्रियों की जिंदगी दांव पर लग सकती है, जो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।


मुख्य बिंदु (सारांश):

  • दिल्ली से वॉशिंगटन जा रही AI103 फ्लाइट वियना में तकनीकी खामी के कारण रुकी, बाद में उड़ान रद्द
  • यात्रियों को वैकल्पिक फ्लाइट्स या रिफंड दिए गए
  • AI187 की उड़ान में भी ‘Don’t Sink’ जैसी गंभीर चेतावनी आई थी
  • AI171 की क्रैश घटना के 38 घंटे बाद AI187 में भी सुरक्षा अलर्ट
  • एयर इंडिया की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में बढ़ती तकनीकी दिक्कतें चिंता का विषय
  • DGCA को चाहिए पूरी जांच और एयरलाइन को सख्त सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत

इस तरह की घटनाएं एक बड़ा सवाल खड़ा करती हैं – क्या भारत की विमानन कंपनियां तेजी से बढ़ती हैं लेकिन उतनी ही तेज़ी से गिरती भी हैं? जवाब समय और सुधार तय करेंगे।

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