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एयर इंडिया विमान हादसा: ब्लैक बॉक्स डेटा से हादसे की परतें खुलने लगीं

Air India plane crash: Black box data begins to unravel the mystery of the accident

परिचय

12 जून को हुए भयावह एयर इंडिया विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। अब इस हादसे की जांच में एक बड़ी सफलता मिली है—ब्लैक बॉक्स से डाटा सफलतापूर्वक निकाला जा चुका है और उसकी जांच जारी है। इस रिपोर्ट में हम बताएंगे कि ब्लैक बॉक्स से मिली जानकारी से जांच में क्या-क्या खुलासे हो सकते हैं, और यह हादसे के पीछे की असल वजह तक पहुंचने में कैसे मदद करेगा।


ब्लैक बॉक्स से क्या-क्या निकला?

विमान का ब्लैक बॉक्स दो हिस्सों में होता है:

  1. फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): इसमें विमान की तकनीकी जानकारियां होती हैं जैसे ऊंचाई, गति, इंजन प्रदर्शन आदि।
  2. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): इसमें पायलट्स की बातचीत, चेतावनियां, और आस-पास के वातावरण की आवाज़ें रिकॉर्ड होती हैं।

सरकारी बयान के मुताबिक, दोनों रिकॉर्डर दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गए थे लेकिन उनमें लगे क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल और मेमोरी यूनिट्स को सुरक्षित तरीके से दिल्ली की एएआईबी लैब में लाया गया और डेटा निकाला गया।


क्या कहता है प्रारंभिक विश्लेषण?

मंत्रालय के मुताबिक, डेटा से पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि हादसे से पहले पायलट्स ने क्या कहा, किन चेतावनियों का सामना किया, और कितनी देर में ‘मेडे कॉल’ की गई।

कैप्टन सभरवाल ने क्या कहा? हादसे से कुछ सेकंड पहले कैप्टन ने अहमदाबाद एटीसी को “मेडे, मेडे…” संदेश भेजा। अब सवाल ये है कि क्या उन्होंने साथ में “नो पावर… नो थ्रस्ट…” जैसी बात कही? अगर हां, तो इसका सीधा संकेत होगा कि हादसा किसी इंजन या पावर सिस्टम फेलियर के कारण हुआ।

संदेश कब भेजा गया? विमान दोपहर 1:39 बजे टेक-ऑफ हुआ और सिर्फ 36 सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दौरान मेडे कॉल कितने समय में भेजा गया, और उस दौरान कॉकपिट में क्या गतिविधि हो रही थी—CVR इसका जवाब देगा।


हादसे के संभावित कारण

  1. ड्यूल इंजन फेलियर: RAT (राम एयर टरबाइन) के खुलने की पुष्टि कुछ वीडियो फुटेज से होती है, जो बताता है कि विमान का मुख्य पावर सिस्टम बंद हो चुका था। ये तभी होता है जब दोनों इंजन काम करना बंद कर देते हैं।
  2. हाइड्रोलिक या इलेक्ट्रॉनिक फेलियर: संदेह है कि हो सकता है कि किसी सिस्टम-लेवल फेलियर ने विमान को नियंत्रित करने की सारी क्षमता छीन ली हो।
  3. मानव त्रुटि: किसी तकनीकी समस्या के बावजूद, अगर पायलट्स ने समय पर सही निर्णय नहीं लिया तो यह भी एक फैक्टर हो सकता है।

एयर इंडिया की सफाई और मेंटेनेंस रिपोर्ट

एयर इंडिया का कहना है कि विमान की हाल में जांच हुई थी। दाहिना इंजन चार महीने पहले बदला गया था और बायां इंजन अप्रैल में जांचा गया था। फिर भी, अगर इंजन फेलियर की बात सामने आती है तो यह मेंटेनेंस प्रोटोकॉल पर बड़ा सवाल खड़ा करेगा।


आगे की प्रक्रिया

अब जब CVR और FDR के डाटा की जांच हो रही है, तो दुर्घटना के प्रत्येक सेकंड को रीकंस्ट्रक्ट किया जाएगा। इससे यह तय किया जा सकेगा कि पायलट्स ने क्या प्रयास किए, किस क्षण कौन सा अलार्म बजा, और विमान ने किस कोण पर क्रैश किया।


संसद समिति की बैठक और सवाल

इस हादसे के बाद संसद की एक समिति विमानन सुरक्षा पर बैठक करेगी जिसमें:

  • विमान मेंटेनेंस प्रोटोकॉल,
  • DGCA की भूमिका,
  • निजी एयरलाइनों की जवाबदेही,
  • और बोइंग जैसी कंपनियों की तकनीकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए जाएंगे।

निष्कर्ष

AI 171 विमान हादसा एक भयानक त्रासदी थी, लेकिन ब्लैक बॉक्स से निकले डेटा के बाद अब हमें इसकी असली वजह जानने की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। इस डेटा के आधार पर न सिर्फ यह हादसा क्यों हुआ, इसका जवाब मिलेगा, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भी ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।

सरकार, विमानन एजेंसियां, और संसद अब दबाव में हैं कि जनता को पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करें। और यह सुनिश्चित करें कि जो 241 जानें गईं, वे सिर्फ आंकड़ा बनकर न रह जाएं, बल्कि उनके नाम पर व्यवस्था को बेहतर किया जाए।

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