12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन गेटविक के लिए रवाना हुई एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस भयानक त्रासदी में 260 लोगों की जान चली गई — जिनमें 242 यात्री व चालक दल के सदस्य थे, और 18 लोग ज़मीन पर स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल ब्लॉक में मारे गए। इस हादसे ने न केवल भारत बल्कि ब्रिटेन को भी झकझोर दिया, क्योंकि मृतकों में 52 ब्रिटिश नागरिक भी शामिल थे।
अब इस घटना की तह तक जाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटेन की एक प्रमुख कानून फर्म Keystone Law ने मोर्चा संभाल लिया है।
🇬🇧 ब्रिटिश परिवारों की कानूनी लड़ाई का नेतृत्व कर रही कीस्टोन लॉ
ब्रिटेन की Keystone Law फर्म ने पुष्टि की है कि उसे एयर इंडिया AI171 हादसे में मारे गए पीड़ितों के कम से कम 20 ब्रिटिश परिवारों की ओर से औपचारिक रूप से प्रतिनिधित्व करने का जिम्मा सौंपा गया है। फर्म के दो वरिष्ठ एविएशन विशेषज्ञ — जेम्स हीली-प्रैट और ओवेन हैना — इस केस की तकनीकी और कानूनी दोनों पहलुओं की निगरानी कर रहे हैं।
उनके अनुसार, यह एक बेहद संवेदनशील समय है और वे पीड़ित परिवारों को ब्रिटेन और अमेरिका दोनों में चल रही प्रक्रियाओं के माध्यम से समर्थन दे रहे हैं।
दो बड़े सवाल: RAT की तैनाती और इंजन की विफलता
Keystone Law की तकनीकी टीम ने हादसे को लेकर दो “गंभीर और चिंताजनक” सवालों की ओर इशारा किया है:
- Ram Air Turbine (RAT) — एक ऐसा यंत्र जो किसी विमान में आपातकालीन ऊर्जा और हाइड्रॉलिक सिस्टम को चालू रखने के लिए ऑटोमेटिकली तैनात होता है — वह अचानक क्यों और कैसे सक्रिय हुआ?
- दोनों इंजनों की थ्रस्ट लॉस — टेकऑफ के तुरंत बाद दोनों इंजनों में एक के बाद एक कर के पावर लॉस क्यों हुआ?
जेम्स हीली-प्रैट ने कहा कि प्रारंभिक विश्लेषण के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि RAT की तैनाती खुद-ब-खुद हुई, जो किसी गंभीर सिस्टम फेल्योर की ओर इशारा करती है, और वह भी विमान के सबसे नाजुक क्षण — टेकऑफ — के दौरान।
प्रारंभिक रिपोर्ट पर सबकी निगाहें
Keystone Law की कानूनी टीम फिलहाल उस प्रारंभिक जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रही है, जो इस महीने के अंत तक जारी हो सकती है। उनका कहना है कि इसी रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि विमान के तकनीकी सिस्टम ने कैसे काम किया, और आखिर RAT के ऑटोमेटिक डिप्लॉयमेंट और इंजन की विफलता के पीछे की असल वजह क्या थी।
हीली-प्रैट ने कहा —
“हमने शुरू से ही स्पष्ट किया है कि हमारी सलाह केवल तथ्यों और सबूतों पर आधारित होगी। हमारा ध्यान दो प्रमुख पहलुओं पर केंद्रित है: RAT की तैनाती के कारण और दोनों इंजनों में पावर लॉस के कारण। हमारे परिवारों को इन सवालों के जवाब चाहिए और हम आशा करते हैं कि ब्लैक बॉक्स का डेटा और प्रारंभिक रिपोर्ट इनमें कुछ प्रकाश डालेगी।”
“न्याय की राह”: हाई कोर्ट या अमेरिकी कोर्ट में मुकदमा?
Keystone Law के अनुसार, यदि प्रारंभिक रिपोर्ट में गंभीर लापरवाही, तकनीकी त्रुटि या उत्पादन दोष सामने आता है, तो यह संभावना बनती है कि पीड़ित परिवार ब्रिटेन की हाई कोर्ट या अमेरिका के वर्जीनिया फेडरल कोर्ट में बोइंग के खिलाफ मुकदमा दायर करें।
हीली-प्रैट ने कहा —
“यदि सबूत इसकी पुष्टि करते हैं कि यह हादसा किसी सिस्टम फेल्योर या डिज़ाइन दोष की वजह से हुआ, तो हमारा अगला कदम न्याय के लिए वैश्विक कानूनी कार्रवाई होगी, चाहे वह ब्रिटेन की अदालत हो या अमेरिका की।”
🇮🇳 भारत में भी मदद ले रहे कुछ परिवार
हालांकि कीस्टोन लॉ ने अपनी शुरुआत ब्रिटेन स्थित परिवारों को सलाह देने से की थी, अब भारत के कुछ पीड़ित परिवारों ने भी फर्म से संपर्क करना शुरू कर दिया है। ऐसे में अब यह केस एक अंतरराष्ट्रीय बहु-न्यायिक चुनौती का रूप ले चुका है, जिसमें भारत, ब्रिटेन और अमेरिका के कानून तंत्र शामिल होंगे।
ब्लैक बॉक्स और अंतरराष्ट्रीय जांच
ब्रिटेन की Air Accidents Investigation Branch (AAIB) और Disaster Victim Identification Unit भी भारत सरकार के साथ मिलकर जांच में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
AI171 का ब्लैक बॉक्स — जिसमें फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर शामिल हैं — इस हादसे की तह तक पहुंचने का सबसे महत्वपूर्ण साधन माना जा रहा है।
डीएनए जांच में ब्रिटेन की भूमिका
चूंकि मृतकों में बड़ी संख्या ब्रिटिश नागरिकों की थी, ब्रिटेन की फॉरेंसिक टीम अहमदाबाद पहुंची थी और उन्होंने DNA मिलान में भारतीय अधिकारियों की सहायता की। यह कार्य इसलिए भी आवश्यक था क्योंकि कई शव हादसे के बाद जले हुए या पूरी तरह नष्ट हो गए थे, जिससे उनकी पहचान मुश्किल हो गई थी।
AI171 हादसा: एक त्रासदी की पृष्ठभूमि
12 जून को हुए इस हादसे की शुरुआत एक आम दिन की तरह हुई थी। फ्लाइट AI171 अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से सुबह 6:45 बजे उड़ान भरने वाली थी। यह एक लंबी, 9 घंटे की इंटरकॉन्टिनेंटल उड़ान थी, जो लंदन गेटविक एयरपोर्ट पर लैंड करने वाली थी।
हालांकि टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद विमान ने अपने सिस्टम में गंभीर गड़बड़ी का संकेत दिया। RAT (Ram Air Turbine) की तैनाती हुई, जिससे संकेत मिला कि विमान को ऊर्जा या हाइड्रॉलिक पावर की आपातकालीन जरूरत पड़ी है। इसके बाद दोनों इंजनों में क्रमशः पावर लॉस हुआ और विमान हवा में नियंत्रण खो बैठा।
विमान तेजी से ऊंचाई खोता हुआ अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल भवन से जा टकराया, जिससे ज़मीन पर 19 लोगों की भी मौत हो गई। घटनास्थल की भयावहता इतनी थी कि पूरे भवन को सेना और आपदा राहत बल की मदद से घंटों के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद खाली कराया जा सका।
निष्कर्ष: केवल दुर्घटना या जिम्मेदार लापरवाही?
AI171 त्रासदी एक ऐसा हादसा है जिसने वैश्विक स्तर पर विमानन सुरक्षा, न्यायिक जवाबदेही और तकनीकी पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कीस्टोन लॉ द्वारा उठाए गए दो सवाल — RAT की तैनाती और इंजन विफलता — अब इस पूरे मामले के केंद्र में हैं।
आने वाले दिनों में जब प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आएगी, तब यह स्पष्ट हो पाएगा कि क्या यह एक तकनीकी चूक थी, एक डिज़ाइन दोष, या किसी प्रकार की मानवीय गलती? और क्या बोइंग जैसी बड़ी विमान निर्माता कंपनी की जवाबदेही बनती है?
एक बात निश्चित है — जो परिवार अपनों को खो चुके हैं, उन्हें अब केवल सांत्वना नहीं, बल्कि सच और न्याय चाहिए। और यह लड़ाई ब्रिटेन से अमेरिका तक अदालतों में लड़ी जाएगी।
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