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एयर इंडिया ड्रीमलाइनर हादसे के बाद पूरे बेड़े की जांच तेज़ – अब तक 22 विमानों की हुई जांच, कोई खतरनाक दोष नहीं मिला

एयर इंडिया ड्रीमलाइनर हादसे के बाद पूरे बेड़े की जांच तेज़ – अब तक 22 विमानों की हुई जांच, कोई खतरनाक दोष नहीं मिला

भारत में विमानन सुरक्षा को लेकर एक बड़ा कदम उठाया गया है। एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर बेड़े में शामिल 33 विमानों में से अब तक 22 विमानों की सुरक्षा जांच पूरी हो चुकी है, और अधिकारियों के अनुसार निगरानी के दौरान “कुछ भी खतरनाक” नहीं पाया गया है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में AI-171 फ्लाइट के दुर्घटनाग्रस्त होने से 241 लोगों की जान चली गई, जो पिछले तीन दशकों में भारत की सबसे भीषण विमान दुर्घटना मानी जा रही है।

हादसे की पृष्ठभूमि

गुरुवार दोपहर अहमदाबाद से लंदन जा रही AI-171 फ्लाइट, टेकऑफ़ के कुछ ही मिनटों बाद तकनीकी खराबी की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान में कुल 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे, जिनमें से सिर्फ एक व्यक्ति जीवित बच पाया। विमान बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था, जिसे “नया युग” का ईंधन-कुशल, लंबी दूरी का आधुनिक विमान माना जाता है।

यह दुर्घटना केवल एयर इंडिया ही नहीं, बल्कि भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र के लिए भी एक गंभीर झटका है। दुर्घटना के कारणों की गहन जांच शुरू हो चुकी है और साथ ही पूरे ड्रीमलाइनर बेड़े की व्यापक सुरक्षा जांच का निर्णय लिया गया है।

अब तक की जांच – कोई खतरा नहीं

सूत्रों के अनुसार, 22 विमानों की विस्तृत जांच पूरी हो चुकी है और अब तक किसी भी विमान में कोई खतरनाक या तकनीकी रूप से असामान्य तत्व नहीं मिला है। अधिकारियों ने बताया कि शेष 11 विमानों की जांच रविवार रात या सोमवार तक पूरी होने की संभावना है।

डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) द्वारा यह निगरानी ऐसे समय में की जा रही है जब जनता में डर और अविश्वास का माहौल है। इस एक दुर्घटना ने एयर इंडिया की सुरक्षा प्रक्रियाओं पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।

एयर इंडिया का बयान

एयर इंडिया ने इस संबंध में कहा है कि वह डीजीसीए के दिशानिर्देशों के अनुसार सभी 787 विमानों की सुरक्षा जांच कर रही है, और हर विमान को भारत लौटने पर जांचा जा रहा है, तभी उसे अगली उड़ान की मंजूरी दी जा रही है।

यह जांच एक बार की संपूर्ण तकनीकी स्कैनिंग है, जिसमें विमान के इंजन, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंट्रोल सिस्टम, फ्यूल फ्लो और सेंसर सिस्टम जैसे सभी महत्वपूर्ण हिस्सों की समीक्षा की जा रही है।

नागरिक उड्डयन मंत्री का रुख

शनिवार को नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा कि अब तक 8 विमानों का निरीक्षण पूरा हो चुका था और यह प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि डीजीसीए द्वारा शुक्रवार को दिए गए विस्तारित निगरानी निर्देश के अनुसार, पूरे बेड़े की गहन जांच अनिवार्य की गई है।

हालांकि, मंत्री ने जांच के परिणाम पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की, लेकिन मामले से परिचित अधिकारियों ने बताया कि अब तक किसी तरह की तकनीकी गड़बड़ी या खतरा सामने नहीं आया है।

भारत में ड्रीमलाइनर बेड़ा

भारत में वर्तमान में एयर इंडिया के पास कुल 33 बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान हैं। पहले एयर इंडिया के पास 34 विमान थे, लेकिन AI-171 फ्लाइट हादसे में एक विमान नष्ट हो गया। इंडिगो के पास भी एक 787-9 ड्रीमलाइनर है, लेकिन वह विदेशी पंजीकरण (Foreign Registration) के अंतर्गत है और उसकी निगरानी अलग प्रक्रिया से की जा रही है।

क्यों ज़रूरी है यह जांच?

यह सुरक्षा जांच केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि यात्रियों के विश्वास को बहाल करने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। भारत की जनता के मन में यह सवाल उठने लगा है कि क्या एयर इंडिया के विमानों की देखरेख में लापरवाही बरती जा रही थी?

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बोइंग 787 जैसे हाईटेक विमान में थोड़ी सी भी तकनीकी गड़बड़ी जानलेवा साबित हो सकती है, इसलिए पूर्व-नियोजित, रुटीन और विशेष निरीक्षण बेहद ज़रूरी हैं।

भविष्य की चुनौती और सवाल

अब प्रश्न उठते हैं –

  • क्या AI-171 दुर्घटना केवल एक अलग-थलग मामला था?
  • क्या यह मेंटेनेंस सिस्टम में गड़बड़ी, सॉफ़्टवेयर फेल्योर या मानव त्रुटि का नतीजा था?
  • क्या अन्य विमानों में भी कोई डिज़ाइन डिफेक्ट या कंपोनेंट फेल्योर की आशंका है?

इन सवालों के जवाब आने वाले सप्ताहों में चल रही डीप-डाइव इन्वेस्टिगेशन से मिल सकते हैं।

निष्कर्ष

भले ही 22 विमानों की जांच में अब तक कुछ खतरनाक नहीं मिला हो, लेकिन AI-171 की भयावह दुर्घटना ने यह सिद्ध कर दिया है कि सुरक्षा में एक छोटी सी चूक भी हजारों जानों के लिए ख़तरा बन सकती है।

सरकार और एयरलाइन दोनों के लिए यह “Wake-up Call” है। केवल तकनीकी निरीक्षण नहीं, बल्कि एयरलाइन ऑपरेशन्स की पारदर्शिता, प्रशिक्षण, आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र और सार्वजनिक संवाद को भी सशक्त करने की ज़रूरत है।

जनता अब केवल जांच नहीं, जवाबदेही और भरोसेमंद बदलाव की उम्मीद कर रही है।

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