परिचय
तमिल फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार और अब राजनीतिक दल तमिलगम विजय मक्कल इयक्कम (TVK) के अध्यक्ष, विजय ने 14 जुलाई 2025 (रविवार) को एक ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। यह उनका राजनीतिक जीवन का पहला सार्वजनिक विरोध था, जिसमें उन्होंने तमिलनाडु में पिछले चार वर्षों में पुलिस हिरासत में हुई मौतों को लेकर डीएमके सरकार की कड़ी आलोचना की।
विजय ने इस मौके पर मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन से सभी पीड़ित परिवारों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और सभी 24 मामलों में मुआवजा देने की मांग की। उन्होंने इस मुद्दे को गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन बताया और राज्य सरकार की निष्क्रियता की निंदा की।
विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि
तमिलनाडु में पुलिस हिरासत में हुई मौतों का मुद्दा वर्षों से विवादों में रहा है। लेकिन 2024 और 2025 के दौरान, ऐसी घटनाओं में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई, जिससे मानवाधिकार संगठनों और आम नागरिकों में आक्रोश फैल गया।
2020 में सतनकुलम (थूथुकुड़ी जिले) की घटना, जिसमें जयराज और उनके बेटे बेन्निक्स की पुलिस की बर्बरता के चलते मौत हुई थी, एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गई थी। उस समय विपक्ष में रहकर डीएमके ने केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा था। लेकिन अब सत्ता में आने के बाद, वैसी ही घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं।
विजय का पहला सार्वजनिक राजनीतिक आंदोलन
विजय ने फरवरी 2024 में अपनी राजनीतिक पार्टी TVK (तमिलगम विजय मक्कल इयक्कम) की घोषणा की थी। हालांकि उनकी पार्टी की नींव ‘जन सेवा’ के सिद्धांत पर आधारित है, लेकिन यह उनका पहला प्रत्यक्ष राजनीतिक विरोध था, जिसने उन्हें पूर्ण रूप से एक सामाजिक-राजनीतिक नेता के रूप में स्थापित किया।
प्रदर्शन स्थल पर हजारों की संख्या में TVK समर्थक और आम जनता एकत्रित हुए। भीड़ ने “हमें माफ़ी नहीं, न्याय चाहिए” जैसे नारे लगाए। कई प्रदर्शनकारियों ने बैनर और तख्तियां हाथों में ले रखी थीं, जिन पर पुलिस उत्पीड़न और हिरासत में मौतों के खिलाफ संदेश लिखे हुए थे।
विजय का भाषण: न्याय और नैतिक जिम्मेदारी की मांग
अपने भावनात्मक और मुखर भाषण में विजय ने मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन को सीधे संबोधित करते हुए कहा:
“अजीत कुमार की मौत पर आपने उनके परिवार से माफी मांगी और मुआवजा दिया। वह सराहनीय है। लेकिन आपकी सरकार के कार्यकाल में अब तक 24 लोग पुलिस हिरासत में मारे गए हैं। क्या बाकी 23 परिवारों को इंसाफ़ नहीं चाहिए? क्या वे आपके नागरिक नहीं हैं?”
उन्होंने आगे कहा:
“माफी मांगना कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक नैतिक कर्तव्य है। अगर आपने अजीत कुमार के परिवार से माफी मांगी, तो बाकी 23 पीड़ित परिवारों के लिए भी यही करना चाहिए। सभी को मुआवजा मिलना चाहिए।”
विजय ने स्टालिन की 2020 की टिप्पणी भी याद दिलाई, जब उन्होंने सतनकुलम कांड में CBI जांच की मांग को ‘राज्य पुलिस के लिए शर्मनाक’ बताया था। विजय ने सवाल उठाया कि सत्ता में आने के बाद, स्टालिन खुद ऐसी ही नीतियों का पालन क्यों कर रहे हैं।
विजय ने क्यों उठाया यह मुद्दा?
विजय को हमेशा से समाज के लिए जिम्मेदार अभिनेता माना गया है। उनकी फिल्मों में भी सामाजिक संदेश होते हैं। लेकिन राजनीति में आने के बाद यह पहली बार है जब उन्होंने इतने संवेदनशील मुद्दे पर खुलकर सरकार की आलोचना की है।
- यह कदम दर्शाता है कि विजय अपनी पार्टी को सिर्फ चुनावी मंच नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की लड़ाई का प्लेटफ़ॉर्म बनाना चाहते हैं।
- उन्होंने राज्य की जनता को यह दिखाया कि TVK केवल नारे नहीं लगाती, बल्कि मूलभूत अधिकारों और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष भी करती है।
लॉकअप में मौतों की स्थिति: आंकड़े और तथ्य
तमिलनाडु में 2021 से अब तक पुलिस हिरासत में हुई मौतों के मामलों की संख्या चौंकाने वाली है। राज्य मानवाधिकार आयोग और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार:
- 2021-2025 तक कुल 24 मौतें पुलिस हिरासत में दर्ज की गईं।
- इनमें से अधिकांश मामलों में पुलिस द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग, गैर-कानूनी पूछताछ, मेडिकल सहायता में देरी और निगरानी की कमी प्रमुख कारण रहे हैं।
- अजीत कुमार की मौत हाल ही की घटना है, जिसमें सरकार ने परिवार को मुआवजा देने की घोषणा की, लेकिन शेष मामलों में कोई स्पष्ट नीति नहीं अपनाई गई।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
विजय के इस आंदोलन पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं आई हैं:
- डीएमके (सत्ताधारी पार्टी): पार्टी ने आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन आंतरिक सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व विजय के राजनीतिक हस्तक्षेप को गंभीरता से ले रही है।
- एआईएडीएमके: विपक्षी पार्टी ने विजय के कदम की सराहना की, लेकिन साथ ही इसे “राजनीतिक लाभ का प्रयास” भी बताया।
- कांग्रेस और वाम दल: इन दलों ने भी राज्य में मानवाधिकार हनन की घटनाओं की निंदा की, लेकिन विजय के विरोध में खुलकर समर्थन नहीं दिया।
सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का समर्थन
मानवाधिकार संगठनों ने विजय के कदम को ऐतिहासिक बताया। “पीपुल्स वॉच” और “ह्यूमन राइट्स फोरम” जैसे संगठनों ने TVK द्वारा आयोजित विरोध में भाग लिया और मांग की कि:
- सभी हिरासत में हुई मौतों की न्यायिक जांच हो।
- दोषी पुलिस अधिकारियों पर आपराधिक कार्यवाही हो।
- पीड़ित परिवारों को समुचित मुआवजा और पुनर्वास मिले।
विजय की आगे की रणनीति
विजय ने प्रदर्शन में संकेत दिया कि यदि राज्य सरकार इस मुद्दे पर चुप रही, तो उनकी पार्टी राज्यव्यापी अभियान चलाएगी। उन्होंने कहा:
“यदि सरकार माफ़ी नहीं मांगती और मुआवजा नहीं देती, तो TVK सड़कों पर उतरेगी। यह हमारी पहली लड़ाई है — न्याय के लिए।“
उनकी इस घोषणा को आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए रणनीतिक पहल माना जा रहा है, जिसमें TVK पहली बार पूर्ण रूप से चुनाव मैदान में उतर सकती है।
क्या यह विजय की नई राजनीतिक पहचान है?
विजय का यह विरोध प्रदर्शन उनकी एक नई, गंभीर और सामाजिक रूप से सक्रिय राजनीतिक छवि को सामने लाता है:
- अब तक एक फिल्म अभिनेता की छवि से पहचाने जाने वाले विजय अब एक उत्तरदायी नेता के रूप में उभर रहे हैं।
- वे केवल फिल्मी लोकप्रियता पर नहीं, बल्कि नीतिगत मुद्दों पर आधारित राजनीति की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
निष्कर्ष: न्याय की माँग बनाम राजनीतिक चुप्पी
तमिलनाडु में हिरासत में मौतें केवल कानून-व्यवस्था की विफलता नहीं हैं, बल्कि यह शासन और प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी का सवाल भी हैं। विजय द्वारा उठाई गई मांगें — माफी, मुआवजा और न्याय — कोई राजनीतिक हथियार नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और संवेदनशीलता का प्रतीक हैं।
यह विरोध प्रदर्शन न केवल राज्य सरकार को चुनौती देता है, बल्कि तमिलनाडु की राजनीति में एक नई धारा की ओर संकेत करता है — जहाँ लोकप्रियता से अधिक नैतिक नेतृत्व की भूमिका अहम बन रही है।
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