बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान एक बार फिर बड़े पर्दे पर लौट आए हैं—इस बार फिल्म सितारे ज़मीन पर के ज़रिए। 2007 में आई इमोशनल क्लासिक तारे ज़मीन पर की “आध्यात्मिक” अगली कड़ी कहे जाने वाली इस फिल्म को आज यानी 21 जून को सिनेमाघरों में रिलीज़ कर दिया गया है। जहां तारे ज़मीन पर एक डिस्लेक्सिक बच्चे की कहानी थी, वहीं सितारे ज़मीन पर दिव्यांग बच्चों की कहानी को आत्म-सम्मान और सामाजिक स्वीकृति की रोशनी में दिखाती है। दिलचस्प बात यह है कि यह फिल्म स्पेनिश फिल्म Campeones (2018) की हिंदी रीमेक है।
आमिर खान की यह पहली रीमेक फिल्म नहीं है। बल्कि, उनके करियर में ऐसी कई फिल्में हैं जो हॉलीवुड या दक्षिण भारतीय फिल्मों से प्रेरित या उनकी आधिकारिक रीमेक रही हैं। आइए, आमिर खान की उन प्रमुख फिल्मों पर नज़र डालते हैं जो किसी न किसी रूप में रीमेक रही हैं:
1. अकेले हम अकेले तुम (1995)
प्रेरणा: Kramer vs. Kramer (1979)
मुख्य कलाकार: आमिर खान, मनीषा कोइराला
यह फिल्म पति-पत्नी और बच्चे की कस्टडी से जुड़ी एक भावनात्मक यात्रा है। जैसे हॉलीवुड फिल्म Kramer vs. Kramer ने पिता-पुत्र के रिश्ते को दिखाया था, वैसे ही यह फिल्म भी एक संगीतकार पिता की संवेदनशील और जिम्मेदार छवि पेश करती है। आमिर ने इस भूमिका में खुद को नये अंदाज़ में पेश किया, जहाँ एक पिता अपने बेटे की खातिर खुद को बदलने को मजबूर होता है।
2. गजनी (2008)
प्रेरणा: तमिल फिल्म गजनी (2005) व हॉलीवुड फिल्म Memento (2000)
मुख्य कलाकार: आमिर खान, असिन, जिया खान
गजनी आमिर खान के करियर की सबसे फिजिकली डिमांडिंग फिल्मों में से एक रही। इसमें वे एक ऐसे व्यक्ति की भूमिका में हैं जिसे शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस है और जो अपनी मंगेतर की हत्या का बदला लेने की कोशिश करता है। यह फिल्म तकनीकी रूप से Memento से प्रेरित थी, लेकिन इसमें मसाला और इमोशन को भारतीय दर्शकों के अनुरूप ढाला गया। गजनी ने 100 करोड़ क्लब की शुरुआत की और एक नई बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन ट्रेंड भी शुरू किया।
3. धूम 3 (2013)
प्रेरणा: The Prestige (2006)
मुख्य कलाकार: आमिर खान, अभिषेक बच्चन, कैटरीना कैफ
इस फिल्म में आमिर ने दोहरी भूमिका निभाई—साहिर और समर। फिल्म की थीम, ट्विन्स का रहस्य और जादू का टर्न—ये सब कुछ क्रिस्टोफर नोलन की The Prestige से प्रेरित थे। हालांकि फिल्म को मिश्रित समीक्षाएं मिलीं, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर यह उस समय तक की सबसे बड़ी हिट बनी।
4. मन (1999)
प्रेरणा: An Affair to Remember (1957)
मुख्य कलाकार: आमिर खान, मनीषा कोइराला
यह रोमांटिक फिल्म दो अजनबियों की कहानी है जो एक क्रूज़ पर मिलते हैं और प्यार में पड़ते हैं। लेकिन एक एक्सीडेंट उनकी प्रेम कहानी को चुनौती देता है। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औसत रही, लेकिन इसका संगीत आज भी यादगार है। आमिर ने इस भूमिका में एक प्लेबॉय से संवेदनशील प्रेमी का ट्रांज़िशन बड़ी खूबसूरती से दिखाया।
5. लाल सिंह चड्ढा (2022)
प्रेरणा: Forrest Gump (1994)
मुख्य कलाकार: आमिर खान, करीना कपूर खान
Forrest Gump को भारतीय भावनाओं और ऐतिहासिक घटनाओं में ढालना आमिर और लेखक अतुल कुलकर्णी के लिए आसान नहीं था। लेकिन लाल सिंह चड्ढा ने भारत के विभाजन, ऑपरेशन ब्लू स्टार, इमरजेंसी, कारगिल युद्ध जैसी घटनाओं को लाल सिंह के नज़रिए से दिखाया। फिल्म को समीक्षकों से मिश्रित प्रतिक्रिया मिली लेकिन आमिर का अभिनय और इरादा सराहनीय था।
6. सितारे ज़मीन पर (2024)
प्रेरणा: Campeones (Spain, 2018)
मुख्य कलाकार: आमिर खान, अनन्या, और एक प्रतिभाशाली बच्चों की टीम
यह फिल्म एक बास्केटबॉल कोच की कहानी है जिसे दिव्यांग बच्चों की टीम को ट्रेन करने की जिम्मेदारी दी जाती है। शुरुआती संघर्षों और असहजता के बाद, कोच और खिलाड़ी दोनों एक-दूसरे से सीखते हैं, आत्मसम्मान और विश्वास की दिशा में बढ़ते हैं। फिल्म न सिर्फ भावुक है बल्कि प्रेरक भी, और यह आमिर की परिपक्वता को निर्देशक के तौर पर भी उजागर करती है।
आमिर और रीमेक फिल्मों की खासियत
आमिर खान की रीमेक फिल्मों में एक चीज़ कॉमन है—हर बार उन्होंने केवल “कॉपी-पेस्ट” नहीं किया बल्कि उसे भारतीय दर्शकों के अनुरूप ढालकर प्रस्तुत किया। चाहे वो गजनी का एक्शन हो या लाल सिंह चड्ढा का इमोशन—आमिर अपनी फिल्मों को “रीमेक” से कहीं ज़्यादा “रिइमेजिन” करते हैं।
वो विषयों को लेकर बहुत संवेदनशील रहते हैं, और स्क्रिप्ट के साथ प्रयोग करने में डरते नहीं हैं। यही वजह है कि उनकी फिल्मों में एक गहराई होती है, जो दर्शकों के साथ लंबे समय तक रहती है।
निष्कर्ष
आमिर खान केवल स्टार नहीं हैं—वो एक सोच हैं, एक दृष्टिकोण हैं। उन्होंने अपने करियर में कई तरह की फिल्मों में काम किया है, जिनमें से कई रीमेक रही हैं। लेकिन उन्होंने हर बार उसमें एक नयापन जोड़ा है। सितारे ज़मीन पर भी उन्हीं प्रयासों की कड़ी है, जिसमें समाज के सबसे संवेदनशील वर्ग—दिव्यांग बच्चों—की उम्मीद, आत्मसम्मान और स्वीकृति की बात की गई है।
ऐसे समय में जब फिल्में केवल एंटरटेनमेंट तक सीमित रह जाती हैं, आमिर की यह कोशिश हमें फिर याद दिलाती है कि सिनेमा समाज का आईना भी हो सकता है।
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