देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के समक्ष मौजूद चुनौतियों, अवसरों और समाधान पर केंद्रित एमएसएमई इनसाइट कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन राजधानी दिल्ली के ओखला स्थित क्राउन प्लाज़ा होटल में किया गया। यह मंच उद्यमियों, नीति निर्माताओं, निवेशकों, वित्तीय विशेषज्ञों और व्यापार जगत के लीडर्स को एक साथ लाने का सशक्त प्रयास था, जहाँ उन्होंने भारत के एमएसएमई इकोसिस्टम को सशक्त बनाने के उपायों पर गहन विचार-विमर्श किया।
प्रमुख विषय: वित्तीय अनुशासन, नवाचार और ब्रांडिंग पर ज़ोर
कॉन्क्लेव की शुरुआत स्वागत भाषण के साथ हुई, जिसके बाद विभिन्न सत्रों में विशेषज्ञों ने एमएसएमई क्षेत्र की वर्तमान स्थिति, भविष्य की संभावनाओं और उससे जुड़ी जरूरतों पर चर्चा की।
रुपयापैसा डॉट कॉम के संस्थापक और जाने-माने फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ मुकेश पांडेय ने अपने सत्र में लघु और सूक्ष्म श्रेणी की कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि, “एमएसएमई क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती ‘कैश फ्लो मैनेजमेंट’ और ‘रेट ऑफ रिटर्न’ यानी ROI को समझने की है। जब तक ये कंपनियां अपने नकदी प्रवाह को संतुलित नहीं करेंगी और निवेश पर मुनाफा सुनिश्चित नहीं करेंगी, तब तक वे दीर्घकालिक सफलता प्राप्त नहीं कर सकतीं।”
उन्होंने आगे कहा कि सूक्ष्म व लघु उद्यमों को सिबिल स्कोर (CIBIL Score) और जीएसटी फाइलिंग की सटीकता का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यही दो कारक भविष्य में उन्हें औपचारिक क्रेडिट सिस्टम से जोड़ते हैं। यदि इन मानकों को प्राथमिकता नहीं दी जाती है तो वित्तीय सहायता पाना कठिन हो सकता है।
नवाचार के साथ परंपरा का संतुलन ज़रूरी
एमएसएमई मंत्रालय के साथ लंबे समय से जुड़े सीए डॉ. अनिल गुप्ता, जो आईपी एडवाइजर के तौर पर कार्यरत हैं, ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र को बदलते समय के साथ अपनी कार्यप्रणालियों में बदलाव लाना होगा। उन्होंने कहा, “हम परंपराओं से जुड़ाव रखते हुए नवाचार को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। टेक्नोलॉजी, डिजिटलीकरण और ग्राहकों की बदलती अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए हमें अपने बिजनेस मॉडल को नए सांचे में ढालना होगा।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि आज की दुनिया में “एक ही तरीका हमेशा नहीं चल सकता” और इसलिए उद्यमियों को डिजिटल मार्केटिंग, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों को अपनाना चाहिए।
एमएसएमई: देश की अर्थव्यवस्था का मेरुदंड
देश के जाने-माने कैश फ्लो एक्सपर्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट सीए जगमोहन सिंह ने एमएसएमई के सामाजिक और आर्थिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “एमएसएमई देश की जीडीपी में 30% से अधिक का योगदान देते हैं और करोड़ों लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। यह क्षेत्र न केवल आर्थिक विकास बल्कि सामाजिक समावेश का भी प्रमुख स्रोत है।”
उन्होंने आगाह किया कि आज की प्रतिस्पर्धा भरी दुनिया में केवल प्रोडक्ट बनाना ही काफी नहीं है। उद्यमियों को ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर उतना ही ध्यान देना चाहिए जितना उत्पाद की गुणवत्ता पर। “जो दिखता है, वही बिकता है”, उन्होंने यह दोहराते हुए ब्रांड निर्माण की रणनीतियों, सोशल मीडिया की भूमिका और ग्राहक अनुभव को सुधारने के तरीकों पर चर्चा की।
सरकारी प्रतिनिधियों का आश्वासन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय के एडिशनल डवलपमेंट कमिश्नर श्री आर. के. राय ने कहा कि केंद्र सरकार एमएसएमई क्षेत्र को और अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाएं – जैसे क्रेडिट गारंटी स्कीम, डिजिटल एमएसएमई योजना, और प्रधानमंत्री एम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम (PMEGP) – इन उद्यमों को नई दिशा दे रही हैं।
श्री राय ने कहा, “हम जानते हैं कि एमएसएमई को समय पर वित्त, बाजार में प्रतिस्पर्धा और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में चुनौती मिलती है। सरकार इन सभी स्तरों पर सहयोग कर रही है। जल्द ही और योजनाएं लॉन्च की जाएंगी जो फंडिंग और स्किल डेवेलपमेंट के क्षेत्र में मदद करेंगी।”
राज्य सरकार और संस्थागत सहभागिता
कॉन्क्लेव में हरियाणा सरकार के एमएसएमई डायरेक्टरेट के डिप्टी डायरेक्टर श्री गौरव लाथेर और स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (SIDBI) के डीजीएम डॉ. प्रणव सिन्हा विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद थे।
डॉ. सिन्हा ने कहा कि सिडबी देश भर के एमएसएमई को सस्ती दरों पर ऋण प्रदान करने, प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करने और स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग मॉडल विकसित करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि सिडबी जल्द ही एक डिजिटल क्रेडिट प्लैटफॉर्म लॉन्च करने जा रहा है जिससे छोटे उद्यमियों को बिना किसी बिचौलिये के सीधे ऋण मिल सकेगा।
श्री गौरव लाथेर ने हरियाणा राज्य में एमएसएमई क्षेत्र की प्रगति की जानकारी साझा करते हुए कहा कि राज्य सरकार स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने और उद्यमियों को उद्योग स्थापित करने के लिए हर संभव सहायता दे रही है। उन्होंने बताया कि अब तक राज्य में 10,000 से अधिक रजिस्टर्ड एमएसएमई इकाइयों को सब्सिडी, जमीन, टेक्निकल सहायता और वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया गया है।
समापन सत्र और सुझाव
कार्यक्रम के समापन सत्र में ओपन हाउस इंटरएक्शन का आयोजन किया गया, जिसमें उद्यमियों ने अपने सवाल रखे और विशेषज्ञों से सीधी बातचीत की। चर्चा में सामने आया कि एमएसएमई के लिए फाइनेंशियल लिटरेसी, डिजिटल टूल्स की समझ और रेगुलेटरी अनुपालन को बढ़ावा देने की जरूरत है।
सभी वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में एमएसएमई की निर्णायक भूमिका है, और यदि इस क्षेत्र को सही मार्गदर्शन, संसाधन और अवसर दिए जाएं तो यह क्षेत्र देश की प्रगति को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।
निष्कर्ष
एमएसएमई इनसाइट कॉन्क्लेव 2025 ने न केवल विशेषज्ञों के विचारों को साझा करने का मंच प्रदान किया बल्कि यह दिखाया कि जब सरकार, निजी क्षेत्र और संस्थान एक साथ मिलकर काम करें, तो एमएसएमई सेक्टर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है। इस कार्यक्रम से यह स्पष्ट हुआ कि आने वाला दशक एमएसएमई के लिए परिवर्तनकारी हो सकता है, बशर्ते उन्हें सही समय पर सही मार्गदर्शन और संसाधन प्राप्त हों।
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