पुणे और नाशिक—महाराष्ट्र के दो औद्योगिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक हब—को जोड़ने वाला नया इंडस्ट्रियल एक्सप्रेसवे अब आकार लेने लगा है। जहां एक ओर पुणे-नाशिक सेमी-हाई स्पीड रेल परियोजना अभी तक अंतिम स्वीकृति का इंतज़ार कर रही है, वहीं दूसरी ओर पुणे-नाशिक इंडस्ट्रियल एक्सप्रेसवे को लेकर सरकार की तैयारी और इच्छाशक्ति अब ज़मीन पर दिखने लगी है। महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल (MSRDC) ने इस परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर ली है और अब इसे अंतिम सरकारी स्वीकृति के लिए भेजने की तैयारी है।
इस रिपोर्ट में हम आपको इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की पूरी कहानी, इसके आर्थिक और सामाजिक प्रभाव, संभावित चुनौतियां और राजनीतिक समीकरणों का विश्लेषण करेंगे।
1. एक्सप्रेसवे का खाका और भूगोल
133 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे पुणे, अहमदनगर (जिसे अब अहिल्यनगर कहा जाता है), और नाशिक ज़िलों को जोड़ते हुए तीनों जिलों के औद्योगिक क्लस्टर्स को सीधा कनेक्शन देगा। इसका मुख्य उद्देश्य केवल यातायात सुधारना नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से राज्य में एक नया औद्योगिक कॉरिडोर विकसित करना है जो आर्थिक गतिविधियों को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
यह मार्ग भविष्य में प्रस्तावित सूरत-चेन्नई कॉरिडोर से भी जुड़ जाएगा, जिससे केवल महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि गुजरात, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, और तमिलनाडु जैसे राज्यों को भी फायदा मिलेगा।
2. मौजूदा स्थिति और प्रक्रिया
फरवरी 2024 में स्वीकृति मिली थी अंतिम डिज़ाइन को
पिछले वर्ष फरवरी में इस एक्सप्रेसवे के अंतिम डिज़ाइन को सरकार की प्रारंभिक स्वीकृति मिल गई थी। इसके बाद इसकी व्यवहार्यता रिपोर्ट और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पर काम शुरू किया गया। अब ये दोनों दस्तावेज़ तैयार हैं और इन्हें शीघ्र ही राज्य सरकार को अंतिम मंज़ूरी के लिए भेजा जाएगा।
DPR में क्या-क्या शामिल है?
- सड़क की कुल लंबाई: 133 किलोमीटर
- लेन की संख्या: 6 लेन नियंत्रित मार्ग
- लागत का अनुमान: ₹28,429 करोड़
- मुख्य जुड़ाव: पुणे इंडस्ट्रियल बेल्ट, अलेफाटा, संगमनेर, सिन्नर, और नाशिक मिडक
- प्रस्तावित समय सीमा: 4 वर्ष में पूर्ण निर्माण
3. यात्रा समय में कटौती
वर्तमान में पुणे से नाशिक की यात्रा सड़क मार्ग से लगभग 5 घंटे लेती है। यह समय ट्रैफिक, खराब सड़कें और घाटी मार्ग की वजह से और भी बढ़ सकता है। लेकिन नए एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद यह यात्रा महज 3 घंटे में पूरी की जा सकेगी। यह न सिर्फ आम यात्रियों के लिए राहत की बात होगी, बल्कि औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं (supply chains) के लिए भी एक बड़ा बदलाव होगा।
4. सेमी-हाई स्पीड रेल बनाम एक्सप्रेसवे: प्रतिस्पर्धा या पूरक?
पुणे-नाशिक सेमी-हाई स्पीड रेल परियोजना, जो 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली यात्री रेल सेवा को प्रस्तावित करती है, अभी तक रेल मंत्रालय और नीति आयोग से अंतिम मंजूरी नहीं पा सकी है। जून 2024 में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एक महत्वपूर्ण बैठक में यह सुझाव दिया था कि इस रेल परियोजना के लिए अधिगृहीत भूमि की उपयोगिता की समीक्षा की जाए—क्या उसी भूमि पर एक्सप्रेसवे बनाया जा सकता है?
अब इस मुद्दे पर तकनीकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। अगर रेल परियोजना में और देरी होती है, तो यह संभव है कि वही ज़मीन एक्सप्रेसवे के लिए उपयोग में लाई जाए, जिससे अधिग्रहण लागत घटेगी और निर्माण कार्य में तेजी आएगी।
5. आर्थिक प्रभाव और औद्योगिक विस्तार
औद्योगिक केंद्रों को मिलेगा फायदा:
- पुणे: टाटा मोटर्स, बजाज, थर्मैक्स जैसे मेगाप्लांट्स
- अहिल्यनगर: फार्मा और एग्रो आधारित इंडस्ट्रीज़
- नाशिक: इलेक्ट्रॉनिक्स, वाइन और ऑटोमोबाइल सेक्टर
इन तीनों जिलों के बीच एक तेज़ और बाधारहित संपर्क बनने से न केवल मालवहन सस्ता और तेज़ होगा, बल्कि निवेश के नए अवसर भी खुलेंगे। इससे लॉजिस्टिक्स हब, वेयरहाउसिंग ज़ोन, और स्मार्ट टाउनशिप के निर्माण की संभावना बढ़ेगी।
रोजगार की संभावना:
इस परियोजना के निर्माण और संचालन से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 70,000 से अधिक रोजगार सृजित हो सकते हैं। इससे युवाओं को अपने ही क्षेत्र में काम के अवसर मिलेंगे।
6. लागत और वित्तीय ढांचा
मुख्य अभियंता अशोक भालकर के अनुसार, इस परियोजना की कुल लागत ₹28,429 करोड़ आंकी गई है। यह लागत ज़मीन अधिग्रहण, निर्माण, पर्यावरणीय शमन, सुरक्षा उपकरण, और बुनियादी सुविधाओं के लिए है।
वित्तपोषण कैसे होगा?
- पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत इसे विकसित किया जा सकता है।
- MSRDC द्वारा बॉन्ड जारी करने की भी संभावना है।
- केंद्र सरकार से वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) की मांग की जा सकती है।
7. राजनीतिक समीकरण और प्रशासनिक इच्छाशक्ति
इस परियोजना की सफलता काफी हद तक राजनीतिक समर्थन और प्रशासनिक प्राथमिकता पर निर्भर करती है। महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व में इसे तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है। चूंकि यह परियोजना उनकी सीट—बारामती और पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र से जुड़ी है, इसलिए इसे राजनीतिक प्राथमिकता भी मिल रही है।
इसके अलावा, शिंदे सरकार ने इस एक्सप्रेसवे को ‘राज्य के लॉजिस्टिक री-कंस्ट्रक्शन’ का हिस्सा माना है, जो महाराष्ट्र को राष्ट्रीय स्तर पर एक लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित करने की योजना से जुड़ा है।
8. चुनौतियाँ और आशंकाएं
1. भूमि अधिग्रहण
हालांकि MSRDC ने अधिकांश मार्ग पर प्रारंभिक सर्वेक्षण कर लिया है, लेकिन कई ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण को लेकर विरोध की आशंका है। इससे परियोजना में देरी और लागत दोनों बढ़ सकती हैं।
2. पर्यावरणीय मंजूरी
इस प्रोजेक्ट के मार्ग में पश्चिमी घाट से सटे हिस्से, कृषि भूमि और नदी पार क्षेत्र आते हैं, जिनके लिए पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया लंबी हो सकती है।
3. रेल परियोजना से टकराव
अगर सेमी-हाई स्पीड रेल परियोजना को भविष्य में मंजूरी मिलती है, तो एक्सप्रेसवे और रेलवे ट्रैक के रूट में समन्वय बनाना बड़ी चुनौती हो सकती है।
9. आगे की राह
अब जबकि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार हो चुकी है, यह देखना होगा कि राज्य सरकार इसे मंत्रिमंडल की बैठक में कितनी प्राथमिकता देती है। अगर जुलाई 2025 के अंत तक स्वीकृति मिल जाती है, तो निर्माण कार्य 2026 की शुरुआत में शुरू किया जा सकता है। समय सीमा के अनुसार, यह परियोजना 2029 तक पूरी हो सकती है।
10. निष्कर्ष: महाराष्ट्र के विकास का इंजन बन सकता है यह एक्सप्रेसवे
पुणे-नाशिक इंडस्ट्रियल एक्सप्रेसवे न केवल दो बड़े शहरों को तेज़ी से जोड़ने वाला मार्ग होगा, बल्कि यह महाराष्ट्र के औद्योगिक, सामाजिक और शहरी विकास का नई पीढ़ी का इंजन बन सकता है। सेमी-हाई स्पीड रेल की राह में अड़चनें भले हों, लेकिन एक्सप्रेसवे ज़मीनी विकास का प्रतीक बनकर उभर रहा है।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या महाराष्ट्र सरकार इसे समय पर हरी झंडी देती है और क्या यह परियोजना भारत के लॉजिस्टिक नेटवर्क में एक गेमचेंजर साबित हो सकती है।
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