बुधवार दोपहर 1:25 बजे राजस्थान के चूरू ज़िले के भानौदा गांव के पास एक दो-सीटर जगुआर फाइटर जेट के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। वायुसेना के अनुसार, यह विमान एक रूटीन ट्रेनिंग मिशन पर था और राजस्थान के सूरतगढ़ एयरफोर्स बेस से उड़ान भरी थी। इस भयावह हादसे में दो भारतीय वायुसेना पायलटों की मौत हो गई।
यह घटना इस वर्ष की तीसरी जगुआर दुर्घटना है। इससे पहले मार्च 7 को हरियाणा के पंचकूला और अप्रैल 2 को गुजरात के जामनगर में ऐसे ही हादसे हो चुके हैं।
वायुसेना ने एक आधिकारिक बयान में कहा:
“वायुसेना को अपने बहादुर पायलटों की मौत का गहरा दुख है। इस शोक की घड़ी में हम पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं।”
वायुसेना ने दुर्घटना की जांच के आदेश भी दे दिए हैं।
हादसे की परिस्थितियाँ: क्या तकनीकी खराबी जिम्मेदार?
हालांकि जांच अभी प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्टों में तकनीकी खराबी को एक संभावित कारण माना जा रहा है। चश्मदीदों के अनुसार, जेट में उड़ान के कुछ मिनटों बाद ही असामान्य कंपन और आवाजें आ रही थीं। देखते ही देखते वह विमान हवा में असंतुलित होकर धरती की ओर गिर गया।
भानौदा गांव के निवासी रामकिशोर जाटव ने बताया:
“एक तेज़ आवाज़ आई और आसमान से आग की लपटें निकलती दिखाई दीं। कुछ ही सेकंड में विमान ज़मीन से टकरा गया।”
सौभाग्य से यह विमान खुले मैदान में गिरा और किसी नागरिक संपत्ति को नुकसान नहीं हुआ, वरना यह हादसा और बड़ा रूप ले सकता था।
दुखद परिणाम: दो पायलटों की शहादत
इस दुर्घटना में वायुसेना के दो जांबाज़ पायलटों की मौत हो गई। उनकी पहचान अभी आधिकारिक रूप से जारी नहीं की गई है, क्योंकि सेना पहले उनके परिवारों को सूचना देना चाहती है।
लेकिन यह स्पष्ट है कि ये पायलट एक रूटीन ट्रेनिंग मिशन पर थे और उनका पूरा ध्यान अभ्यास पर था, न कि किसी युद्ध या ऑपरेशन पर। ऐसे में यह दुर्घटना केवल तकनीकी खामी या सिस्टम फेल्योर से जुड़ी नहीं है – यह संपूर्ण रक्षा उपकरण प्रणाली की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह भी है।
भारत में 2025 में तीसरी जगुआर क्रैश: एक पैटर्न की ओर इशारा
- मार्च 7, 2025 | पंचकूला, हरियाणा:
पंजाब के अंबाला एयरबेस से उड़ान भरने वाला जगुआर जेट सिस्टम खराबी के कारण क्रैश हो गया। सौभाग्य से पायलट ने समय रहते इजेक्शन किया और विमान को आबादी से दूर मोड़ा, जिससे नागरिक हानि टल गई। - अप्रैल 2, 2025 | जामनगर, गुजरात:
एक दो-सीटर जगुआर रात 9:30 बजे ट्रेनिंग मिशन के दौरान क्रैश हो गया।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव, जो विमान उड़ा रहे थे, ने अपने सहपायलट को समय पर इजेक्ट कराकर उसकी जान बचाई। लेकिन सिद्धार्थ खुद विमान से नहीं निकल सके और शहीद हो गए। उनके पिता सुशील यादव ने कहा: “मुझे गर्व है कि मेरे बेटे ने किसी और की जान बचाई। लेकिन वह मेरा इकलौता बेटा था। यह गर्व और ग़म दोनों की घड़ी है।” - जुलाई 9, 2025 | चूरू, राजस्थान:
इस ताज़ा हादसे में दोनों पायलटों की मृत्यु हो गई। विमान सूरतगढ़ एयरबेस से उड़ा था और किसी भी खतरे की आशंका नहीं थी।
जगुआर फाइटर जेट: अब भी सेवा में क्यों है ये पुराना विमान?
जगुआर एक ट्विन-इंजन फाइटर-बॉम्बर है जो भारत में 1979 से उपयोग में है। इसे ब्रिटेन की SEPECAT कंपनी ने बनाया था और भारत ने इसे स्थानीय रूप से HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) के माध्यम से असेंबल किया।
आज भारत के पास लगभग 120 जगुआर विमान सेवा में हैं, जो वायुसेना की छह स्क्वाड्रनों में तैनात हैं।
इनकी विशेषताएं:
- नाभिकीय हथियार ले जाने की क्षमता
- लंबी दूरी तक टारगेट स्ट्राइक
- अत्यधिक लो-लेवल उड़ान की क्षमता
- अति गर्म जलवायु में संचालन के लिए डिज़ाइन
हालांकि ये विमान आधुनिक फाइटर जेट्स जैसे राफेल, SU-30MKI या तेजस के मुकाबले तकनीकी रूप से पुराने हैं, लेकिन इन्हें समय-समय पर अपग्रेड किया गया है। फिर भी यह तथ्य छुपाया नहीं जा सकता कि जगुआर अब तकनीकी रूप से “विंटेज” (पुराना) हो चुका है।
वायुसेना की चिंता: विमान से ज़्यादा मूल्यवान हैं पायलट
वायुसेना हर साल करोड़ों रुपये ट्रेनिंग, रखरखाव और सुरक्षा उपकरणों पर खर्च करती है, लेकिन बार-बार होने वाली दुर्घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि “ह्यूमन रिसोर्स” यानी पायलटों की सुरक्षा के लिए शायद अभी भी पर्याप्त इंतज़ाम नहीं हो रहे।
प्रशिक्षण मिशनों के दौरान:
- हर पायलट को उच्चतम स्तर की तैयारी सौंपी जाती है
- जेट्स की प्री-फ्लाइट चेकिंग की जाती है
- कंट्रोल टावर्स और इंजीनियरिंग टीमों को अलर्ट रखा जाता है
फिर भी अगर विमान बार-बार गिर रहे हैं, तो इसके पीछे सिर्फ़ तकनीकी फेल्योर नहीं, सिस्टमिक खामी भी हो सकती है।
जवाबदेही और नीति पर सवाल
हर हादसे के बाद जाँच बैठाई जाती है, संवेदना व्यक्त की जाती है और मुआवज़े का ऐलान होता है। लेकिन यह चक्र फिर दोहराया जाता है।
कुछ ज़रूरी सवाल:
- क्या जगुआर जैसे पुराने विमानों को अब भी सेवा में रखना तर्कसंगत है?
- क्या हर क्रैश के बाद होने वाली जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होती है?
- क्या रक्षा मंत्रालय पुराने विमानों के लिए समयबद्ध रिटायरमेंट योजना बना रहा है?
- क्या HAL और DRDO जैसे संस्थानों की ज़िम्मेदारी केवल अपग्रेड करना है या सुरक्षा सुनिश्चित करना भी?
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया: मौन या मौलिक?
हादसे के बाद, केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई बड़ा बयान नहीं आया है। हालांकि वायुसेना ने “शोक और जांच” का संक्षिप्त बयान दिया है, लेकिन नागरिक समाज में यह चिंता उठ रही है कि क्या सरकार अपनी ही वायुसेना के प्रति गंभीर है?
ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया पर कई नागरिकों और रक्षा विशेषज्ञों ने कहा:
“हमारी पायलट्स सबसे मूल्यवान हैं। उन्हें 40 साल पुराने जेट्स पर भेजना, उन्हें मौत के मुँह में धकेलना है।”
निष्कर्ष: अब क्या आगे?
भारतीय वायुसेना के पास पराक्रम और कौशल की कोई कमी नहीं है। हमारे पायलट विश्वस्तरीय हैं। लेकिन उन्हें वह उपकरण, वह समर्थन और वह संरचनात्मक सुरक्षा भी मिलनी चाहिए, जिसकी वे हक़दार हैं।
जगुआर विमान अब एक-एक कर धरती से टकरा रहे हैं, और उनके साथ टकरा रही है भारत की सैन्य तैयारी की रणनीति।
अगर अब भी हम इन संकेतों को नज़रअंदाज़ करें, तो अगली बार शोक के साथ हमें यह भी कहना पड़ेगा — “हमने चेतावनी देखी थी, पर ध्यान नहीं दिया।”
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