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नीरव मोदी के छोटे भाई नेहाल दीपक मोदी की गिरफ्तारी: एक विस्तृत विश्लेषण

प्रस्तावना

भारत के सबसे बड़े बैंक घोटालों में से एक, पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले में एक और महत्वपूर्ण मोड़ आया है। इस मामले में मुख्य आरोपी नीरव मोदी के छोटे भाई नेहाल दीपक मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी भारतीय जांच एजेंसियों – केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) – के संयुक्त प्रयासों और इंटरपोल द्वारा जारी रेड कॉर्नर नोटिस के बाद संभव हो सकी।

नेहाल मोदी की गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन तमाम जटिल अंतरराष्ट्रीय कानूनी, कूटनीतिक और आर्थिक प्रक्रियाओं का भी प्रतीक है, जो किसी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अपराधी को न्याय के कठघरे तक लाने के लिए अपनाई जाती हैं।


गिरफ्तारी कैसे हुई?

नेहाल दीपक मोदी, जो बेल्जियम के नागरिक हैं, को 4 जुलाई 2025 को अमेरिका में स्थानीय अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया गया। यह कार्रवाई इंटरपोल द्वारा जारी रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर की गई थी, जिसे भारत सरकार के अनुरोध पर CBI और ED ने जारी करवाया था।

नेहाल ने इस रेड कॉर्नर नोटिस को रद्द करवाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह इसमें असफल रहे। इसके बाद अमेरिकी अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया। उनकी गिरफ्तारी के बाद अमेरिका में उनके प्रत्यर्पण (extradition) की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसकी अगली सुनवाई 17 जुलाई को होनी तय है।


नेहाल मोदी पर क्या आरोप हैं?

नेहाल मोदी पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जो सीधे तौर पर PNB घोटाले से जुड़े हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  1. सबूत नष्ट करना और जांच में बाधा डालना:
    भारतीय एजेंसियों का आरोप है कि नेहाल मोदी ने अपने बड़े भाई नीरव मोदी की मदद करते हुए घोटाले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड को नष्ट किया। इसके अलावा, उन्होंने गवाहों को डराने और जांच को भ्रमित करने का भी प्रयास किया।
  2. मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन):
    नेहाल मोदी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने घोटाले से कमाए गए हजारों करोड़ रुपये के काले धन को विभिन्न शेल कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेनदेन के माध्यम से वैध दिखाने की कोशिश की। ये पैसे अमेरिका, बेल्जियम, UAE, हांगकांग और अन्य देशों में स्थित कंपनियों के माध्यम से घुमाए गए।
  3. अंतरराष्ट्रीय वित्तीय जाल का हिस्सा बनना:
    जांच एजेंसियों के अनुसार, नेहाल मोदी ने जानबूझकर कई फर्जी कंपनियों का निर्माण किया और इन कंपनियों के जरिए बड़ी मात्रा में धन का गुप्त हस्तांतरण किया।

PNB घोटाले की पृष्ठभूमि

2018 में उजागर हुए इस घोटाले ने पूरे भारत के बैंकिंग सेक्टर को झकझोर कर रख दिया था। पंजाब नेशनल बैंक ने पहली बार जनवरी 2018 में इस घोटाले की जानकारी दी थी, जिसमें लगभग ₹13,500 करोड़ की धोखाधड़ी की बात सामने आई।

  • नीरव मोदी:
    इस घोटाले में नीरव मोदी को प्रमुख अभियुक्त के रूप में नामित किया गया। उन पर ₹6,498.20 करोड़ की हेराफेरी का आरोप है। उन्होंने बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से गलत तरीके से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) हासिल किए और उसके माध्यम से अंतरराष्ट्रीय लेनदेन किए।
  • मेहुल चोकसी:
    नीरव मोदी के मामा, मेहुल चोकसी, पर ₹7,080.86 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है। उन्होंने भी नीरव मोदी के समान LoU का दुरुपयोग करते हुए पैसे विदेशों में भेजे।

घोटाले का खुलासा होते ही दोनों – नीरव और चोकसी – भारत छोड़कर फरार हो गए। नीरव मोदी मार्च 2019 में लंदन में गिरफ्तार किए गए थे और तब से वे वांड्सवर्थ जेल में बंद हैं, जबकि मेहुल चोकसी अभी एंटीगुआ में रह रहे हैं, जहां वे भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।


अंतरराष्ट्रीय प्रत्यर्पण प्रक्रिया और कूटनीतिक चुनौतियाँ

किसी भी भगोड़े को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पकड़ना और उसे प्रत्यर्पित करना एक बेहद जटिल प्रक्रिया होती है। इसमें सिर्फ कानूनी तंत्र ही नहीं, बल्कि देशों के बीच आपसी सहयोग, विश्वास और समझौते भी अहम भूमिका निभाते हैं।

नेहाल मोदी के मामले में भारतीय एजेंसियों को:

  • इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाना पड़ा।
  • अमेरिकी न्याय प्रणाली के अंतर्गत प्रत्यर्पण अनुरोध दायर करना पड़ा।
  • नेहाल की नागरिकता और अमेरिका में उनकी मौजूदगी के कानूनी दस्तावेज प्रस्तुत करने पड़े।

इन सबके बावजूद, नेहाल मोदी ने अपने वकीलों के माध्यम से इस प्रक्रिया को कानूनी रूप से चुनौती देने की कोशिश की, लेकिन अंततः उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।


भारत की कानूनी और राजनीतिक प्रतिक्रिया

भारत सरकार, विशेषकर ED और CBI, नेहाल मोदी की गिरफ्तारी को एक बड़ी जीत मान रही है। उन्होंने इसे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और न्यायिक संप्रभुता की पुष्टि के रूप में देखा है।

इसके साथ ही, भारत सरकार ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में अन्य भगोड़े आर्थिक अपराधियों के खिलाफ भी ऐसी ही कठोर कार्रवाई की जाएगी। विजय माल्या, मेहुल चोकसी, और अन्य अपराधियों के खिलाफ जारी मामलों में भी भारत सरकार वैश्विक मंचों पर आक्रामक रुख अपना रही है।


नेहाल मोदी की जमानत और अगली सुनवाई

नेहाल की गिरफ्तारी के बाद उनके पक्ष द्वारा जमानत की याचिका दायर की जा सकती है, लेकिन अमेरिकी अभियोजन पक्ष ने पहले ही साफ कर दिया है कि वे इस याचिका का विरोध करेंगे। उनकी दलील यह होगी कि नेहाल एक भगोड़ा है और उसे रिहा किया गया तो उसके फिर से फरार होने की पूरी संभावना है।

अगली सुनवाई 17 जुलाई को होनी है, जहां अदालत यह तय करेगी कि क्या नेहाल मोदी को भारत प्रत्यर्पित किया जाए या नहीं।


निष्कर्ष

नेहाल मोदी की गिरफ्तारी भारतीय न्याय प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा सकती है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि चाहे कोई व्यक्ति कितनी भी बड़ी साजिश रचे या कितनी भी दूर क्यों न भाग जाए, उसे कानून के दायरे में लाया जा सकता है।

PNB घोटाले जैसे मामलों में केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं होता, बल्कि यह आम जनता के बैंकिंग सिस्टम में विश्वास को भी गहरा आघात पहुंचाता है। ऐसे में दोषियों को सजा दिलाना सिर्फ न्याय नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूती का भी प्रतीक है।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नेहाल मोदी को भारत लाया जा सकेगा और क्या वह अपने अपराधों की सजा भुगतेगा या फिर कानूनी प्रक्रियाओं के जरिए इसे टालने का प्रयास करता रहेगा। फिलहाल, यह गिरफ्तारी एक सकारात्मक कदम है – न्याय की दिशा में, और उस जवाबदेही की ओर जिसे हर लोकतांत्रिक समाज अपने नागरिकों से अपेक्षित करता है।

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