हिमाचल प्रदेश में इस बार का मानसून जनजीवन के लिए कहर बनकर टूटा है। पिछले 32 घंटों के भीतर अलग-अलग स्थानों पर बादल फटने (क्लाउड बर्स्ट) और फ्लैश फ्लड (अचानक बाढ़) की घटनाओं में कम से कम 10 और लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य भर में सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर जारी है, लेकिन तबाही की तस्वीरें और आंकड़े डराने वाले हैं।
बुधवार, 2 जुलाई 2025 तक मिली जानकारी के अनुसार, मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां 34 लोग अब भी लापता हैं। ये सभी लोग बादल फटने, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में फंसे या बह गए हैं।
मानसून ने तोड़ी हिमाचल की कमर
मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार की रात (30 जून) से लेकर मंगलवार (1 जुलाई) की सुबह तक राज्य में भारी बारिश हुई, जिसने कई जिलों को अस्त-व्यस्त कर दिया। नदियां, नाले उफान पर हैं और 16 से ज़्यादा बादल फटने की घटनाएं, 3 फ्लैश फ्लड और 1 बड़ा भूस्खलन सामने आया है।
राज्य के आपातकालीन संचालन केंद्र (State Emergency Operation Centre – SEOC) के अनुसार, 20 जून से अब तक यानी महज 12 दिनों में 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें कुछ लोग बाढ़ में बह गए, कुछ की करंट लगने से, और कुछ की डूबने से मौत हुई। इसके अलावा 5 और लोगों की मौत खाई में गिरने से हुई है।
मंडी – त्रासदी का केंद्र
मंडी जिला इस समय हिमाचल का सबसे संवेदनशील और त्रस्त इलाका बन गया है। यहां न केवल 34 लोग लापता हैं, बल्कि सड़कों, पुलों और मकानों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। स्थानीय प्रशासन और आपदा राहत बल (NDRF, SDRF) की टीमें लगातार रेस्क्यू में लगी हुई हैं, लेकिन भौगोलिक स्थिति और मौसम की बेरुखी के चलते उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीण इलाकों में कई गांवों का संपर्क पूरी तरह से कट चुका है, जिससे राहत कार्यों में बाधा आ रही है।
शिमला, कुल्लू और चंबा में भी तबाही
शिमला, कुल्लू, चंबा, किन्नौर और हमीरपुर जिलों से भी व्यापक नुकसान की खबरें हैं। कई जगहों पर पहाड़ दरक गए हैं, जिससे सड़कें बंद हो गई हैं और राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways) पर ट्रैफिक रुक गया है।
कुल्लू में बह रही ब्यास नदी उफान पर है और किनारे बसे मकानों को खतरा हो गया है। चंबा में पहाड़ी मलबे की चपेट में आकर कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि शिमला के बाहरी इलाकों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं।
संपत्ति का भारी नुकसान – करोड़ों की क्षति
राज्य सरकार की शुरुआती आकलन रिपोर्ट के अनुसार, बारिश के चलते कई सड़कें, पुल, इमारतें, खेत और गाड़ियां बर्बाद हो चुकी हैं। अकेले मंडी और चंबा में नुकसान कई करोड़ रुपये का बताया जा रहा है।
- सड़कों के कट जाने से कई इलाके अब भी बाहर की दुनिया से कटे हुए हैं।
- कई घरों में पानी भर गया है, जिससे लोगों के सामान और अनाज का नुकसान हुआ है।
- कई जगह बिजली और टेलीफोन लाइनें ठप हैं, जिससे संचार भी बाधित हुआ है।
रेस्क्यू ऑपरेशन युद्धस्तर पर
राज्य आपदा प्रबंधन बल, एनडीआरएफ और सेना की मदद से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। हेलीकॉप्टर और ड्रोन की मदद से भी खोजबीन जारी है, लेकिन मौसम की बेरुखी और टूटे रास्तों के कारण राहत और बचाव कार्यों में कठिनाइयां आ रही हैं।
राज्य सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी राहत शिविर लगाए हैं और भोजन, दवाइयों व कंबलों की व्यवस्था की जा रही है। स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों को अस्थायी आश्रय स्थल बनाया गया है।
सरकार और प्रशासन की अपील
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में लोगों से अपील की गई है कि वे बिना आवश्यकता के घर से बाहर न निकलें, और नदी-नालों के पास बिल्कुल भी न जाएं। राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है और प्राकृतिक आपदा राहत कोष से तत्काल सहायता देने के निर्देश दिए गए हैं।
मौसम विभाग ने भी अगले 48 घंटों में और अधिक बारिश की चेतावनी जारी की है, खासकर ऊपरी हिमाचल और मध्य हिमाचल के जिलों में।
क्या है आगे की चुनौती?
बढ़ते जलस्तर और लगातार हो रही बारिश से हालात और बिगड़ सकते हैं। सरकार की प्राथमिकता इस समय
- लापता लोगों को खोजने,
- फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने, और
- क्षतिग्रस्त इन्फ्रास्ट्रक्चर को अस्थाई रूप से दुरुस्त करने की है।
इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट किया गया है ताकि बाढ़ के बाद संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोका जा सके।
निष्कर्ष: प्रकृति के आगे बेबस मानवता
हिमाचल प्रदेश में आई यह त्रासदी एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ते निर्माण कार्य, जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन ने इन इलाकों को कितनी अधिक आपदा-संवेदनशील बना दिया है।
सरकार के साथ-साथ समाज को भी आपदा प्रबंधन, सतर्कता और पर्यावरण-संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा। वरना इस तरह की घटनाएं हर साल सैकड़ों जानें लेती रहेंगी।
फिलहाल, हिमाचल दहशत और दुख के साए में है — और पूरा देश इस कठिन समय में वहां के लोगों के साथ खड़ा है।
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