बागपत जनपद से एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है, जिसने न केवल यूपी पुलिस महकमे को हिला दिया है, बल्कि समाज में संवाद और संयम की गिरती स्थिति पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खेकड़ा कोतवाली क्षेत्र के सुनेहड़ा गांव में रविवार सुबह एक मामूली व्हाट्सएप ग्रुप पर हुए क्रिकेट विवाद ने हिंसक रूप ले लिया और इसका परिणाम एक निर्दोष पुलिसकर्मी की हत्या के रूप में सामने आया।
छुट्टी पर गांव आया था सिपाही
घटना का शिकार हुआ पुलिसकर्मी अजय कुमार, सहारनपुर जनपद में यूपी पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात था। कुछ दिनों की छुट्टी पर वह अपने पैतृक गांव सुनेहड़ा आया हुआ था। गांव में रहते हुए वह स्थानीय युवाओं और मित्रों के साथ एक क्रिकेट व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ा हुआ था। इसी ग्रुप में किसी मैच या टीम चयन को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
व्हाट्सएप ग्रुप पर कहासुनी से मचा बवाल
सूत्रों के अनुसार, ग्रुप में मौजूद एक शिक्षक — जिसकी पहचान पुलिस ने कर ली है — और अजय कुमार के बीच कुछ कहासुनी हुई। बात-बात में दोनों के बीच बहस तेज हो गई और व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। यह तकरार इतनी गंभीर हो गई कि शिक्षक ने रविवार सुबह अजय कुमार को गांव के पास रोककर बहस की और अचानक गुस्से में आकर अपने पास मौजूद तमंचे से गोली चला दी।
गोली सीधे अजय कुमार के सीने में लगी, जिसके बाद वह मौके पर ही गिर पड़ा। गांववालों ने तुरंत उसे अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
गांव में पसरा मातम
घटना के बाद सुनेहड़ा गांव और आसपास के इलाकों में शोक और आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों को यकीन नहीं हो रहा कि एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति, जो समाज को दिशा देने का काम करता है — एक शिक्षक — वह इस हद तक जा सकता है। अजय कुमार को गांव में एक मिलनसार, ईमानदार और अनुशासित युवक के रूप में जाना जाता था। उनके आकस्मिक निधन से न केवल परिवार, बल्कि पूरा गांव सदमे में है।
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। खेकड़ा पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। साथ ही मृतक सिपाही के परिजनों से बातचीत कर पंचनामा की कार्रवाई भी पूरी कर ली गई है। वरिष्ठ अधिकारियों ने भी मौके का दौरा किया और पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली।
आरोपी शिक्षक की तलाश जारी
पुलिस ने बताया है कि आरोपी शिक्षक की पहचान कर ली गई है और उसे पकड़ने के लिए कई जगह दबिश दी जा रही है। आरोपी घटना के बाद से फरार है और अपने मोबाइल फोन को भी बंद कर चुका है। लेकिन पुलिस का कहना है कि उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उस पर सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
समाज में संवादहीनता और आक्रोश की संस्कृति पर सवाल
इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि अब समाज में असहमति या तकरार को सुलझाने की बजाय लोग हिंसा का रास्ता अपनाने लगे हैं। छोटी-छोटी बातों में गुस्सा, झुंझलाहट और अहंकार इतना बढ़ गया है कि लोग इंसान की जान लेने तक उतर आते हैं।
एक शिक्षक — जिसे बच्चों को शांति, धैर्य और विवेक सिखाने का दायित्व है — खुद ही विवेक खो बैठा और एक परिवार को उजाड़ गया। वहीं, एक सिपाही जो कानून की रक्षा करता था, वह खुद कानून व्यवस्था का शिकार हो गया।
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद कई सामाजिक संगठनों और पुलिस संघों ने दोषी को सख्त सजा देने की मांग की है। पुलिस विभाग के अधिकारियों और जवानों ने अजय कुमार की शहादत को नमन करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक सिपाही की मौत नहीं है, बल्कि कानून के रक्षक की हत्या है।
कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह भी मांग की है कि शिक्षकों की नियुक्ति में मानसिक संतुलन, संवाद कौशल और नैतिक मूल्यों की जांच को भी प्राथमिकता दी जाए।
परिवार का रो-रोकर बुरा हाल
मृतक अजय कुमार के परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। उनके पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमने एक बेटा खोया है, जो पूरे गांव की शान था। हम सरकार और प्रशासन से मांग करते हैं कि आरोपी को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर फांसी तक पहुंचाया जाए, ताकि हमारे बेटे की आत्मा को शांति मिल सके।”
निष्कर्ष
बागपत की यह घटना केवल एक हत्या की खबर नहीं है — यह हमारे समाज की उस चिंता की तस्वीर है, जहां संवाद की जगह हिंसा ने ले ली है, जहां तर्क की जगह तमंचे बोलते हैं। अब वक्त है कि समाज, प्रशासन और शिक्षा तंत्र मिलकर इस बढ़ते असहनशीलता के खिलाफ एकजुट हों।
यदि अब भी आंखें न खोली गईं, तो न जाने और कितने “अजय कुमार” किसी व्हाट्सएप विवाद के चलते हमेशा के लिए खामोश हो जाएंगे।
सवाल यही है — क्या हम संवाद करना भूल चुके हैं?
Leave a Reply