प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में देश की आतंकवाद विरोधी नीति, आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन, और सामाजिक समावेशन की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अब न केवल सीमाओं की सुरक्षा कर रहा है, बल्कि अपने भीतर से भी एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। यह वक्तव्य उन्होंने उस अवसर पर दिया जब श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी की ऐतिहासिक भेंट के 100 वर्ष पूरे होने का स्मरण किया जा रहा था।
ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश
प्रधानमंत्री ने “ऑपरेशन सिंदूर” का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जो कोई भी भारतीयों का खून बहाएगा, वह कहीं भी छिपा हो, सुरक्षित नहीं बचेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले के जवाब में 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के ठिकानों पर जो प्रिसिजन स्ट्राइक की, वह देश की इच्छाशक्ति का परिचायक था।
पीएम मोदी ने दावा किया कि “भारतीय सेना ने ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों से 22 मिनट में दुश्मन को झुकने पर मजबूर कर दिया।” उन्होंने इस उपलब्धि को भारतीय रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता का प्रतीक बताया।
आत्मनिर्भर भारत और रक्षा क्षेत्र में क्रांति
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत ने सामाजिक, आर्थिक और रक्षा मोर्चों पर अभूतपूर्व प्रगति की है। अब भारत को रक्षा के क्षेत्र में विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता, क्योंकि ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत देश अब अपने हथियार खुद बना रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में “मेड इन इंडिया” हथियार पूरी दुनिया में सम्मान प्राप्त करेंगे।
समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को सशक्त बनाना
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि उनकी सरकार ने हाउसिंग, पेयजल, और स्वास्थ्य बीमा जैसे क्षेत्रों में जो योजनाएं लागू की हैं, उन्होंने समाज के सबसे पिछड़े और वंचित वर्गों को नई आशा दी है। उन्होंने कहा, “आज जिन लोगों को कभी हाशिए पर रखा गया था, वे राष्ट्र निर्माण की धारा में सक्रिय भागीदार बन चुके हैं।”
उन्होंने पुराने शासन पर निशाना साधते हुए कहा कि दशकों बाद भी करोड़ों भारतीय अत्यंत कठिन परिस्थितियों में जीवन जीने को मजबूर थे। लाखों गाँवों में न तो शुद्ध जल था और न ही स्वास्थ्य सेवाएं। “गरीबों और महिलाओं को बुनियादी मानवीय गरिमा से भी वंचित रखा गया था।”
शिक्षा और अवसरों का प्रसार
मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की सराहना करते हुए कहा कि यह नीति शिक्षा को समावेशी बनाती है और मातृभाषा में पढ़ाई को बढ़ावा देती है। इसका सबसे बड़ा लाभ वंचित और ग्रामीण पृष्ठभूमि के बच्चों को हो रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले 11 सालों में देश में पहले से कहीं ज्यादा IITs, IIMs और AIIMS की स्थापना की गई है।
श्री नारायण गुरु और गांधीजी की विरासत
प्रधानमंत्री ने श्री नारायण गुरु को “मानवता के लिए अमूल्य विरासत” बताया और कहा कि उन्होंने उस समय सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज़ उठाई, जब भारत सदियों की गुलामी से उबरने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि श्री नारायण गुरु और गांधीजी की ऐतिहासिक भेंट ने स्वतंत्रता संग्राम को नया विचार और उद्देश्य दिया।
उन्होंने कहा, “श्री नारायण गुरु ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जो सभी प्रकार के भेदभाव से मुक्त हो। आज भारत भी ‘सैचुरेशन अप्रोच’ को अपनाकर हर प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में कार्य कर रहा है।”
युवाओं के लिए कौशल विकास
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि ‘स्किल इंडिया मिशन’ के माध्यम से युवाओं को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब भी वे वंचित, शोषित और पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए कोई बड़ा फैसला लेते हैं, तो उन्हें श्री नारायण गुरु की शिक्षाएं याद आती हैं।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन न केवल “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता का वैश्विक प्रदर्शन था, बल्कि देश की आत्मनिर्भरता, सामाजिक न्याय और समावेशन की दिशा में बढ़ते कदमों का भी एक सशक्त सन्देश था। भारत अब केवल सुरक्षा के मामले में नहीं, बल्कि नीति, नीयत और विकास के हर मोर्चे पर अपने नागरिकों के लिए दृढ़ और निर्णायक नेतृत्व दे रहा है।
इस समारोह में प्रधानमंत्री ने श्री नारायण गुरु की विचारधारा को आधुनिक भारत की आधारशिला बताया, और उनके साथ गांधीजी की मुलाकात को भारतीय समाज की दिशा और दृष्टि में आए परिवर्तन का महत्वपूर्ण मोड़ कहा।
यह संदेश न केवल देशवासियों के लिए था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के नए आत्मविश्वास और सामर्थ्य की झलक भी देता है।
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