सरकार को बड़ा वित्तीय घाटा
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट में दिल्ली की आबकारी नीति में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, नीति के क्रियान्वयन में पारदर्शिता की कमी के कारण दिल्ली सरकार को लगभग ₹2,026.91 करोड़ का नुकसान हुआ।
शराब से जुड़े नियमों में खामियां
दिल्ली सरकार के कुल कर राजस्व का लगभग 14% हिस्सा आबकारी विभाग से आता है, लेकिन रिपोर्ट में शराब की आपूर्ति और नियमन में कई गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है।

कैसे हुआ घाटा?
- ₹941.53 करोड़ का नुकसान – कई जगहों पर खुदरा शराब की दुकानें नहीं खुलने से नुकसान।
- ₹890 करोड़ की हानि – सरकार सरेंडर किए गए लाइसेंसों की दोबारा नीलामी नहीं करा सकी।
- ₹144 करोड़ की छूट – कोविड-19 का बहाना बनाकर शराब कारोबारियों को अनुचित राहत दी गई।
- ₹27 करोड़ का नुकसान – उचित सुरक्षा जमा राशि नहीं ली गई।
लाइसेंस जारी करने में अनियमितताएं
CAG रिपोर्ट के अनुसार, आबकारी विभाग ने लाइसेंस जारी करने में नियमों का उल्लंघन किया।
- एक ही व्यक्ति को कई लाइसेंस दिए गए – दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 35 का उल्लंघन हुआ।
- बिना जांच के लाइसेंस जारी – वित्तीय स्थिरता और अन्य आवश्यक दस्तावेजों की जांच नहीं की गई।
- प्रॉक्सी मालिकाना हक – कुछ कंपनियों ने कार्टेल बनाकर लाभ उठाने के लिए फर्जी स्वामित्व का सहारा लिया।
शराब की कीमतों में हेरफेर
- थोक विक्रेताओं को स्वतंत्र रूप से कीमत तय करने की छूट दी गई, जिससे कर चोरी और मुनाफाखोरी हुई।
- एक ही ब्रांड की अलग-अलग राज्यों में कीमतों में बड़ा अंतर पाया गया।
- सरकार ने लागत मूल्य की जांच नहीं की, जिससे उत्पाद शुल्क में नुकसान हुआ।
गुणवत्ता नियंत्रण में गंभीर चूक
- थोक विक्रेताओं ने आवश्यक गुणवत्ता टेस्ट रिपोर्ट नहीं सौंपी।
- 51% मामलों में विदेशी शराब की टेस्ट रिपोर्ट पुरानी या अनुपलब्ध थी।
- कई टेस्ट रिपोर्ट गैर-मान्यता प्राप्त लैब्स से जारी की गई थीं।
शराब तस्करी रोकने में नाकामी
- आबकारी खुफिया ब्यूरो की भूमिका कमजोर रही।
- जब्त की गई 65% शराब देसी थी, जिससे अवैध आपूर्ति के संकेत मिले।
- डेटा एनालिटिक्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तकनीकों का उपयोग नहीं किया गया।
कैबिनेट की मंजूरी के बिना हुआ बड़ा बदलाव
- 2021-22 की नई आबकारी नीति में बिना कैबिनेट की मंजूरी के महत्वपूर्ण बदलाव किए गए।
- सरकारी कंपनियों को हटाकर निजी कंपनियों को थोक व्यापार का लाइसेंस दिया गया, जिससे सरकार को ₹2,002 करोड़ का नुकसान हुआ।
- कंपनियों ने बीच में ही लाइसेंस वापस कर दिए, जिससे सरकार को ₹890 करोड़ का घाटा हुआ।
CAG की सिफारिशें
- लाइसेंस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और नियमों का सख्ती से पालन हो।
- शराब की कीमत तय करने की प्रक्रिया में सुधार किया जाए और मुनाफाखोरी रोकी जाए।
- गुणवत्ता नियंत्रण सख्त किया जाए ताकि नकली और मिलावटी शराब की बिक्री रोकी जा सके।
- आधुनिक तकनीकों का उपयोग हो – शराब तस्करी रोकने के लिए डेटा एनालिटिक्स और AI का इस्तेमाल किया जाए।
- वित्तीय नुकसान की जिम्मेदारी तय की जाए और आबकारी विभाग के नियामक तंत्र को मजबूत किया जाए।
CAG रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब यह देखना होगा कि दिल्ली सरकार इस पर क्या कार्रवाई करती है और इन सिफारिशों को कैसे लागू किया जाता है।
Leave a Reply